RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“नहीं समझा तुम ?”
महाबोले ने इंकार में सिर हिलाया ।
“हर भीङू का कोई पास्ट होता है जिसको वो बाई आल कास्ट्स छुपा कर रखना मांगता है । जो साला नहीं छुपा रहेगा तो भीङू को बर्बाद कर देगा । बर्बाद कौन होता मांगता है ! मांगता है क्या ?”
महाबोले ने फिर इंकार में सिर हिलाया ।
“साला बुलेट काहे ऐसे भीङू को मारेगा ? उसका डार्क सीक्रेट उसको फिनिश करेगा । फिनिश नहीं होना मांगता तो जो बोला जायेगा, करेगा । अभी आया कुछ मगज में ?”
“आया तो सही कुछ कुछ ।” - महाबोले इस बार बोला तो उसके स्वर में स्पष्ट अनिश्चय का पुट था ।
“तुम्हारा डार्क सीक्रेट क्या है, महाबोले ?”
“नहीं है, बॉस, मेरा कोई डार्क सीक्रेट नहीं है ।”
“एक तो है बरोबर, जो मेरे को मालूम ।”
“क्या ?”
“नोन रैकेटियर को प्रोटेक्ट करता है । अपनी आफिशियल कपैसिटी में उसके इललीगल कैसीनो को प्रोटेक्शन देता है ।”
“मजाक मत करो, बॉस ।”
“हा हा हा ।”
महाबोले ने बुरा सा मुंह बनाया ।
“अभी बोलो, मुम्बई का डीसीपी इधर तुम्हेरे सिर पर डांस करता है, उसका सीक्रेट एजेंट तुम्हारा आंख में डंडा शायद कर भी चुका है, तुमको फिकर ?”
“है तो सही कुछ कुछ”
“साला अंडरटोन में बोलता है । सच्ची बोलेगा तो बोलेगा दहशत ।”
“अरे, नहीं, बॉस...”
“आई नो । इसी वास्ते तुम्हारे काम का एक लैसन है मेरा पास । मांगता है क्या ?”
“क्या लैसन है ?”
“दुश्मन को अपना भेद नहीं देने का । उसको अपने इन साइड में नहीं झांकने देने का । इन साइड में साला कुछ भी होता हो-फिकर, डर, दहशत-दुश्मन को नहीं भांपने देने का । साला बैक आउट नहीं करने का । बैक आउट करेगा तो दुश्मन समझ जायेगा कि तुम साला इनसाइड में पिलपिल ! कावर्ड ! फिर साला दौड़ा दौड़ा के मारेगा । इन साइड में साला कुछ भी चालता हो, मजबुती से तन कर खड़ा होयेंगा, आईज से आईज लॉक करके बात करेंगा तो दुश्मन साला कनफ्यूज होयेंगा, फिर साला वो बैक आउट करेगा । क्या !”
महाबोले का सिर मशीनी अंदाज से सहमति में हिला ।
“एम आई राइट, रोनी ?”
“यू नो यू आर, बॉस ।” - डिसूजा बोला - “बोले तो बराबर !”
“देखा ! रोनी फालो किया । तुम साला मेरे को दिखाने को खाली मुंडी हिलाता है ।”
“ऐसी कोई बात नहीं, बॉस ।” - महाबोले हड़बड़ा कर बोला - “आई हार्ड यू लाउड एण्ड क्लियर । एण्ड आई एग्री विद युवर वर्ड्स आफ विजडम वन हण्डर्ड पर्सेट ।”
“थैंक्यू ! एग्री करता है तो एक्ट भी करने का । जा कर अपने थाने में बैठने का और जैसे दुश्मन भीङू लोग इधर का खुफिया जानकारी निकालता है, वैसेच उन भीङू लोगों की कोई खुफिया जानकारी निकालने का और मेरे-खस तौर से गोखले के अगेंस्ट-हाथ मजबूत करने का । फिर मैं गोखले से इधरीच, इसी रूम में बात करेगा और देखेगा वो कितना श्याना ! क्या करना सकता ! क्या !”
“ठीक !”
“अभी नक्की करने का ।”
महाबोले ने उसका अभिवादन किया और वहं से रुखसत हुआ ।
वापिसी में सारे रास्ते वो बड़बड़ाता रहा और अपनी आगे कि कोई स्ट्रेटेजी निर्धारित करने के लिये मगज मारता रहा ।
‘गोखले से बात करेगा’ - मन हि मन वो भुनभुनाया - ‘काहे को ! गोखले के साथ कोई डील सैट करने बैठ गया तो मुझे मंजूर होगा ! मैग्नारो का मेरी हैसियत घटाने वाला कदम मैं कैसे उठने दूंगा ! पता नहीं क्यों साला गोवानी मेरे को एकाएक कमजोर, पिलपिलाया हुआ समझने लगा है ! मैं मोकाशी को हैंडल कर सकता हूं, उसकी ऐंठ तोड़ सकता हूं, रोमिला सावंत का वजूद मिटा सकता हूं तो उस साले गोखले को हैंडल नहीं कर सकता ! मैग्नारो कभी गोखले से नहीं मिल पायेगा । वैसी नौबत आने से पहले ही मैं गोखले को उसी राह का राही बना दूंगा जिसका रोमिला को बनाया । साला मवाली मेरे को लेक्चर देता है ! उंगली पकड़ के चलना सिखाता है ! जैसे सारी जिंदगी मैंने उसी से पूछ पूछ कर गुजारी कि बॉस, आगे क्या करूं ? बात करता है, साला...’
युं ही कलपता, बड़बड़ाता, भुनभुनाता महाबोले थाने पाहुंचा ।
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