RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“कोई हथियार है ?” - वो कड़क कर बोला - “कांटी ! चकरी ! चप्पल ! कैसेट !”
बेवड़ा होंठों में कुछ बुदबुदाया ।
“नहीं समझा ।” - महाबोले बोला - “वो जुबान बोल, जो इसके पल्ले पडे़ ।”
खत्री ने सहमति में सिर हिलाया ।
“अबे, चाकू है ?” - उसने बेवडे़ को बांह पकड़ के झिंझोड़ा - “गन है ? पिस्टल है ? क्या है ?”
वो जोर जोर से इंकार में सिर हिलाने लगा ।
“हाथ ऊपर ! मेरे को तलाशी लेने का ।”
“पण मैं क्या किया, साहेब ?” - बेवडे़ ने फरियाद की - “क्यों मेरे साथ ऐसे पेश आते हो ?”
“ज्यास्ती बात नहीं । हाथ ऊपर करता है या मैं दोनों को तोड़ कर तेरी जेब में डाले ?”
उसने तत्काल दोनों हाथ सिर से ऊंचे किये ।
खत्री ने तलाशी लेना शुरू किया ।
ज्यों ज्यों तलाशी का नतीजा सामने आता गया, उसके नेत्र फैलते गये ।
टाप्स ! नैकलेस ! अंगूठी ! ब्रेसलेट ! चूड़िया !
“मै इन जेवरों को पहचानता हूं” - महाबोले जानबूझकर अपने स्वर में उत्तेजना घोलता बोला - “सब रोमिला के हैं ।”
क्यों न पहचानता ! हर तीसरे दिन उसके साथ सोने पहुंच जाता था ।
घड़ी !
“इसकी बैक में देख ! रोमिला का नाम गुदा होगा !”
उससे ज्यादा कौन इस तथ्य से वाकिफ होता ! फ्री राइड अपना हक समझने वाला इंस्पेक्टर एक बार नशे में इतना जज्बाती हो गया था कि रोमिला को घड़ी गिफ्ट कर बैठा था ।
“है, सर जी ।” - खत्री बोला ।
“उसी की है ।”
फिर कायन पर्स बरामद हुआ ।
“इसको तो” - महाबोले बोला - “मैं पक्का पहचानता हूं कि रोमिला का है । लेकिन इसे वो अपने हैण्डबैग में रखती थी । पूछ, हैण्डबैग का क्या किया ?”
“हैण्डबैग का क्या किया, साले ?”
“क-कौन सा.....कौन सा हैण्डबैग ?” - बद्हवास बेवड़ा कराहता सा बोला ।
“जिसमें ये पर्स था !”
“म-मेरे को किसी हैण्डबैग की खबर नहीं । किसी प-पर्स की खबर नहीं ।”
“पर्स अभी तेरी जेब से बरामद हुआ कि नहीं हुआ ?”
“मेरे को नहीं मालूम ये मेरी जेब में कैसे पहुंचा !”
“तूने पहुंचाया । जैसे जेवर पहुंचाये ! घड़ी पहुंचाई !”
“नहीं ! नहीं !”
“साले ! इतना कीमती सामान कोई दूसरा तेरी जेब में रख गया ? या जादू के जोर से आ गया ?”
“मेरे को नहीं मालूम, साहेब ।”
“तूने कत्ल किया । जेवरात की खातिर, कीमती घड़ी की खातिर कत्ल किया । हैण्डबैग से कोई कीमती सामान न निकला इसलिये उसे कहीं नक्की कर दिया । कायन पर्स में नोट थे, इसलिये पास रख लिया । फिर अपनी कामयाबी का जश्न मनाने के लिये बोतल खरीदी और साला खाली करके ही दम लिया ।”
“नहीं, नहीं । मैंने ऐसा कुछ नहीं किया । मैं तो एक मामूली....”
“थाने ले के चलो ।” - महाबोले ने आदेश दिया ।
खत्री ने उसे घसीट कर जीप में डाला ।
फिर लौट कर घास में लुढ़की खाली बोतल भी कब्जाई जो कि बेवडे़ के खिलाफ सबूत हो सकती थी । कैसे सबूत हो सकती थी, किस बात का सबूत हो सकती थी, इसका उसे कोई अंदाजा नहीं था ।
जीप थाने वापिस लौट चली ।
महाबोले को इस बात की खुशी थी कि जिस शख्स को रात के अंधेरे में उसने अपना शिकार बनाया था, वो दिन के उजाले में एक कमजोर, साधनहीन, पिलपिलाया हुआ आदमी निकला था जिससे कत्ल का कनफेशन हासिल कर लेना उसके बायें हाथ का खेल होता ।
“साहेब, मैंने किसी का कत्ल नहीं किया ।” - रास्ते में बेवड़ा गिड़गिड़ाता रहा, फरियाद करता रहा - “मैंने आज तक मक्खी नहीं मारी ।”
कोई जवाब न मिला ।
“साहेब, इतना तो बोलो मैंने किसका कत्ल किया ! कब किया ! कहां किया !”
“तेरे को कुछ याद नहीं ? - महाबोले उसे घूर कर देखता बोला ।
“मेरे को कुछ याद नहीं क्योंकि मैंने कुछ किया नहीं ।”
“तू रात को फुल नशे में था क्योंकि पूरी बोतल डकार गया, अभी तक भी तेरा नशा उतरा नहीं है, रात को तूने नशे में जो कारनामा किया, उसको अब भूल गया होना क्या बड़ी बात है !”
“साहेब, जब मैंने कुछ किया ही नहीं...”
“चुप बैठ ! वर्ना देता हूं एक लाफा !”
वो सहम कर चुप हो गया ।
***
ये नीलेश गोखले के लिये भारी इज्जत की बात थी कि मुम्बई पुलिस के टॉप ब्रास ने उसे चाय के लिये रूकने को कहा था ।
वो जायंट कमिश्नर बोमन मोरावाला और डीसीपी नितिन पाटिल के साथ चाय शेयर कर रहा था जबकि डिप्टी कमाडेंट हेमंत अधिकारी वहां पहुंचा ।
सबने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा ।
“सारी टु डिस्टर्ब यू, जंटलमैन” - वो बोला - “लेकिन खास खबर है ।”
“क्या ?” - जायंट कमिश्नर बोला ।
“वे लड़की - रोमिला सावंत, जिसकी बाबत मुझे हिदायत हुई थी-बरामद हुई है ।”
“दैट्स गुड न्यूज !”
“नो, सर, दैट्स नाट गुड न्यूज । रूट फिफ्टीन पर मरी पड़ी पाई गई है । अभी अभी पुलिस ने लाश बरामद की है ।”
“गॉड ! दैट्स टू बैड !”
“कैसे मरी” - डीसीपी पाटिल ने पूछा - “मालूम पड़ा ?”
“अभी नहीं ।”
“ऐनी फाउल प्ले ?”
“अभी कुछ नहीं कहा जा सकता ।”
“एक्सक्यूज मी, सर ।” - नीलेश से न रहा गया, वो व्यग्र भाव से बोला - “लाश की पक्की शिनाख्त हुई है ?”
“हुई है ।” - अधिकारी बोला - “शक की कोई गुंजायश नहीं । मरने वाली रोमिला सावंत ही है । उसके एम्पलायर गोपाल पुजारा ने तसदीक की है । उसकी फैलो बारगर्ल यासमीन मिर्जा ने तसदीक की है । खुद एसएचओ महाबोले भी उससे वाकिफ था, सूरत से पहचानता था ।”
“ओह ! सर” - वो डीसीपी की तरफ घूमा - “मे आई बी एक्सक्यूज्ड ।”
“क्या इरादा है ?” - डीसीपी पाटिल बोला ।
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