RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“वो कैसे, सर ?”
“वो ताकत के मद में इतना ऐंठ चुका है कि अपने आपको आइलैंड का बादशाह समझता है । समझता है कि जो कोई भी आइलैंड पर बसा है और बाहर से आकर कदम रखता है, वो उसका सबजैक्ट है और वो जैसे चाहे उसके साथ पेश आ सकता है । इसी ऐंठ में हाल में ऐसी करतूत की कि जिन पर एक्सपोज्ड नहीं भी था, उन पर भी एक्सपोज हो गया ।”
“क्या किया ?”
“मुम्बई से वहां पहुंची मीनाक्षी कदम नाम की एक टूरिस्ट महिला को सरेराह रोक लिया । महिला फिल्म स्टार्स जैसी नौजवान और जगमग बताई जाती है । नार्थ पायर रोड पर अपनी कार ड्राइव करती आ रही थी कि महाबोले की - जो कि तब वर्दी और दारू के दोहरे नशे के हवाले था - उस पर निगाह पड़ी, उसने घुटनों तक लार टपकाई और अपनी जीप उसके रास्ते में अड़ा कर उसे रोक लिया, बोला, जिगजैग चला रही थी, चालान होगा । साथ में हिंट देने लगा कि वो उस पर मेहरबान होती तो चालान माफ हो सकता था । महिला ने हिंट न लिया तो बोला हेरोइन की बरामदी दिखा दूंगा, ले जा के हवालात में बंद कर दूंगा, ऐसी दुरगत होगी कि तमाम पालिश उतर जायेगी । उस धमकी से वो महिला घबरा गयी, तलाशी के लिये अपना हैण्डबैग पेश करने लग गयी कि उसके पास ड्रग्स जैसी कोई चीज नहीं थी । महाबोले ने हैण्डबैग खोला और उसमें मौजूद सौ सौ डालर के दो नोट अपने काबू में कर लिये और महिला को चला जाने दिया । ...जंटलमैन, आप सोच रहे होंगे कि ये वाकया हमारे - मुम्बई पुलिस के - नोटिस में कैसे आया !”
सबके सिर सहमति में हिले ।
“वो महिला इधर एनसीपी के एक एमपी की करीबी थी, मुम्बई पहुंच कर उसने तमाम किस्सा एमपी को सुनाया तो एमपी आगबगूला हो उठा, उसे लेकर मंत्रालय में होम मिनिस्टर के पास पहुंच गया जो कि कोलीशन सरकार में उसी की पार्टी का है । मिनिस्टर ने उसी वक्त खड़े पैर हमारे कमिश्नर को मंत्रालय में तलब किया जहां कि उस स्ट्रेटेजी की बुनियाद बनी जो कि इस वक्त अंडर डिसकशन है । होम मिनिस्टर की सहमति के अंतर्गत ये फैसला हुआ कि आइलैंड के करप्ट निजाम को थोड़ा अरसा और छूट दी जाये और इस बार कोई ऐसा अंडरकवर एजेंट तलाश किया जाये जो महकमे का हो भी और न भी हो । यानी कि पड़ताल पर जिसका कोई रिश्ता महकमे से न जोड़ा जा सकता हो । जिस पर किसी सूरत में पुलिस का भेदिया होने का शक न किया जा सके । यूं हम निर्विवाद रूप से इस बात की तसदीक होने की उम्मीद कर रहे हैं कि आइलैंड का निजाम सिर्फ पुलिस और लोकल सिविल एडमिनिट्रेशन की करप्शन के हवाले है या वो उन्हीं लोगों की मदद से एस्पियानेज का, नॉरकॉटिक्स और आर्म्स समगलिंग का गढ़ भी बना हुआ है ।”
सबने गम्भीरता से सहमति में सिर हिलाये ।
“आइलैंड की बाबत” - जायंट कमिश्नर आगे बढ़ा - “हाल ही में एक और बात भी उजागर हुई है कि गोवा का एक बड़ा रैकेटियर वहां मुकाम पाये है । गोवा में उसके कानूनी गैरकानूनी कई जुए के अड्डे हैं । अब उसकी नजरेइनायत कोनाकोना आइलैंड पर हुई है तो कोई बड़ी बात नहीं कि वो वहां कोई स्वैननैक प्वायंट जैसा बड़ा कैसीनो खड़ा करने के ख्वाब देख रहा हो ।”
“सर” - डीसीपी पाटिल तनिक प्रतिवादपूर्ण स्वर में बोला - “स्वैननैक प्वायंट पाकिस्तान की मिल्कियत था, उस पर हमारा कोई जोर नहीं था, भारत सरकार वहां चलते किन्हीं कार्यकलापों की बाबत कोई कदम उठाती थी तो पाकिस्तान हल्ला करने लगता था और उसे पाकिस्तानी टैरीटैरी पर हमला करार देने लगता था । नतीजतन, मजबूरन, भारत सरकार को अपना कदम वापिस लेना पड़ता था । लेकिन कोनोकोना आइलैंड तो भारत है; क्रॉस आइलैंड, बूचर आइलैंड, एलिफेंटा आइलैंड जैसे कई आइलैंड्स की तरह भारत है, वहां किसी गोवानी रैकेटियर की, किसी गेम्बलिंग जायंट्स आपरेटर की वैसी पेश कैसे चलेगी जैसी पाकिस्तान की सपरपरस्ती में बादशाह अब्दुल मजीद दलवई की स्वैननैक प्वायंट आइलैंड पर चली !”
“तफ्तीश का मुद्दा है । जो कि हमारी आइंदा स्ट्रेटेजी रंग लाई तो बहुत मुस्तैदी से होगी, बहुत बारीकी से होगी ।”
“है कौन वो गोवानी रैकेटियर ?” - एडीशनल कमिश्नर दीक्षित ने पूछा ।
“उसका नाम फ्रांसिस मैग्नोरो है । कनफर्म हुआ है कि आजकल स्थायी रूप से आइलैंड पर मुकाम पाये है और म्यूनीसिपल प्रेसिडेंट मोकाशी और एसएचओ महाबोले से उसकी खूब गाढ़ी छनती है । वो तीनों वहां ट्रिपल एम और त्रिमुर्ति जैसे नामों से मशहूर हैं ।”
“चोर चोर मौसेरे भाई ।” - डीसीपी पाटिल के मुंह से निकला ।
“यू सैड इट, पाटिल । ऐन मेरे मुंह की बात छीनी । ब्रावो !”
डीसीपी पाटिल शिष्ट भाव से मुस्कराया ।
“बहरहाल अब सुरतअहवाल ये है कि हमें एक ऐसा आदमी दरकार है जो किसी पुलिस या एडमिनिस्ट्रेटिव बैकिंग की उम्मीद न करे, जिसे अपने लोन प्लेयर के रोल से गुरेज न हो और जो शेर की मांद में कदम रखने का हौसला कर सके । ऐसा एक आदमी इंस्पेक्टर महात्रे ने अपने डीसीपी को - नितिन पाटिल को - सुझाया है और पाटिल ने उसका जिक्र आगे कमिश्नर साहब से और मेरे से किया है । बेहतर होगा कि उसकी बाबत आगे जो कहना है, वो महात्रे खुद कहे । महात्रे !”
“यस, सर ।” - महात्रे हड़बड़ाया और फिर तत्पर स्वर में बोला । साथ ही उसने उठकर खड़ा होने की कोशिश की ।
“नो, नो” - तत्काल जायंट कमिश्नर बोला - “कीप सिटिंग । यू डोंट हैव टु स्टैण्ड टु बी हर्ड ।”
“यस, सर ! थैंक्यू, सर !” - महात्रे बोला, फिर झिझकता, सकुचाता आगे बढ़ा - “वो क्या है कि वो भीङू -आदमी - अभी एक साल पहले तक पुलिस के महकमे में ही था - मेरे थाने में, बोले तो ग्रांट रोड थाने में, मेरे साथ एएसएचओ था - करप्ट कॉप था, भाई लोगों के हाथों पूरी तरह से बिका हुआ था । लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि जब कि डीसीपी साहब” - उसने अदब से पाटिल की तरफ इशारा किया - “जो कि डीसीपी देशपाण्डे साहब के एकाएक रिजाइन कर जाने की वजह से उनकी जगह तब नये नये आये थे - बतौर करप्ट कॉप उसकी शिनाख्त भी कर चुके थे और उसका सस्पेंशन आर्डर तक तैयार हो चुका था, उसने साहब को उन्हीं लोगों के खिलाफ खड़ा होने का, जिनका कि वो चमचा बना हुआ था, ऐसा मजबूत इरादा दिखाया कि उसका सस्पेंशन आर्डर थोड़े अरसे के लिये रोक लिया गया । हालात कुछ ऐसे बने कि जिन भाई लोगों के हाथों वो पूरी तरह से बिका हुआ था, उन्हीं ने उसके छोटे भाई का - जो कि उससे ग्यारह साल छोटा था, दादर थाने मे सब-इंस्पेक्टर था - एक बाहर से बुलाये कांट्रैक्ट किलर से कत्ल करा दिया । डीसीपी साहब से वादे के तहत और भाई का बदला लेने के इरादे के तहत उसने भाई लोगों के खिलाफ अकेले ही जिहाद छेड़ दिया और उनके साथ एक फेस टु फेस शूट आउट में कंधे मे गोली खा कर गम्भीर रूप से घायल हुआ । उसने पकड़े गये भाई लोगों के खिलाफ गवाह बनना कबूल कर दिया इसलिये वादामाफ गवाह का दर्जा पाकर सस्ते में छूट गया - खाली नौकरी से बर्खास्त किया गया - वर्ना पांच की तो कम से कम लगती ।”
“करैक्ट !” - जायंट कमिश्नर बोला - “वो आदमी हमारे काम का साबित हो सकता है... होगा ।”
“इंस्पेक्टर बोला” - एडीशनल कमिश्नर की भवें उठीं - “उसके कंधे में गोली लगी थी, वो गम्भीर रूप से घायल हुआ था !”
“एक साल पहले ! परसों नहीं !”
“जी !”
“सर” - इंस्पेक्टर महात्रे जल्दी से बोला - “वो पूरी तरह से तंदरुस्त हो चुका है । रिकवरी में पूरे पांच महीने लगे थे लेकिन अब वो पर्फेक्ट हैल्थ में है !”
“गुड !” - जायंट कमिश्नर बोला - “पुलिस की नौकरी से गया । अब क्या करता है ? दैट इज, अगर कुछ करता है तो !”
“करता है । आज कल वो बांद्रा के एक फैंसी बार का सिक्योरिटी इंचार्ज है ।”
“फैंसी नाम ! सिक्योरिटी इंचार्ज ! असल में बाउंसर होगा !”
महात्रे खामोश रहा ।
“वो असाइनमेंट को फौरन हाथ में लेने की स्थिति में होगा ?”
“सर, मेरे खयाल से तो होगा !”
“तुम्हारे खायाल से ?”
“वो मामूली नौकरी है, छोड़ देने से वैसी कभी भी फिर मिल जायेगी ।”
“लेकिन तुम्हारे खयाल से ?”
“मैं...मैं मालूम करूंगा ।”
“कौन है वो ? क्या नाम है ? कहां पाया जाता है ?”
महात्रे ने बताया ।
***
नीलेश गोखले बस पर सवार हो कर खार पहुंचा और आगे उस सड़क पर बढ़ा जिस पर आचार्य अत्रे का धर्मार्थ सेवा आश्रम था ।
आचार्य जी नीलेश के पिता की जिंदगी में पिता के अभिन्न मित्र थे और तब भी और आज एक अरसा पहले हो चुकी पिता की मौत के बाद भी, गोखले परिवार के कुल गुरु का दर्जा रखते थे । उसके स्वर्गीय भाई राजेश गोखले की आचार्य जी पर उसके मुकाबले में कहीं ज्यादा निष्ठा थी, इतनी कि वो अपनी जिंदगी का कोई भी अहम काम आचार्य जी से सलाह किये बिना नहीं करता था । राजेश गोखले एक नौजवान, निष्ठावान, कर्मठ पुलिस अधिकारी था जो, उसकी बदकिस्मती थी कि, भाई लागों के एक शूटर शिवराज सावंत की करतूत का चश्मदीद गवाह बन गया था, उसने दादर के एक होटल में दशरथ हजारे नाम के एक अपने भाई लोगों से एंटी, नॉरकॉटिक्स डीलर की लाश गिराई थी और धुआं उगलती गन लेकर अभी उसके सिर पर खड़ा था कि राजेश गोखले वहां पहुंच गया था और नाहक, अपनी बदकिस्मती से, उसके खिलाफ चश्मदीद गवाह बन गया था ।
खुद नीलेश उन्हीं भाई लोगों के हाथों बिका करप्ट पुलिसिया था जिसको भाई लोगो का हुक्म हुआ था कि वो अपने भाई को गवाही से रोके वर्ना ‘वो जान से जायेगा और तू भाई से जायेगा’।
उस तमाम हाई टेंशन ड्रामे का अंत ये हुआ था कि कोर्ट में गवाही दे पाने से पहले ही उसका भाई मारा गया था, फाइनल एनकाउंटर में टॉप भाई अन्ना रघु शेट्टी मारा गया था, उसका नैक्स्ट इन कमांड सायाजी घोसालकर फरार होता गिरफ्तार हो गया था, गैंग के कई नामलेवा मवाली भी गिरफ्तार हो गये थे, और खुद वो अन्ना रघु शेट्टी की गोली खाकर मरता मरता बचा था । गोली उसके कंधे में लगी थी, छाती में लगती तो वो ठौर मारा गया होता । गोली की वजह से कंधे की हड्डी बुरी तरह से टूटी थी, नतीजतन एक ही जगह पर तीन बार हुई सर्जरी की वजह से उसे पूरे पांच महीने हस्पताल में काटने पड़े थे, और अभी दो महीने और घर पर पूर्ण स्वास्थ्य लाभ करने में लगे थे ।
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