RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
उनकी गरमा गर्म चुदाई देख कर मेरा सारा शरीर पसीने से तर बतर हो चुका था और बुरी तरह तप रहा था तभी मुझे याद आया कि मैं यहाँ क्या करने आया था
ठीक दहलीज़ के सामने मैंने बेताल वाली खोपड़ी गाड़ दी। अब बेताल ने उस घर को बाँध लिया था। अपना काम ख़त्म करके मैं खिसक गया और निकट ही वट वृक्ष के नीचे बैठ गया।
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अँधेरी रात थी।
आसमान सूना-सूना लग रहा था।
रात के तीसरे पहर मेहतर के घर में चीख पुकार का शोर मचा। आतंक में डूबा रुदन शुरू हुआ और मैंने मेहतर को बाहर निकलते देखा। वह जल्दी-जल्दी पड़ोसियों के मकान की तरफ जा रहा था, मैंने दौड़कर अँधेरी राह पर उसका रास्ता रोक लिया।
“अलख निरंजन...।” मैंने जोर से कहा।
वह एकदम डर गया। अन्धेरे में मेरी खौफनाक आकृति किसी को भी दहशत में डाल सकती थी, वह काँपता हुआ पीछे हटा।
“तेरा नाम कल्लू मेहतर है ?”
“हां...हां...।”
“और तेरी बीवी गर्भवती है क्यों...?”
“हाँ...।उसका पेट गुब्बारे की तरह फूलता जा रहा है... मुझ पर रहम करो... आप कोई अन्तर्यामी लगते हो...?” उसकी आवाज़ काँप रही थी।
“औघड़ बाबा सब ठीक कर देगा... एक जुगत लड़ानी होगी।”
“क्या ?”
“मेरे साथ आ।”
वह मेरे पीछे-पीछे आ गया, मैं उसे वटवृक्ष के पीछे झाड़ी-झंकार में ले गया। वह बहुत डरा हुआ था, पर सम्मोहित सा मेरे पीछे आ गया। उसने भागने का प्रयास नहीं किया।
“औघड़ बाबा ! मेरी बीवी की जान बचा दो।”
“बच जाएगी... लेकिन तेरे घर का विनाश मुझे नजर आ रहा है।”
“बाबा...कोई उपाय नहीं।”
“उपाय है...मगर तेरा हौसला नहीं।”
“अपनी बीवी के लिए जान भी दे सकता हूँ।”
“यह बात है तो सुन। तेर घर में जो भूत घुसे हैं, मैं उन्हें बाँधकर रखता हूँ... तुझे एक काम करना होगा।”
“क्या ?”
“गढ़ी में एक शमशेर सिंह नाम का आदमी रहता है...रहता है न...।”
“हाँ...।”
“वह तेरी सुंदर बीवी पर बुरी निगाह रखता है... और यह काम उसी ने किया है।”
“हे भगवान् – मैं क्या करूँ... वह तो बड़ा जालिम है।”
“उस जालिम पर मैं उलटा भूत मार दूंगा और तेरा घर विनाश लीला से बच जाएगा, लेकिन तुझे एक काम करना होगा।”
“क्या ?”
“जब तक शमशेर गढ़ी के भीतर है, तब तक उस पर भूत असर नहीं डाल सकता, तुझे यह पता करना होगा की गढ़ी से बाहर वह कब निकलता है और कहां-कहां जाता है। तुझे बड़ी सावधानी से इसका पता निकालना होगा। किसी को कानो कान खबर न लगे... और तेरे घर में जो कुछ हो रहा है उसका किसी से जिक्र न करना... बोल यह काम कर सकेगा ?”
“कर लूंगा... यह कोई मुश्किल काम नहीं।”
“अब जाकर घर के लोगों को शांत कर तेरी बीवी को कुछ नहीं होगा, और सुन...तुझे लिखना आता है।”
“थोड़ा-थोड़ा।”
“तो तू जो कुछ मालूम करे वह कागज़ में लिखकर वटवृक्ष की जड़ में छोड़ता रह... रोज रात को तुझे यह काम करना है... आ मैं बताता हूँ कहाँ पर कागज़ छोड़ना है।”
मैंने उसे कागज़ छोड़ने की जगह बताई और उसे रुखसत किया। अब मैंने पास के जंगल की शरण ली।
जब तक मुझे सारी रिपोर्ट नहीं मिल गई तब तक मैं उसी कस्बे के आस-पास भटकता रहा, मैंने अपने आपको लोगों की निगाह से बचा कर रखा – क्योंकि ठाकुर के कुत्ते मेरी गन्ध सूंघते फिर रहे थे।
आखिर मुझे एक विशेष जानकारी मिली, मेरा काम बन गया था। शमशेर सिंह एक अय्याश आदमी था और हर दूसरे-तीसरे रोज एक सुंदर वैश्या के यहाँ जाता था, आधी रात तक वहीं रहता था।
इस वैश्या का नाम कमला बाई था और यह उसी कसबे में रहती थी, कमला बाई के कोठे पर नाच गाना भी होता था और वह ठाकुरों की चहेती थी। शमशेर उस पर दिलो जान से फ़िदा था।
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