RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मजबूरी है ।”
“हमारी मजबूरी है और गोखले की जान सूली पर है । वो बेमौत मारा जायेगा ।”
“उसको खबरदार करो । बोलो फिलहाल कोई कदम न उठाये । आस्क हिम टु होल्ड ऐवरीथिंग ।”
“अब ये भी मुमकिन नहीं । खराब मौसम की वजह से उधर से हमारा हर कांटैक्ट टूट गया है ।”
“हमने उस आदमी को मौत के मुंह में धकेला ।”
“नाहक जज्बाती हो रहे हो, पाटिल । ये असाइनमेंट कुबूल करने से पहले वो उसके हर अंजाम से वाकिफ था । उसको साफ बोला गया था, बाकायदा खबरदार किया गया था कि वो शेर की मांद में कदम रखने जा रहा था, जिंदा लौटने की कोई गारंटी नहीं थी । हमने कोई जोर नहीं दिया था, कोई दबाव नहीं डाला था, उसके सामने खुली आप्शन थी असाइनमेंट को नाकबूल करने की । उसने अपने कंधों पर सलीब उठाया है तो वो ही तो ढ़ोयेगा !”
“अभी तो उसके साथ धोखा हुआ ! हमने उसे आश्वासन दिया कि उसे कोस्ट गार्ड्स की मदद मुहैया होगी...”
“क्या फर्जी आश्वासन दिया ? कया ऐसा करते वक्त तुम्हारी जुबान पर कुछ और था, मन में कुछ और था ?”
मशीनी अंदाज से डीसीपी का सिर इंकार में हिला ।
“ऐसा करते वक्त तुम्हें इल्म था कि कोस्ट गार्ड्स को फौरन चौकी खाली कर देने का आर्डर हो जायेगा ?”
“नहीं । कैसे हो सकता था ?”
“क्या हमारे पास उस आर्डर को रिवर्स करने की अथारिटी है ?”
“नहीं ।”
“तो फिर ?”
“सर, आई स्टिल फील गिल्टी । अवर ऑपरेशन इज डूम्ड । अवर मैन इज डूम्ड ।”
“आल पार्ट आफ गेम, पाटिल, आल पार्ट आफ प्रोविडेंस ।”
“कैसी मजबूरी है !” - डीसीपी आह भर कर बोला - “हम उसकी कोई मदद नहीं कर सकते ।”
“गॉड विल हैल्प हिम ।”
|