RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“आई सी । कहां है ये बोर्डिंग हाउस ? अगर छावनी के रास्ते में है....”
“रास्ते में ही है, सर ।”
“…तो हम वहां एक ब्रीफ हाल्ट करेंगे ।”
“ब्रीफ क्यों, सर ?”
“डिप्टी कमांडेंट साहब ने कहा था कि छावनी के मैस में ब्रेकफास्ट बहुत बढ़िया बनता था, इसलिये ।”
“ओह !”
“यहां तो ब्रेकफास्ट की बाबत कोई पेशकश हुई नहीं, ऐसा न हो न, कि हम उधर से भी जायें ।”
“हम ! हम बोला, सर ?”
“हां, भई ।” - डीसीपी उठ खड़ा हुआ - “आओ चलें ।”
झिझकता सकुंचाता नीलेश डीसीपी के साथ हो लिया ।
हैण्डबैग रोमिला सावंत के बोर्डिंग हाउस के कमरे से न बरामद हुआ ।
“अब क्या कहते हो ?” - डीसीपी बोला ।
“सर, जो मेरे जेहन में है” - नीलेश झिझकता सा बोला - “पता नहीं उसको जुबान पर लाना मुनासिब होगा या नहीं ।”
“क्या है तुम्हारे जेहन में ?”
“यही है, सर, कि महाबोले की माया अपरम्पार है । जाबर का जोर कहीं भी चलता है इसलिये उसकी सलाहियात का कोई ओर छोर नहीं ।”
“हैण्डबैग यहां था, उसने गायब कर दिया ?”
“या करवा दिया ।”
“हूं । कौन चलाता है ये बोर्डिंग हाउस ?”
“मिसेज वालसन नाम की एक महिला है यहां की मालिक और संचालक ।”
“पता करो उसका ।”
पता करने पर मालूम हुआ कि मिसेज वालसन का आफिस-कम-रेजीडेंस पहली मंजिल पर था जो कि उस घडी लाक्ड पाया गया ।
कहां चली गयी थी !
एक रेजीडेंट ने ही बताया कि नजदीकी सुपर मार्ट में शापिंग के लिये गयी थी, जल्दी लौट आने वाली थी ।
“जल्दी कम्पैरेटिव टर्म है ।” - डीसीपी उतावले स्वर में बोला - “जरूरी नहीं ‘जल्दी’ का हमारा और उसका पैमाना एक हो । ब्रेकफास्ट कहता है हम यहां और नहीं रूक सकते । तुम कभी अकेले लौट के आना यहां ।”
“राइट, सर ।”
“चलो ।”
***
महाबोले ने कोस्ट गार्ड्स की जीप को बोर्डिंग हाउस से रूखसत होते देखा तो वो अपनी वो ओट छोड़ कर बाहर निकला जहां से कि वो बोर्डिंग हाउस का नजारा कर रहा था और जहां से उसने डीसीपी पाटिल और गोखले को इमारत के फ्रंट से दाखिल होते और रूखसत होते देखा था । उसको किसी से जानने की जरूरत नहीं थी वहां उनका निशाना रोमिला का दूसरी मंजिल का कमरा था और ये भी निश्चित था कि वहां से उनके हाथ कुछ नहीं लगा था वर्ना हैण्डबैग उन दोनों में से किसी हाथ में लटकता दिखाई देता ।
उस सिलसिले में वक्त रहते उसे मिसेज वालसन की हैल्प लेना सूझा था वर्ना रोमिला के हैण्डबैग की बरामदी ही उसकी थ्योरी के बखिये उधेड़ देती ।
उसने मिसेज वालसन को फोन किया ।
कोई जवाब न मिला ।
कहा मर गयी थी साली !
उसने एक सिग्रेट सुलगा लिया और जीप में बैठा प्रतीक्षा करने लगा ।
सिग्रेट खत्म हुआ तो उसे सड़क पर मिसेज वालसन दिखाई दी जो हाथ में एक शापिंग बैग थामे अपने बोर्डिंग हाउस की तरफ बढ़ रही थी ।
महाबोले खामोश नजारा करता रहा ।
उसके बोर्डिंग हाउस में दाखिल हो जाने के दो मिनट बाद वो जीप से उतरा और लापरवाही से टहलता आगे बढ़ा । फ्रंट डोर से वो बोर्डिंग हाउस के भीतर दाखिल हुआ और पहली मंजिल पर जा कर उसने मिसेज वालसन के दरवाजे पर हौले से दस्तक दी ।
दरवाजा खुला ।
चौखट पर मिसेज वालसन प्रकट हुई । महाबोले पर निगाह पड़ते ही उसके शरीर में सिर से पांव तक झुरझुरी दौड़ी । महाबोले का किसी भी क्षण वहां आगमन अपेक्षित था फिर भी उसका वो हाल हुआ था ।
“बाजू हट ।” - महाबोले कर्कश स्वर में बोला ।
वो दरवाजे पर से हटी तो महाबोले भीतर दाखिल हुआ, उसने अपने पीछे दरवाजा बंद किया ।
“जो बोला, वो किया ?” - उसने पूछा ।
मिसेज वालसन ने जल्दी जल्दी कई बार सहमति में सिर हिलाया ।
“बढ़िया । ला ।”
वाल कैबिनेट के एक दराज से निकाल कर उसने हैण्डबैग महाबोले को सौंपा ।
“कोई प्राब्लम ?”
मिसेज वालसन ने इंकार में सिर हिलाया ।
“ये वहीं था जहां मै बोला ? टीवी के पीछे ?”
उसने गर्दन हिला कर हामी भरी ।
“अरे, क्या मुंडी हिलाती है बार बार ! मुंह से बोल !”
“हं-हां ।”
“खोल के देखा ?”
“नहीं ।”
“जैसा बोला, वैसीच इधर ला के रखा और अभी निकाल कर मेरे को दिया ?”
“हां ।”
“दूसरे माले पर कोई मिला ? किसी ने कमरे में जाते या निकलते देखा ?”
“नहीं ।”
“किसी आये गये की खबर तो होगी नहीं ! क्योंकि अभी तुम खुद ही इधर नहीं थी ।”
“शापिंग का वास्ते गया । ओनली टैन मिनट्स आउट था ।”
“क्यों था ? मैं बोला कि नहीं बोला कि साला वन आवर आये गये को वाच करने का था ! शापिंग साला वन आवर के बाद नहीं हो सकता था ?”
“स-सारी !”
“अभी फाइनल बात सुनने का । जो किया, उस बाबत थोबड़ा बंद रखने का । बल्कि सब अभी का अभी भूल जाने का । तुम साला कुछ नहीं किया । क्या !”
“कु-कुछ नहीं किया ।”
“रोमिला के रूम में नहीं गया । उधर से हैण्डबैग नहीं निकाला । मेरे को नहीं दिया । मैं साला इधर आया हैइच नहीं । ओके ?”
उसने जल्दी से सहमति में सिर हिलाया ।
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