RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
Chapter 2
नीलेश ने कोंसिका क्लब में कदम रखा ।
जहां कि शांति थी । काम का कोई रश नहीं था ।
वो बार के पीछे पहुंचा, उसने वहां मौजूद पुजारा का अभिवादन किया ।
“कैसा है ?” - पुजारा सहज भाव से बोला ।
“ठीक ।”
“रात को ज्यास्ती लेट हो गया !”
“वांदा नहीं ।”
“इधर सर्विस का कोई प्रेशर नहीं है । चाहे तो आफिस में चला जा और जा के रैस्ट कर ले । झपकी-वपकी मार ले ।”
“जरूरत नहीं ।”
“फिर भी...”
“ठीक है इधर ।”
“यानी मजबूत आदमी है ! हैल्थ चौकस है !”
“है तो ऐसीच ।”
“बढ़िया । आगे भी चौकस रहे, इसके लिये कोई एहतियात बरतता है ?”
“बोले तो ?”
“अच्छी तंदरुस्ती बरकरार रखने के लिये टांग का खास खयाल रखना पड़ता है ।”
“अभी भी बोले तो ?”
“किसी के फटे में नहीं अड़नी चाहिये ।”
“अरे बॉस, क्या पहेलियां बुझा रहे हो ?”
“रोमिला बहुत डीसेंट लड़की है, उससे डीसेंटली पेश आने का । जंटलमैन का माफिक पेश आने का । क्या !”
“ओह ! तो टांग वाली मिसाल उसकी बाबत थी !”
“वो अपने काम से काम रखती है, मैं अपने काम से काम रखता हूं । इधर हर कोई अपने काम से काम रखता है । तेरे को ये बात फालो करने में कोई प्राब्लम ?”
“नहीं । काहे को होगी !”
“बढ़िया ।”
“रोमिला ने कोई शिकायत की है मेरी ?”
“नहीं, भई । मैंने एक जनरल बात की है । तुझे एक आम राय दी है जो तेरे काम आने वाली है । वैसे रोमिला की बात की है तो सुन । वो जिस धंधे मे है, उसमें उससे कोई दायें बायें के सवाल पूछना उसको परेशान करना है । वो बारबाला है, सबको एंटरटेन करना, सबसे हंस के बात करना उसका काम है, उसकी ड्यूटी है । तेरे को पसंद आ गयी है तो बोल उसको ऐसा । वो तेरी, तेरी पसंद की, पूरी पूरी कद्र करेगी ।”
“मैंने कब कहा कि…”
“नहीं कहा तो अब तो कह के देख । मेरे को पक्की करके मालूम वो किसी से फिट नहीं है । तू बढ़िया भीङू है, उसे क्या ऐतराज होगा तेरे से फिट होने में !”
“लेकिन…”
“ऐसा हो तो जो बातें करनी हैं, खुशी से कर, जितनी मर्जी कर । उसमें ऐसा कोई इंटरेस्ट तेरा नहीं है तो उसे हलकान नहीं करने का आजू बाजू के गैरजरूरी सवाल पूछ पूछ कर, उसके फटे में टांग नहीं अड़ाने का, वर्ना…”
“वर्ना क्या ?”
“अंजाम बुरा होगा ।”
“किसका ?”
“सोच !”
तत्काल उसने नीलेश की तरफ से पीठ फेर ली और उससे परे हट गया । नीलेश के दिल की धड़कन बढ़ा कर । उसको एक नयी फिक्र लगा कर ।
***
इंस्पेक्टर महाबाले ने थाने में कदम रखा ।
हवलदार जगन खत्री उसे रिपोर्टिंग रूम में टेबल के पीछे बैठा मिला ।
महाबोले को देखते ही वो उछल कर खड़ा हुआ और उसने महाबोले को ठोक के सैल्यूट मारा ।
“क्या खबर है ?” - महाबोले बोला ।
“सब शांति है, सर जी । राक्सी सिनेमा वाली सड़क पर एक एक्सीडेंट की खबर थी । महाले जा के हैंडल किया ।”
“कैसा था एक्सीडेंट ?”
“मामूली निकला, सर जी । एक टैम्पो एक कार से टकरा गया था । किसी को कोई चोट नहीं आयी थी, खाली कार का अगला बम्फर उखड़ गया था । अपना महाले जा कर सब सैटल किया ।”
“और ?”
“और आइलैंड की पुलिस की दिलचस्पी के काबिल तो कोई खबर नहीं, सर जी, एक और टाइप की खबर है जिसमें शायद आपकी कोई दिलचस्पी हो !”
“बोले तो ?”
“आपको वो भीङू याद है जो कल लेट नाइट में इधर आया और इधर से श्यामला को साथ ले के गया ?”
महाबोले तत्काल चौकन्ना हुआ ।
“हां ।” - वो बोला - “उसकी क्या बात है ?”
“मार्निग में बीच पर फिरता था । पहले रोमिला के साथ बतियाता था, फिर रेस्टोरेंट में श्यामला के साथ, फिर उधरीच दोनों के साथ ।”
“अच्छा !”
“बोले तो कुछ ज्यादा ही फास्ट वर्कर है भीङू ।”
“मैंने बोला था उस भीङू को चैक करने का था !”
“किया न, सर जी !”
“क्या जाना ?”
“मुम्बई से है । उधर भी यहीच जॉब करता था जो इधर कोंसिका क्लब में करता है । बांद्रा में । ठीये का नाम पिकाडिली । उधर का फैंसी बार । ये भीङू उधर बाउंसर । ‘पिकाडिली’ के मैनेजर की सिफारिशी चिटठी लेकर इधर आया । अपने पुजारा को ऐसे एक भीङू की अर्जेंट करके जरूरत थी, उसने फौरन रख लिया ।”
“इधर ही क्यों आया ?”
“सर जी, जब जॉब में चेंज मांगता था तो किधर तो जाना था !”
“मुम्बई से पिच्चासी किलोमीटर दूर किस वास्ते ?”
“होगी कोई प्राब्लम उसे मुम्बई से ! किसी छोटी जगह पर सैटल होना
मांगता होगा !”
“छोटी जगहों का मुम्बई के करीब तोड़ा है ! इधर ही क्यों ?”
“अभी मैं क्या बोलेगा, बॉस !”
“मुझे वो भीङू पसंद नहीं । पता नहीं क्यों खटकता है मेरे को । कल उसकी इधर आमद की वजह से नहीं । वैसे ही खटकता है । मेरे इनसाइड में घंटी बजती है उस भीङू में कोई लोचा ।”
“क्या ?”
“आयेगा पकड़ में ।”
“सर जी, लोचा तो पुजारा को आर्डर दो निकाल बाहर करे । बल्कि आइलैंड पर आर्डर करो कि कोई भी दूसरा बार उसे ऐंगेज करने की कोशिश न करे । साला अपने आप ही इधर से नक्की करेगा ।”
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