RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मैंने तुम्हें सरकारी आदमी कहा, तुमने इधर उधर की दस बातें की लेकिन एक बार भी इस बात से इंकार न किया, मजबूती से न कहा कि तुम नहीं हो सरकारी आदमी ।”
“किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं ।”
“अभी भी वही कर रहे हो । महाबोले ठीक कहता था...”
“ओह ! तो तुम्हारा कोच तुम्हारा पिता नहीं, महाबोले है !”
“...कि तुम मेरे पीछे पडे़ ही इसलिये थे कि मेरे जरिये उसकी बाबत-या मेरे पापा की बाबत-अपने मतलब की कोई जानकारी निकलवा सको । अच्छा उल्लू बनाया मुझे ।”
“मैंने ऐसा कुछ नहीं किया ।”
“मेरे से मुलाकात के पीछे तुम्हारा कोई नापाक मकसद नहीं था ?”
“नहीं था ।”
“तुम्हारी दिलचस्पी मुझ में और सिर्फ मुझ में थी ?”
“हां ।”
“हमारी मुलाकात में तुम्हारे किसी खुफिया मिशन का हाथ नहीं था ? वो प्योरली सोशल काल थी ?”
“हां ।”
“तो फिर जवाब दो तुम कौन हो ! अगर मेरे से कोई दिली लगाव महसूस करते हो तो सच सच बताओ तुम कौन हो !”
“मैं मैं हूं । नीलेश गोखले । एक्स एम्पलाई कोंसिका क्लब ।”
“तुम नहीं बाज आओगे । जाती हूं ।”
“अरे, रुको, रुको ।”
“किसलिये ?”
“मेरी बात सुनने के लिये ।”
“सुनाओ ।”
“जैसे तुमने मेरे पर इलजाम लगाया कि मैं सरकारी एजेंट हूं वैसे तुम भी इस वक्त महाबोले की एजेंट नहीं बनी हुई हो !”
“क्या !”
“या मोकाशी साहब की ! या उस रैकेटीयर फ्रांसिस मैग्नारो की !”
“यू आर टाकिंग नानसेंस ।”
“महाबोले का तो तुमने नाम भी लिया !”
“नाम लेने से मैं उसकी एजेंट हो गयी ?”
“न सही । वो तुम्हारा पुराना वाकिफ है, करीबी है, पति बनने वाला है...”
“वाट द हैल !”
“....जबकि मेरे से तुम अभी हाल ही में वाकिफ हुई हो । इस लिहाज से तुम्हारी निष्ठा महाबोले के साथ होगी या मेरे साथ ! जवाब दो !”
“जब सवाल ही नहीं समझ में आया तो जवाब क्या दूं ?”
“मैं तुमसे कुछ कहता हूं, कुछ कुबूल करता हूं, कुछ कनफैस करता हूं, तुम जा कर महाबोले को बोल दोगी ।”
“खामखाह !”
“अपने पिता को तो जरूर ही ।”
“नहीं ।”
“वादा करती हो कि अभी जो कुछ मेरे से सुनोगी, उसे अपने पास ही रखोगी, आगे कहीं - कहीं भी - पास आन नहीं करोगी ?”
“करती हूं ।”
“जैसे तुम समझती हो, कहती हो, कि तुम्हारे से मिलना मेरी कोई स्ट्रेटेजी थी, तसलीम करती हो कि इस वक्त मेरे से मिलना तुम्हारी-तुम्हारी और महाबोले कि-कोई स्ट्रेटेजी नहीं ?”
“करती हूं ।”
“ये महज इत्तफाक है कि मैं तुम्हें यहां मिला ?”
“हां ।”
“क्या काम था इधर तुम्हारा ?”
“कोई काम नहीं था । परेशानी थी । ड्राइव पर निकली थी । इस काम के लिये ये मेरा पसंदीदा रूट है । यहां से गुजर रही थी कि तुम्हारी आल्टो खड़ी दिखाई दे गयी । फिर तुम दिखाई दे गये ।”
नीलेश को वो सच बोलती लगी । झूठ बोल रही थी तो कमाल की अभिनेत्री थी ।
“मुझे उम्मीद थी” - वो बोली - “कि वकीलों जैसी इतनी जिरह के सिरे पर तुम कुछ कहोगे ।”
“कहता हूं । श्यामला, कहर, क्राइम, करप्शन कागज की नाव है जो बहुत देर तक बहुत दूर तक नहीं चलती । यूं समझो कि यहां की मशहूर त्रिमूर्ति की नाव ने जितना चलता था, चल चुकी । और मुझे दुख है कि उस नाव का एक सवार तुम्हारा पिता भी है । करप्शन का तरफदार तुम्हारा पिता है, कहर का झंडाबरदार महाबोले है, क्राइम का कारोबार समझो गोवानी रैकेटियर मैग्नारो की टैरीटेरी है ।”
“नानसेंस ! मैग्नारो कैसीनो चलाता है, तोप दिखा कर लोगों को उधर आने के लिये मजबूर नहीं करता । ये टूरिस्ट टाउन है, ऐसी जगह पर वो पर्यटकों एंटरटेनमेंट का जरिया मुहैया कराता है तो क्या गुनाह करता है ?”
“तुम नादान हो । मुल्क के कायदे कानून को नहीं समझती हो । कैसीनो चलाने के लिये सरकार लाइसेंस जारी करती है जिसके लिये अप्लाई करना होता है, उसकी फीस भरना होता है । ये फैसला भी सरकार करती है कि कौन सी जगह पर कैसीनो होना चाहिये, कौन-सी जगह पर नहीं होना चाहिये । उस रैकेटियर मैग्नारो ने तो सारे फैसले खुद ही कर लिये ! काहे को ? इज ही अबोव दि लॉ ऑफ दि लैंड, दि गवर्नमेंट ! इज ही गॉड ! ऑर जीसस क्राइस्ट !”
श्यामला परे देखने लगी ।
“फिर लीगल जुए की - जैसे कि लॉटरी, हार्स रेसिंग, ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसा कांटैस्ट विनिंग पर कमाई पर टैक्स भरना होता है । मालूम !”
उसने इंकार में सिर हिलाया ।
“वो नॉरकॉटिक्स समगलर है, डिस्ट्रीब्युटर है । आर्म्स डीलर भी बताया जाता है । हथियारों की गैरकानूनी खरीद कौन लोग करते हैं ? उग्रवादी । आतंकवादी । दंगई । डकैत । ऐसे लोगों को हथियार मुहैया कराना शुभ कारज है ! नॉरकाटिक्स का व्यापार, जो नौजवान नसल को निश्चित मौत की तरफ धकेलता है, शुभ कारज है !”
“तुम्हें क्या पता आइलैंड पर ये सब होता है ?”
“पाप का घड़ा फूटने दो-जो कि बस फूटने ही वाला है-फिर सबको पता होगा ।”
“ऐसा है भी तो क्या है ! जिसके करम हैं वो भुगतेगा ।”
“मैग्नारो ।”
“और कौन ?”
“उसको आइलैंड पर पनाह देने वाले कौन हैं ? प्रोटेक्शन देने वाले कौन हैं ? उसके काले कारनामों की पर्दादारी करने वाले कौन हैं ? काले कारोबार में बाकायदा उसके शेयरहोल्डर्स कौन हैं ? क्या नाम लेने की जरुरत है ?”
“म-मेरे पापा ऐसे नहीं है ।”
“औलाद के लिये कोई पापा ऐसा नहीं होता - ‘माई डैडी बैस्टैस्ट, माई डैडी ग्रेस्टैस्ट, माई प्योरैस्ट’ जैसा ही होता है - लेकिन एक मात्रा हट जाये तो पापा ही पाप बन जाता है ।”
“मेरे पापा की सदारत में आइलैंड ने तरक्की की है । यहां टूरिस्ट इन्फलक्स बढ़ा है । उसकी वजह से रेवेन्यू बढ़ा है । और आगे उसकी वजह से यहां खुशहाली आयी है ।”
“ये इलैक्शन कैम्पेन जैसे स्लोगन हैं जो तुम्हें पढ़ाये गये हैं, सिखाये गये हैं, रटाये गये हैं । करप्ट लोगों ने तुम्हारे माईंड को भी करप्ट कर दिया है । जुए से, नॉरकॉटिक्स से, हथियारों के गैरकानूनी व्यापार से खुशहाली नहीं आती, बर्बादी आती है । खुशहाली आती है तो मोमाशी-महाबोले-मैग्नारो की त्रिमूर्ति के लिये । कितने बेगुनाह लोग आये दिन होने वाली उग्रवादी घटनाओं में जान से जाते है ! कितने लोग हेरोइन, एलएसडी, एस्टेसी, कोकिन, फॉक्सी, जीएचबी, जैसे नशों के शिकार हो कर सरेराह मरते हैं । कौन लोग है इतनी मौतों के लिये जिम्मेदार ! कौन हैं लाशों के सौदागर ! कौन हैं जो नौजवान नसल को को चरस के सिग्रेट, हेरोइन की पुड़िया, एस्टेसी की गोली पहले फ्री थमाते हैं, फिर जब लत मजबूत हो जाती है तो अंधाधुंध चार्ज करते हैं । जो चार्ज नहीं दे पाते, वो मजबूरन क्राइम की राह पर चलते हैं । एक गोली, एक पुड़िया, एक इंजेक्शन की खातिर चाकू घोंप देते हैं, गोली मार देते हैं । कौन हैं जो टैरेरिस्ट्स को हथियारबंद करते है ! क्या ऐसे लोग शरेआम चौराहे पर फांसी पर लटका देने के काबिल नहीं ? तुम्हें इस बात पर अभिमान है कि तुम्हारा महान पापा ऐसे लोगों में से एक है ?”
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