RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मैं एकाएक नहीं पहुंच गया था, कमीनी ! जब तेरे को मालूम था मैं आ रहा हूं तो…”
“खता हुई मेरे से । मैं भूल गयी तुम्हारी आमद की बाबत । मेरे से नादानी हुई तो तुम्हें तो दानाई से काम लेना चाहिये था ।”
“क्या करना चाहिये था ?”
“यहां दरवाजा हमेशा तुम्हें अनलॉक्ड मिलता था, आज लॉक्ड मिला तो हिंट लेना चाहिये था । नहीं भीतर आने पर जोर देना चाहिये था । एक ही बार तो खता हुई !”
“क्या हिंट लेना चाहिये था ? तू भीतर ठुक रही है इसलिये मेरे को जा के आना चाहिये था ?”
“तुम वल्गर आदमी हो, इसलिये हर बात को वल्गर ढंग से कहने में अपनी शान समझते हो ।”
“ठहर जा, साली ! ऐसी दुम ठोकूंगा कि….”
“जालिम जुल्म ही कर सकता है । करे । मैं तैयार हूं सहने को ।”
दृढ़ता से उसकी तरफ बढ़ता वो थमक गया । उसने अपलक उसकी तरफ देखा ।
रोमिला ने निडरता से उससे आंख मिलाई ।
“तू बहुत बढ़ बढ़ के बोल रही है ।” - आखिर वो अपेक्षाकृत नम्र स्वर में बोला - “नहीं जानती कि दरिया में रह के मगर से बैर नहीं चलता ।”
“जानती हूं ।” - रोमिला बोली - “दरिया से बाहर की क्या पोजीशन है ?”
“बोले तो ?”
“मै तुम्हारे दरिया को नक्की बोलती हूं ।”
“नक्की बोलती है ! क्या करेगी तू ?”
“अभी करती हूं । देख के जाना ।”
सबसे पहले वो बाथरुम में गयी जहां से बाहर निकली तो नाइटी की जगह जींस के साथ एक पूरी बांह की टी-शर्ट पहने थी । फिर वो वार्डरोब पर पहुंची जहां से उसने एक बड़ा सा सूटकेस निकाला और उसे बैड पर डाल कर खोला । सूटकेस खाली था जिसे वो वार्डरोब से निकाल निकाल कर कपड़ों से और अपने बाकी सामान से भरने लगी ।
“ये क्या कर रही है ?” - वो तीखे स्वर में बोला ।
“तुम्हारी बादशाहत, ये आइलैंड छोड़ कर जा रही हूं । हमेशा के लिये ।”
“साली, कुतरी ! जब तू जानती है कि ये मेरी बादशाहत है तो बादशाह के हुक्म के बिना तू ये कदम नहीं उठा सकती । मुलाजमत के लिये यहां जो कोई भी आता है, मेरी इजाजत से आता है इसलिये मेरी इजाजत से जाता है । साली, मै बोलूंगा तेरे को तू कब इधर से जा सकती है । अब आगे जुबान चलाई तो ले जा के हवालात में बंद कर दूंगा । ऐसा कचरा करूंगा कि नौजवानी की सारी हेंकड़ी भूल जायेगी । क्या !”
वो खामोश रही ।
“यहां तेरा सिफारिशी, तेरा हिमायती रोनी डिसूजा था, तू उसकी खाट थी लेकिन मैं क्या जनता नहीं कि वो अब तेरी सूरत से बेजार है ! उसका खिलौना अब कोई और ही है । अब कौन है यहां जो तेरे को महाबोले के कहर से बचायेगा ? गोपाल पुजारा ! जब उसे खबर लगेगी कि तूने मेरे से पंगा किया, मेरे से भाव खाया तो वो तेरी तरफ से पीठ फेर के खड़ा हो जायेगा । तो और कौन ? नाम ले किसी का जिसे तू समझती है कि तेरा मुहाफिज बन सकता है !”
वो बगलें झांकने लगी ।
“जिसका कोई नहीं होता ।” - फिर हिम्मत करके बोली - “उसका भी कोई होता है ।”
“यानी तेरा भी है ?”
“शायद हो ? ”
“नाम ले उसका ?”
“उसका मिजाज इधर वालों से मेल नहीं खाता । वो जुदा ही किस्म का है । वो इधर वालों जैसा नहीं है । मैं तो पहले ही दिन भांप गयी थी कि…”
“अरे, नाम ले उसका !”
“नीलेश गोखले !”
“वो नवां भीङू ! कोंसिका क्लब का बाउंसर !”
“सब निगाह का धोखा है । वो कोई सरकारी आदमी है । पुलिस आफिसर भी हो तो कोई बड़ी बात नहीं । वो बनेगा मेरा मुहाफिज तुम्हारे जुल्म के खिलाफ !”
“मगज में लोचा साली के । कहानियों से दिल बहला रही है अपना । और समझती है कि उस मामूली नवें भीङू के नाम का हौवा खड़ा करके मेरे को उल्लू बना लेगी । साली, इस बात पर तो मैं तेरी खास दुम ठोकूंगा ।”
आंखों में बड़े हिंसक भाव लिये महाबोले उसकी तरफ बढ़ा ।
रोमिला के प्राण कांप गये ।
एकाएक उसने दरवाजे की तरफ छलांग लगाई । महाबोले ने उसे हाथ फैलाकर थामने की कोशिश की तो वो डुबकी मार गयी और निर्विघ्न दरवाजे पर पहुंच गयी । एक झटके से उसने दरवाजा खोला और उसको पार करके, गलियारे में पहुंच के आगे सीढ़ियों की तरफ भागी ।
पीछे जब तक महाबोले सम्भला तब तक वो हवा से बातें करती एक मंजिल सीढ़िया उतर भी चुकी थी ।
महाबोले ने उसके पीछे जाने का खयाल छोड़ दिया । वो कमरे में उपलब्ध इकलौती कुर्सी पर बैठ गया और जेब से पैकेट निकाल कर एक सिग्रेट सुलगाने में मशगूल हो गया ।
जाये साली जहां जाती थी । सब तामझाम तो उसका वहां पड़ा था-पोशाकें, जूते, सैंडलें, चप्पलें, छोटी मोटी ज्वेलरी, जो पता नहीं असली थी या नकली, सूटकेस, हैंडबैग, सब-तन के कपड़ों के अलावा क्या था उसके पास जिसके बूते वो आइलैंड से निकासी का खयाल करती !
उसने उसका हैण्डबैग उठा कर खोला और भीतर झांका ।
आम जनाना आइटम्स के अलावा उसमें कोई चौदह सौ रुपये मौजूद थे ।
उसने हैण्डबैग को बंद किया और उसे परे उस मेज की तरफ उछाला जिस पर टीवी पड़ा था । हैण्डबैग टीवी कैबिनेट के ऊपर जाकर गिरा और फिर वहां से सरक कर टीवी के पीछे कहीं गुम हो गया ।
कोई और रोकड़ा उसके पास था-होना तो लाजमी था-तो क्या पता कहां रखती थी !
जो ड्रेस पहन कर वो वहां से गयी थी, आनन फानन उसने उसमें नोट भी ठूंस लिये हों, ये मुमकिन नहीं जान पड़ता था । वैसे भी बाथरूम में नोटों का क्या काम !
कहीं नहीं जा सकती थी । जहाज का पंछी थी, साली । जहाज का पंछी उड़ता था तो जहाज ही लौट कर आता था । कुतरी रेंगती हुई लौटेगी और गिड़गिड़ा के माफी की भीख मांगेगी ।
उसने सिग्रेट का लम्बा कश लगाया ।
साली गोखले की हूल देती थी । पुलिस अफसर बताती थी बार के गिलास चमकाने वाले भीङू को !
पुलिस अफसर !
पुलिस की काफी नहीं, अफसर भी !
अफसर !
किसी हाल में वो गोखले की कल्पना एक पुलिस आफिसर के तौर पर न सका-बावजूद इसके कि उसका दिल गवाही देता था कि उस भीङु मे कुछ खास था, कुछ खुफिया था । तभी तो उसने उसकी पड़ताल का हुक्म जारी किया था ।
और ये भी साली का फट्टा था कि लैंडलैडी को उसकी हर आवाजाही की खबर थी । कैसे हो सकती थी ! लैंडलेडी को उसकी खबर लगती तो उसे भी तो लैंडलेडी की खबर लगनी चाहिए थी ! किधर लगी !
देखूंगा साली को ! - उसने जानबूझकर बचा हुआ सिग्रेट रोमिला की सबसे नयी, सबसे कीमती जान पड़ती ब्रा में मसला और उठ खड़ा हुआ-ऐसा सीधा करूंगा साली को कि उस घड़ी को याद करके विलाप करेगी जबकि उसने महाबोले से पंगा लिया था ।
अब किसी को इधर की निगरानी पर भी लगाना होगा ताकि रोमिला लौटे तो उसको फौरन खबर लगे ।
किसको ?
दयाराम भाटे ठीक रहेगा ।
वहां से रुखसत होने के लिये उसने बाजू का ही रास्ता अख्तियार किया । उसे बिल्कुल न लगा कि वो किसी भी क्षण किसी की निगाह में था । महाबोले से ब्लफ खेली साली कुतरी ! और समझा चल गया !
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