RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
“गेट के दायीं तरफ एक नीम का पेड़ है उससे पांच कदम दूर गुलाब की झाड़ी के पास सफ़ेद पत्थर है... एक हंडिया उसके नीचे है... दूसरी पश्चिम में नौकरों के क्वार्टरों के पीछे ठीक दीवार को छूती हुई।”
“ठीक-ठीक निशान बताते चलो... और झूठ निकला तो अन्जाम जानते ही हो...।”
वह बताता रहा और मैं गौर से नोट करता रहा। थोड़ी देर बाद मैं उसके कोचवान को घसीट कर वहां लाया। कोचवान को होश में लाया गया और उसे भी बेताल का करिश्मा दिखाया। वह कमजोर दिल का आदमी कांपती टांगों का सहारा भी ना ले सका और धड़ाम से अपने मालिक के पास आ गिरा।
“जमूरे.... अपने कपडे पहन।” मैंने कोचवान को कपड़े सौंपे – “आज बेताल तेरी गाड़ी में सफ़र करेगा...।”
“न...नहीं... वह हकलाया – “मेरे बाल बच्चों पर तरस खाओ...।”
“शमशेर इसे कह कि मेरे हुक्म का पालन करे... वरना तुम दोनों की खैर नहीं। मेरे पास वक़्त कम है।”
कोचवान मेरे पैरों में लंबा लेट गया। मैंने उसका गिरेबान पकड़ कर उठाया और उसे खींचता हुआ फिटिन तक ले गया। उसके बाद मैंने शमशेर के कपडे पहने बन्दूक उठाई और फिटिन में बैठ गया।
“चल जमूरे... चाल दिखा... अगर तूने कहीं भी देर की तो तेरा मालिक परलोक सिधार जाएगा... याद रख अगिया बेताल तेरे पीछे बैठा है... अपने बाल बच्चों की खैर मनाता चल।”
वह बुरी तरह काँप रहा था, वह बोल नहीं पा रहा था – बस दांत बज रहे थे। मेरे शब्द सुनते ही उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और फिटिन (घोडा गाड़ी ) अपने पथ पर आगे बढ़ गई।
अब मैं गढ़ी की तरफ जा रहा था।
मैंने शमशेर से काफी कुछ जानकारी प्राप्त कर ली थी। फाटक पर दो चौकीदार होंगे... बंदूकधारी.... पर वे फिटिन को नहीं रोकेंगे – क्योंकि वे जानते है की फिटिन में कौन होगा।
गेट पार करने में कोई कठिनाई नहीं थी। उन दो के अलावा गढ़ी की चौकीदारी रात के समय में कोई नहीं करता था, सिर्फ एक आदमी ऊपरी बुर्ज पर पहरा देता था।
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