RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
इमरान ने थोड़ी देर बाद कहा….जब तक वो असल मक़सद की तरफ ना आए उसे इतमीनान दिलाते रहो कि उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ भी नही करोगे….
और असल मामले की हम लोगों को हवा तक लगने नही दी….!
बड़ी घुटन में मुब्तेला हूँ इमरान साहब….
तुम से ज़्यादा घुटन में मैं खुद मुब्तेला हूँ….
तो फिर….ब्लॅकमेलिंग की चीज़ों पर कब्जा करने की कोशिश की जिए….!
तुम्हारी इज़्ज़त बचाने की खातिर….? इमरान ने सवाल किया
यही समझ ली जिए….
और उसके बाद वो जो कुछ करना चाहता है किसी और के ज़रिए से कर गुज़रेगा….!
आप इस तरह क्यूँ नही सोचते….क….क….क्क़….
यह मेरी बहेन के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल है….?
यही….मैं यही कहना चाहता था….शाहिद जल्दी से बोला
लेकिन….यह लाखों बहनों के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल बन जाए तो….समझने की कोशिश करो….पहले मैं यह सिर्फ़ मेरी बहेन के मुस्तकबिल (भविष्य) का सवाल समझा था….
लेकिन जब यह मालूम हो गया कि तुम्हारा सामना किन लोगों से है….
और तुम्हारी पोज़िशन उन्हे किसी किस्म का फ़ायदा पहुँचा सकती है तो यह पूरी क़ौम के मुस्तकबिल का सवाल बन गया है….डॉक्टर शाहिद….मैं अपने खानदान को पूरी क़ौम पर फौखियत (प्राथमिकता) नही दे सकता….!
डॉक्टर शाहिद कुछ ना बोला….आगे का सफ़र खामोशी से तय हुआ….!
रहमान साहब के महेक्मे के लोग हैरत में आ गये थे….उन्हे सिर्फ़ इमरान की तलाश थी….
और इमरान का कहीं पता ना था….खुद रहमान साहब दिन भर उसके फील्ड के नंबर डाइयल करते रहे….
लेकिन हर बार यही जवाब मिलता कि वो अभी तक वापस नही आया….!
फिर अचानक….रात गये खुद इमरान की कॉल उन्होने घर पर रिसीव की….डॉक्टर शाहिद के बयान के ताल्लुक आप की क्या राय है….उसने रहमान साहब से पूछा
फ़ौरन घर पहुँचो….फोन पर गुफ्तगू नही कर सकता….रहमान साहब झुनझूला कर बोले….सुबह से तुम्हारी तलाश जारी है….!
क्या घर पहुँचना ज़रूरी है….?
बेहद ज़रूरी है….
रिसेवर रख कर रहमान साहब बेसब्री से इमरान का इंतेज़ार करने लगे….!
आधे घंटे के अंदर इमरान घर पहुँच गया….
क्या करते फिर रहे हो तुम….? रहमान साहब इमरान को देखते ही दहाड़े
व….व….वो पागल हो गयी है….!
क्या बकवास कर रहे हो….
हंस की बेटी….बारिश का दूर-दूर तक पता नही….
लेकिन वो सुबह से बरसाती पहने….
और छतरी लगाए शहेर में घूमती फिर रही है….!
और….तुम उसके पीछे झक मारते फिर रहे हो….?
इमरान कुछ ना बोला….वो उन्हे गौर से देखने लगा….
और खुद रहमान साहब उसकी तरफ मुतवजा (अट्रॅक्ट) नही थे….बहुत ज़्यादा फ़िक्रमंद दिखाई दे रहे थे….!
कोई ख़ास बात है डॅडी….? इमरान ने आहिस्ता से पूछा
बहुत ही ख़ास….शाहिद को मालूम हो गया है कि वो ना-मालूम आदमी उससे क्या चाहता है….!
उसे ना-मालूम ना कहें….
क्यूँ कि मैं उसे जानता हूँ….!
कौन है….?
यह मैं बाद में बताउन्गा….पहले आप यह बताइए कि शाहिद को किस बात का मालूम हो गया है….?
उसने जो बात पिछली रात तुम्हे नही बताई उसका इल्म मुझे आज हो गया है….
हो सकता है मेरा भी यही अंदाज़ा है कि वो मुझे कुछ बताना चाहता था….
लेकिन फिर….इरादा बदल दिया था….हो सकता है इसकी वजह बाद की पक्कड़-धक्कड़ ही रही हो….सहेम गया होगा….बस इसी रट पर था क़ि किसी तरह ब्लॅकमेलिंग की चीज़ें हासिल कर ली जाए….!
मैं तस्सवूर भी नही कर सकता कि शाहिद वो काम कर गुज़रेगा….रहमान साहब चिंता जनक लहजे में बोले
तो आप उस काम से आगाह हो गये है….?
मिड्ल-ईस्ट के एक मुल्क के सरबराह (प्रमुख) का मामला है….
ओह….
दिल का मरीज़ है….माहेरीन (एक्सपर्ट्स) ने ऑपरेशन का मशवरा दिया है….
और ऑपरेशन यहीं होना तय हुआ है….
और शाहिद ही यह दिल की सर्जरी में सबसे उपर है….!
खुदा की पनाह….इमरान अपना सर सहलाने लगा
रहमान साहब ने मुल्क और प्रमुख का नाम बताते हुए कहा….आज ही मुझे बाज़ाबता तौर पर इत्तेला मिली है ताकि सेक्यूरिटी इंतज़ाम की जा सके….!
बहेरहाल….शाहिद ने हिम्मत हार दी है….यक़ीनन उसे मालूम हो गया है….पिछली रात अगर केफे कोहान पहुँचने से पहले ही वो दोबारा पकड़ ना लिया होता तो शायद कुछ बता देता….!
मैं तुम्हे इसलिए ही तलाश कर रहा था क़ि अब तुम उस आदमी की सही निशानदेही कर दो….जो शाहिद को ब्लॅकमेल कर रहा है….!
मेजर एम.ए डेविड….साज़िशों के ज़रिए गैर मुल्कों को जानदार बनाने का माहिर….!
वो कहाँ है….? रहमान साहब ने पूछा
आज दिन भर उसी की तलाश में रहा हूँ….जल्द ही उसके नये ठिकाने का सुराग मिल जाएगा….आप बेफ़िक्र रहिए….
मगर वो प्रमुख यहाँ कब पहुँच रहा है….?
एक हफ्ते के बाद….
बहुत वक़्त है….उससे पहले ही डेविड को ठिकाने लगा कर दफ़न कर दिया जाएगा….!
क्यूँ बकवास कर रहे हो….
यही होगा….इसके अलावा और कोई चारा नही….मैं तस्दीक़ (पुष्टि) कर चुका हूँ वो अपने 8 आदमियों समेत गैर क़ानूनी तौर पर अपने मुल्क में दाखिल हुआ है….उसके आने का कोई सबूत दर्ज नही किया गया है….
इसलिए उसकी वापसी का दारोमदार हमारी हुकूमत पर नही होगा….!
मैं कोई बे-ज़ाबता (अनोप्चारिक) करवाई हरगिज़ ना होने दूँगा….रहमान साहब फिर भड़क गये
ब-ज़ाबता करवाई की सूरत में उस सिर्फ़ यही इल्ज़ाम होगा कि वो गैर क़ानूनी तौर पर मुल्क में दाखिल हुआ है….आप किसी तरह भी साबित नही कर सकते कि वोही शाहिद को ब्लॅकमेल कर के उससे गैर क़ानूनी काम करना चाहता था….
और आप यह भी अच्छी तरह जानते है कि डेविड के मुल्क की हुकूमत किसी तरह भी कबूल नही करेगी कि डेविड वो काम उन्ही के इशारे पर करना चाहता था….
रहमान साहब कुछ ना बोले….इमरान कहता रहा….मरीज़ प्रमुख उस मुल्क का खुला हुआ विरोधी है….
लेकिन उसके बाद गाड़ी जिस के हिस्से में आने वाली है उसकी परवरिश ही उस मुल्क में हुई थी वो खुद को उस मुल्क का आधा शहरी कहता है….ज़ाहिर है कि मौजूदा प्रमुख की मौत के बाद जब दूसरा प्रमुख आएगा तो उसकी फॉरिन पॉलिसी डेविड के मुल्क के अनुकूल होगी….!
सवाल तो यह है कि….
अपने महेक्मे को इस मामले से कतई अलग रखे….इमरान बात काट कर बोला
तुम क्या करोगे….?
बता दूँगा….हर बात आप के इल्म में आएगी….आप सिर्फ़ सेक्यूरिटी इंतज़ाम करते रहे….डेविड का मामला मुझ पर छोड़ दी जिए….!
वो आख़िर है कहाँ….?
जहाँ भी होगा….मुझसे कॉंटॅक्ट ज़रूर करेगा….ढांप ने उसे चकरा कर रखा है…..!
ढांप….रहमान साहब बुरा सा मुँह बना कर बोले….वो पोलीस के रेकॉर्ड पर भी आ जाएगा….फिंगर-प्रिंट्स का ख़याल रखना….!
ख़ास तौर पर इसी का ख़याल रखता हूँ….
लड़की का क्या किस्सा है….?
उसी हाल में मारी-मारी फिर रही है जो अभी बयान कर चुका हूँ….
मक़सद….?
बस उसी का मक़सद मेरी समझमे नही आ रहा….!
एक बार फिर कह रहा हूँ बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है….
बेफ़िक्र रहिए….इमरान किसी और से मिले बगैर बाहर निकल गया….
फिर जब उसकी टू-सीटर फाटक से निकली….
अचानक रास्ता रोक लिया गया….
कॉर्निला छतरी लिए सामने खड़ी थी….
और बरसाती भी पहेनी हुई थी….!
क्यूँ जान को आ गयी हो….इमरान कराहा….कहाँ जाना है….?
कॉर्निला बाईं (लेफ्ट) तरफ वाले दरवाज़े की तरफ आ कर खड़ी हो गयी….इमरान ने उसके लिए दरवाज़ा खोला….
और वो गाड़ी में बैठती हुई बड़बड़ाई….12:30 बजे तुम ने आज मुझे कयि बार देखा….
लेकिन ध्यान नही दिया….वो मिन्मीनाई
ध्यान देता तो खुद भी तमाशा बन जाता….
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