Horror Sex Kahani अगिया बेताल
10-26-2020, 12:57 PM,
#85
RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
इसके बाद मैंने सूरज गढ़ का रूख नहीं लिया। एक आदिवासी गांव में एक झोपड़े में मुझे पनाह मिल गई परंतु मेरी स्थिति असहाय इंसानो जैसी हो गई थी। उस वक्त मुझे अपनी जिंदगी पर कोफ्त महसूस होती, जब मैं अपनी टांगो को देखा करता था। जीने के लिये कोई सहारा भी तो शेष नहीं रहा था। बस जब जिस वक्त की जरूरत पड़ती मैं बेताल से मांग लेता पर मैं कैद की जिंदगी गुजार रहा था।

उस आबादी से जल्दी मेरा मन भर गया।

मैं खुली हवा में जीना चाहता था। और बेताल के आगे भीख नहीं मांगना चाहता था। लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि कहां जाऊं किस प्रकार जाऊं।

उस रात बेताल ने मुझे याद दिलाया।

“मेरे आका कल तेईसवी रात फिर आ गई है। मैं आपको याद दिलाना चाहता था।”

“तेईसवी रात….।” मुझे झटका सा लगा।

“हां आका - बेताल को नरबलि चाहिए।”

“लेकिन बेताल, तुम जानते हो मेरी टांगों में अब शक्ति नहीं है। मैं तुम्हारी यह इच्छा कैसे पूर्ण कर सकता हूं।”

“इसमें मेरा स्वार्थ है आका ! मैंने उस रात आपसे कहा था कि काले पहाड़ पर क्या हुआ, आपको जरूर बताऊंगा। आज मैं बता रहा हूं कि मेरा स्वार्थ क्या है।”\

एक पल बाद उसने कहा – “आका ! मैं बेतालों का बादशाह बनना चाहता हूं इसलिये मुझे तेईस बार बलि चाहिए…. फिर मैं संपूर्ण रूप से शक्तिवान बन जाऊंगा और वह खजाना, जिसकी आप इच्छा रखते थे आपके कदमों में डाल दूंगा। उस खजाने पर कपाल भवानी का तंत्र था, और वह स्वयं एक नाग के रूप में उसकी हिफाजत करता था। कपाल भवानी के कारण ही हम बेताल उस सीमा में नहीं जाते थे, परंतु ठाकुर या आपको शायद यह ज्ञान नहीं था कि कपाल भवानी पूरा खजाना वहां से हटते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकता था। यद्यपि राज घराने वाले उसके मालिक थे, परंतु ऐसा कभी नहीं हो सकता था कि उनका उस पर पूर्ण अधिकार हो जाये। राजघराने वाले उसमें से आवश्यकता अनुसार ही खर्च कर सकते थे, और जरुरत पड़ने पर बढ़ोतरी भी कर सकते थे। पर जब कपाल का तेज टूटा गया और सारा खजाना ले जाया जाने लगा तो वह रोकने के लिये उपस्थित हुआ, जिसे ठाकुर ने खत्म कर दिया। कपाल को सिर्फ राजघराने का आदमी ही खत्म कर सकता था अन्यथा वह सर्प कभी खत्म ना होता और खजाना ले जाने वाले का मार्ग रोक लेता। कपाल के मरते ही उसकी सारी शक्ति विलीन हो गई और उसे उसी क्षण हमें पता लगा कि काले पहाड़ पर की गुप्त शक्तियां आधी रह गई है वह छिन्न-भिन्न हो गई है क्योंकि शक्तिमान कपाल अब वहां नहीं रहा। बेतालों ने यह तय किया कि तत्काल हमला करके उस बची-खुची ताकत का सर्वनाश कर दिया जाये साथ ही धन बेतालों अधिकार में आ जाए।

और उस रात हमला कर दिया गया, जिसमें हम विजयी हुए साथ ही बेतालों के अधिकार में वह खजाना आ गया। इस कारण मेरे मन में तीव्र इच्छा हुई कि मैं सर्वशक्तिमान बनूं ताकि मैं मनुष्य योनि में विचर सकूं और आप लोगों के संसार का आनंद प्राप्त कर सकूं।और जिस दिन मेरा यह सपना पूरा हो जावेगा, उस दिन मेरी सहायता से आप सारी दुनिया हिला सकेंगे। बेताल सेना आपकी गुलाम होगी और आप उस दौलत के स्वामी होंगे।

“लेकिन यह सब करके मुझे क्या मिलेगा। मेरे पास तो टांगे भी नहींहै... मैं तो बेसहारा पंगु इंसान मात्र रह गया हूं।”

“अपनी भावनाओं और इरादों को मजबूत बनाइए... टांगे आपको मैं दे दूंगा और आप हमेशा मेरी तरह जवान रहेंगे।”

“अगर यह बात है तो मेरी टांगों की शक्ति दो।”

“लेकिन अपना वचन ना भूलियेगा। आप तांत्रिक हैं और तांत्रिक रहेंगे।”

“ठीक है बेताल में वचन निभाऊंगा !”

कुछ देर बाद ही मुझे एहसास हुआ जैसे मेरी टांगों में शक्ति भर आई है…. मैंने उन्हें झटका... टांगे ठीक थी। मैं खुशी से भागता उठ खड़ा हुआ। मुझे अपने भीतर एक नई शांति का आभास हुआ। मैं अपने झोपड़े से बाहर निकल आया। इतने दिन झोपड़े में रहने के बाद मेरा मन खुली हवा में घूमने को कर रहा था और मैं दूर-दूर तक भ्रमण करना चाहता था।

मैं चल पड़ा। एक गांव के बाद दूसरे गांव।पांव थकते नहीं थे और स्वछंद वातावरण में घूमने के बाद यह बात दिमाग से उतर ही गई थी कि मुझे बलि का साधन खोजना है। एक गांव में मैंने देखा - खुले आंगन में कुछ लोग पंक्तिबद्ध बैठे हैं और ये सब लिवासों से ब्राह्मण नजर आ रहे थे। मेरे रुकने का कारण स्वादिष्ट व्यंजनों की महक थी। वैसे भी मुझे भूख लगी हुई थी एक लंबे अरसे बाद इस प्रकार की महक नथुनों में पड़ी तो दिल मचल उठा।

भूख ने और भी जोर पकड़ लिया और मैं आंगन की तरफ मुड़ गया। वहां पहुंचते ही मैंने अदम्य सौंदर्य की देवी को देखा। वह सफेद सादी धोती पहनी थी, परंतु उसमें भी स्वर्ग से उतरी अप्सरा जैसी लग रही थी। उसके मुख मंडल पर अलौकिक आभा चमक रही थी और सौंदर्य रस अंग-अंग में छिपा प्रतीत होता था।

इस गांव में यह सुंदर रमणी कहां से आ गई - इसे तो राजा महाराजाओं के महलों की आलीशान दीवारों के बीच होना चाहिए था। कुछ देर तक मैं उसे टकटकी बांधे देखता रहा फिर मैंने देखा एक आदमी पंडितों के आगे पत्तर रख रहा है।

भूख कुलमुलाई और मैं भी कतार में चुपचाप बैठ गया। मेरे पड़ोसी पंडित ने चौंक कर मुझे घूआ रा और तनिक परे हट गया। मुझे उस पर बहुत कोफ़्त महसूस हुई। उसके मुख मंडल से पता चलता था कि उसने मुझे तिरस्कार और नफरत की दृष्टि से देखा था।
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल - by desiaks - 10-26-2020, 12:57 PM

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