RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मेरे साथ-हमारे साथ-ऐसा कुछ नहीं होने वाला । आप मेरे पर ऐतबार लाइये और यकीन जानिये, इधर सब कुछ काबू में है ।”
“सब कुछ?”
“जी हां ।”
“कोई लूपहोल नहीं ?”
“लूपहोल !”
“हां ।”
“आपकी निगाह में है कोई ? आप कुछ कहना चाहते हैं ?”
“आइलैंड पर प्रास्टीच्यूट्स बढ़ती जा रही हैं, मुझे उनसे अंदेशा है ।”
“सब हफ्ता देती हैं, इसलिये सब हमारी निगाह में हैं ।”
“सब ?”
“क्या कहना चाहते हैं ?”
“सुना है कोई तुम्हें भा जाये तो वो हफ्ता और तरीके से देती है !”
“मैं समझा नहीं !”
“मिसाल दे कर समझाता हूं । जैसे कि कोंसिका क्लब की बारबाला रोमिला सावंत ।”
“देवा ! ये कौन है...कौन है जो मेरी मुखबिरी पर लगा है ?”
“तुम्हारे उससे ताल्लुकात हैं ?”
“बिल्कुल नहीं । अभी मेरे इतने बुरे दिन नहीं आये कि मैं एक बारबाला ते ताल्लुकात बनाऊंगा ।”
“वो कहती है...”
“कहती है तो झूठ बोलती है । मुझे बदनाम करती है ।”
“सुन तो लो क्या कहती है !”
“मैं नहीं सुनना चाहता । मुर्दा बोलेगा तो कफन ही फाडे़गा ! दुम ठोकूंगा मैं साली की । बल्कि आइलैंड से निकाल बाहर करूंगा ।”
“ज्यादा ताकत बताओगे तो सारी रंडियां खिलाफ हो जायेंगी । आइलैंड पर प्रास्टीच्यूशन का धंधा ही ठप्प हो जायेगा ।”
“ऐसा न होगा, न हो सकता है । जब ये सृष्टि बनी थी, तब ये धंधा मौजूद था; जब खत्म होगी, तब भी ये धंधा मौजूद होगा ।”
“अब गोखले के बारे में फाइनल बात बोलो, क्या कहते हो ! वो सीक्रेट एजेंट हो सकता है ?”
“नहीं हो सकता । जब आप जानते ही हैं कि मैंने उसे ठुकवाया है तो बाकी भी सुनिये । मैंने उसकी गैरहाजिरी में उसके कॉटेज की तलाशी का भी इंतजाम किया था । आपकी जानकारी के लिये कोई शक उपजाऊ चीज तलाशी में बरामद नहीं हुई थी । उसकी ठुकाई के पीछे भी मेरी यही मंशा है कि वो खुद ही आइलैंड छोड़कर चला जाये ।”
“जब तुम्हें यकीन है कि वो खुफिया एजेंट नहीं है तो क्यों तुम ऐसा चाहते हो ?”
“क्योंकि आपकी बेटी के पीछे पड़ा है ।”
“मेरी बेटी को तुम इस डिसकशन से बाहर रखो ।”
“उसने मेरी बाबत आपसे कुछ बोला ?”
“लगता है तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा ! श्यामला का जिक्र, श्यामला का खयाल छोड़ दो । जो तुम चाहते हो, वो नहीं हो सकता । किसी सूरत में नहीं हो सकता ।”
“आपको मालूम है मैं क्या चाहता हूं ?”
“मालूम है । तभी बोला ।”
“फिर तो मैं आपको थैंक्यू बोलता हूं...”
“जज्बाती होने का कोई फायदा नहीं ।”
“मैं जज्बाती नहीं हो रहा, मैं तसलीम कर रहां हूं कि श्यामला के मामले में मैं कहां स्टैण्ड करता हूं, मैंने अच्छी तरह से समझ लिया है । अब एक बात आप भी समझ लीजिये । अच्छी तरह से ।”
“क्या ?”
“अभी मुझे कोई जल्दी नहीं है लेकिन मैं जब चाहूंगा श्यामला पर अपना क्लेम लगा दूंगा । और आप इस बाबत कुछ नहीं कर सकेंगे । देखना आप ।”
मोकाशी हड़बड़ाया । फिर परे देखने लगा । फिर सिगार के कश लगाने लगा तो पाया वो बुझ चुका था । हड़बड़ी में वो सिगार को सुलगाने की कोशिश करने लगा ताकि महाबोले को मालूम न हो पाता कि वो कितना आशंकित, कितना आंदोलित हो उठा था ।
“वो आइलैंड पर नवां भीङू” - महाबोले कह रहा था - “नीलेश गोखले, जिसके आगे पीछे का कुछ पता नहीं, आपकी बेटी से ताल्लुकात बना रहा है, आपको कोई एतराज नहीं । रात के एक एक, दो दो बजे तक श्यामला बार हॉपर्स छोकरों के साथ मस्ती मारती है, आपको कोई ऐतराज नहीं । क्योंकि आप माडर्न बाप हैं, लिबरल बाप हैं । मैं तवज्जो दिलाऊं तो आप मुझे हसद का मारा बताने लगते हैं । मैं पूछता हूं क्या पसंद आया है आपको गोखले में जिसकी वजह से आप उसक तरफदार बने हैं ? क्या जानते हैं आप उसके बारे में ?”
“कुछ जानने की जरूरत नहीं । वैसे मुझे मालूम है कि अभी ऐसी कोई नौबत नहीं आयी है लेकिन जब आयेगी तो मैं यही कहूंगा कि जो मेरी बेटी की पसंद, वो मेरी पसंद ।”
“आप खता खायेंगे ।”
“देखेंगे ।”
“वो सीक्रेट एजेंट निकला तो क्या करेंगे ?”
“अरे, अभी तो कहके हटे हो, खुद कनफर्म करके हटे हो, कि वो सीक्रेट एजेंट नहीं है ।”
“फिर भी हुआ तो ?”
“तुम्हारे कहने से !”
“जवाब दीजिये ।”
“तो फिक्र की बात होगी ।”
“दुश्मन का साथ देंगे ! ताकि वो गोद में बैठ कर दाढ़ी मूंड सके ! ताकि हमारा यहां का जमा जमाया निजाम उखाड़ने में वो आपको हथियार बना सके !”
“तुम बात को बहुत बढ़ा चढ़ा कर कह रहे हो । वो ऐसा निकला तो उसको हैंडल करने के लिये मुझे किसी से ट्रेनिंग लेने जाने की जरूरत नहीं होगी, तो मैं उसको तुमसे बेहतर सजा दे के दिखाऊंगा ।”
महाबोले हंसा ।
“तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं ?” - मोकाशी गुस्से से बोला ।
“देखेंगे, जनाब, देखेंगे कि वक्त आने पर कौन किसको सजा देता है । लेकिन” - एकाएक महाबोले का स्वर असाधारण रूप से कर्कश हो उठा - “मैं वो वक्त नहीं आने दूंगा ।”
“क्या करोगे ?”
“ना छोङूंगा बांस, न बजने दूंगा बांसुरी ।”
“मतलब ?”
“वक्त आने दीजिये, समझ जायेंगे । और यकीन जानिये, जिस वक्त ने आना है, वो कोई ज्यादा दूर नहीं खड़ा ।” - उसने वाल क्लॉक पर निगाह दौड़ाई - “अब रात खोटी करने का कोई फायदा नहीं । वैसे मुझे कोई एतराज नहीं है, आप भले ही जब तक मर्जी ठहरिये ।”
“नहीं । चलता हूं । गुड नाइट ।”
“गुड नाइट, सर ।”
चिंतित भाव से सिगार के केश लगाता बाबूराव मोकाशी वहां से रुखसत हो गया ।
पीछे उतने ही चिंतित थानेदार महाबोले को छोड़ कर ।
नीलेश गोखले महाबोले की तवज्जो का मरकज बराबर था लेकिन उस वक्त उसके जेहन पर रोमिला और सिर्फ रोमिला छाई हुई थी ।
|