RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मेरे एम्पालायर को-गोपाल पुजारा को-मेरे वहां की बारबाला रोमिला सावंत से मेल जोल से ऐतराज था । उसने इस बाबत मुझे वार्न भी किया था । फिर और भी ज्यादा ऐतराज उसे श्यामला मोकाशी से मेरे बढ़ते ताल्लुकात से हुआ जो कि यहां के म्यूनीसिपल प्रेसीडेंट बाबूराव मोकाशी की बेटी है और बाबूराव मोकाशी बाई प्राक्सी कोंसिका क्लब का मालिक है । इस लिहाज से बारमैन गोपाल पुजारा-जो कि खुद को मालिक बताता है-उसका मुलाजिम हुआ । पुजारा ने मालिक की बेटी से मेरे बढ़ते ताल्लुकात देखे तो मुझे उनसे बाज आने के लिये चेता कर एक तरह से मालिक से वफादारी दिखाई । मैंने उसकी चेतावनी पर अमल करने की कोई नीयत न दिखाई तो उसने खडे़ पैर मुझे नौकरी से निकाल बाहर किया । सर, मेरे खयाल से तो ये वजह है मेरी बर्खास्तगी की, न कि ये कि मेरी पोल खुल गयी है, मेर पर्दाफाश हो गया है ।”
दोनों उच्चाधिकारियों की फिर निगाह मिली ।
“सो” - फिर जायंट कमिश्नर एकाएक बदले स्वर में बोला - “यू आर ए लेडीज मैन हेयर !”
“अपने काम की जगह” - डीसीपी बोला - “अपने मिशन की जगह आशिकी पर जोर है !”
“नो सच थिंग, सर” - नीलेश व्यग्र भाव से बोला - “नो सच थिंग । आई अश्योर यू दिस टू इज आल पार्ट आफ माई जॉब ।”
“एक्सप्लेन !”
“सर, मेरी पिछली रिपोर्ट की कितनी ही बातें ऐसी हैं जो मैंने जाने अनजाने रोमिला सावंत से निकलवाई और इस संदर्भ में अभी आगे मुझे उससे और भी ज्यादा उम्मीदें हैं । रोमिला फिलहाल गायब है, मेरी पहुंच से बाहर है, लेकिन देर सबेर तो मिलेगी ! तब उससे मैं अभी और भी बहुत कुछ जानूंगा । श्यामला मोकाशी को भी मैं सिर्फ और सिर्फ इसलिये कल्टीवेट कर रहा हूं क्योंकि वो यहां के बड़े महंत बाबूराव मोकाशी की बेटी है जो कि करप्ट थानेदार अनिल महाबोले और गोवानी रैकेटियर फ्रांसिस मैग्नारो के साथ हैण्ड इन ग्लव है । सर, मैं मोकाशी की बेटी को मोकाशी तक पहुंचने की सीढ़ी बनाना चाहता हूं, लड़की में बस मेरी इतनी ही दिलचस्पी है ।”
“वैरी क्लैवर आफ यू ! वैरी क्लैवर आफ यू इनडीड !”
“फैमिनिन अट्रैक्शन को फैटल अट्रैक्शन बोला गया है ।” - जायंट कमिश्नर बोला - “रास्ता न भूल जाना !”
“सर, रास्ता अभी बरकरार है तो हरगिज नहीं भूलूंगा । आप बताइये, बरकरार है ?”
“हूं । दैट्स क्वाइट ए क्वेश्वन ।”
“सर, इजाजत दें तो एक सवाल पूछूं ?”
“पूछो ।”
“अगर मैं नहीं तो मिशन खत्म ? या मेरी जगह कोई दूसरा आदमी लेगा ?”
“पेचीदा सवाल है । नौकरी से बर्खास्तगी की जो आल्टरनेट वजह तुमने सुझाई है, उसकी रू में पेचीदा सवाल है । अगर वजह वो है जो हमें दिखाई देती है - ये कि तुम एक्सपोज हो चुके हो - तो दूसरा आदमी कुछ नहीं कर पायेगा । वो लोग खबरदार हो चुके होंगे । तुम्हारा कवर दो हफ्ते चल गया, उसका दो दिन नहीं चलेगा । नो, युअर रिप्लेसमेंट इज आउट ।”
“तो फिर मैं.....”
“अभी फाइनल बात सुनो !”
“सर !”
“जो कुछ तुमने अब तक किया है, वो कभी कम नहीं है और वक्त आने पर उसका रिवार्ड तुम्हें जरूर मिलेगा...”
“ये अक्लमंद को इशारा है, इंस्पेक्टर गोखले !” - डीसीपी बोला - “तुम समझ सकते हो कि कौन से रिवार्ड की बात हो रही है ।”
“सर, आपने मुझे इंस्पेक्टर गोखले कहा” - नीलेश भर्राये कण्ठ से बोला - “तो रिवार्ड तो मुझ मिल भी गया ।”
डीसीपी मुस्कराया ।
“बट दैट्स अनदर स्टोरी ।” - वार्तालाप का सूत्र फिर अपने हाथ में लेता जायंट कमिश्नर बोला - “मैं ये कह रहा था कि जो कुछ तुमने अब तक किया है, वो भी कम नहीं है । तुम्हारी रिपोर्ट कहती है कि कोंसिका क्लब आइलैंड पर नॉरकॉटिक्स ट्रेड की ओट है । अगर ये बात सच निकली तो जाहिर है कि रेड होने पर वहां से ड्रग्स का जखीरा बरामद होगा । अब तुम ये भी हिंट दे रहे हो कि कोंसिका क्लब का असली मालिक म्यूनीसिपल प्रेसीडेंट बाबूराव मोकाशी है और गोपाल पुजारा महज उसका फ्रंट है । अगर हम मोकाशी को कोंसिका क्लब का असली मालिक साबित कर पाये तो नॉरकॉटिक्स वाले एक ऑफेंस के लिये ही सात साल के लिये नपेगा । इंस्पेक्टर अनिल महाबोले की मीनाक्षी कदम को छीलने की वाहियात करतूत को बाजरिया विक्टिम-मीनाक्षी कदम-साबित करने की स्थिति में हम हैं लेकिन वो कोई मेजर आफेंस नहीं है । उससे वो सिर्फ सस्पेंड हो सकता है और डिपार्टमेंटल इंक्वायरी का शिकार हो सकता है । कुछ साबित हो भी गया तो छोटी मोटी सजा होगी, बड़ी हद नौकरी से जायेगा जो कि कतई काफी नहीं । वो लम्बा नपे, उसके लिये या तो वो नॉरकॉटिक्स ट्रेड में मोकाशी का जोडी़दार साबित होना चाहिये या उसका अपना कोई इंडिविजुअल, इंडीपेंडेंट मेजर क्राइम रोशनी में आना चाहिये । इस सिलसिले में वो लड़की रोमिला सावंत-जो कि तुम कहते हो कि गायब है-हमारे बहुत काम आ सकती है । उस लड़की की बरामदी जरूरी है । उससे हासिल जानकारी महाबोले का वाटरलू बन सकती है ।”
“वो मेरे काबू में थी, बैड लक ही समझिये कि हाथ से निकल गयी ।”
“फिर हाथ आ जायेगी लेकिन ऐसा जल्दी हो, इसके लिये एक्स्ट्रा एफर्ट करना पडे़गा ।”
“एक्स्ट्रा एफर्ट !”
“मैं डिप्टी कमांडेंट अधिकारी से बात करूंगा । ऐज ऐ स्पैशल केस, कोस्ट गार्ड्स उसकी तलाश में हमारी मदद करेंगे ।”
“ओह !”
“हमारे टॉप के करप्ट कॉप महाबोले के सारे मातहत भी करप्ट हैं, इस बात को हमने अपनी एडवांटेज में यूज करना है । एक बार महाबोले की गर्दन हमारे हाथ में आ गयी तो देखना उसके वफादार मातहत ही उसके खिलाफ बढ़ बढ़ के बोलने लगेंगे ।”
नीलेश ने खामोशी से सहमति में सिर हिलाया ।
“बाकी इस बात का हमें रंज है कि ‘इम्पीरियल रिट्रीट’ के बारे में तुम कुछ न कर सके ।”
“सर, उसके सैकंड फ्लोर पर चलते जुआघर की खुफिया तसवींरे खींचने के लिये वहां एंट्री दरकार है जो कि मेरी कोंसिका क्लब के बारमैन-कम-बाउंसर की हैसियत में मुमकिन नहीं थी । बतौर कस्टमर मै वहां दाखिला नहीं पा सकता था क्योंकि हर कोई मुझे पहचानता है । वैसे एक स्ट्रेटेजी मेरे दिमाग में है लेकिन उसके लिये औकात दिखानी होगी । और औकात बनाने के लिये हैल्प की जरूरत है जिसकी बाबत मैं आपको दरख्वास्त भेजने ही वाला था ।”
“अब बोलो । कैसी दरख्वास्त ?”
“में भेष बदल कर, सम्पन्न टूरिस्ट बन कर वहां जा सकता हूं । इसके लिये किसी एक्सपर्ट मेकअप मैन की सर्विस हासिल होनी चाहिये और जुआघर में उड़ाने के लिये रोकड़ा होना चाहिये ।”
“पहला काम आसान है । दूसरे के लिये कमिश्नर साहब से बात करनी पडे़गी । पुलिस हैडक्वार्टर में ऐसे कोई फंड्स उपलब्ध नहीं होते । कैसे इंतजाम होगा, कमिश्नर साहब बोलेंगे । अभी वेट करो ।”
“वेट करू ? यानी मुझे विदड्रा नहीं किया जा रहा ?”
“तुम्हारी इस एक्सप्लेनेशन की रू में, कि नौकरी से तुम्हारी डिसमिसल की वजह तुम्हारा राजफाश हो गया होना नहीं है, हम तुम्हें थोड़ी और ढ़ील देने का मन बना रहे हैं ।”
“थैंक्यू, सर ।”
“लेकिन सावधान ! सूली पर तुम्हारी जान है !”
“आई अंडरस्टैण्ड, सर । ऐज डीसीपी साहब सैड, फोरवार्न्ड इज फोरआर्म्ड, आई विल बी एक्सट्रीमली केयरफुल ।”
“गुड ! वुई विश यू आल दि बैस्ट ।”
वार्तालाप वहीं समाप्त हो गया ।
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थाने के अपने कमरे में बैठे महाबोले ने सामाने पड़ा फोन उठाया और उसे कान से लगा कर यूं बोलने लगा जैसे किसी वार्तालाप में शामिल हो, कुछ सुन रहा हो, कुछ कह रहा हो, कुछ पूछ रहा हो ।
थाने में एक ही फोन था जो कि बाहर ड्यूटी आफिसर की टेबल पर था और उसी की पैरेलल लाइन उसके पास थी । फोन पर वो जानबूझ कर ऊंचा बोल रहा था ताकि आवाज बगल के कमरे तक पहुंच पाती जहां कि हवलदार खत्री, सिपाही महाले और सिपाही भुजबल तब भी मौजूद थे और अब उनमें भाटे भी जा मिला था ।
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