Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
10-27-2020, 03:06 PM,
#88
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“एक बात सुन लिजिये । अगर आपने ऊपर जा कर नीलेश गोखले की मुखालफत में कोई कदम उठाया तो...तो...तो मैं आपकी बेटी नहीं ।”
मोकाशी हक्‍का बक्‍का सा बेटी का मुंह देखने लगा ।
“क्‍या बोला ?” - उसके मुंह से निकाल ।
“जो आपने सुना ।”
“तेरा एक फिकरा खून का रिश्‍ता खत्‍म कर सकता है ? नाखून को मांस से अलग कर सकता है ?”
“ये फैंसी बातें है जिनमें इस घड़ी मैं नहीं उलझना चाहती । इस घड़ी मैं अपने पिता के खुदगर्ज किरदार से हिली हुई हूं । आइलैंड पर कुदरत का कहर टूटा है, कमेटी के प्रेसीडेंट साहब को नहीं दिखाई देता । जगह जगह पर फंसे लोगों को मदद की, रेस्‍क्‍यू की जरूरत है, आइलैंड का पुलिस चीफ उनका मुहाफिज बनने की जगह एक मवाली की खिदमत के लिये इधर हाजिरी भरता है । जिन लोगों को आइलैंड की संकट की इस घड़ी में आन ड्‍यूटी होना चाहिये, वो अपने अपने घरों में सोये पड़े हैं । ये कैसा निजाम है ! कैसा इंतजाम है ! कैसा लैट डाउन है ! केसा अंधेर है ! रही सही कसर पूरी करने के लिये आप यहां पहुंच गये हैं ताकि कोई जुगत लड़ाकर, कोई घिनौनी चाल चल कर अपनी ड्‍यूटी करते एक पुलिस आफिसर को मौत के घाट उतार सकें । पापा, आई एम प्राउड आफ यू । मुझे नाज है अपनी किस्‍मत पर कि आप मेरे पिता हैं ।”

वो फफक पड़ी ।
“वो...गोखले” - मोकाशी कठिन स्‍वर में बोला - “पुलिस आफिसर है ?”
“हां ।”
“सीक्रेट एजेंट !”
“कुछ भी कहिये ।”
“तेरे को ये बात कैसे मालूम है ?”
“बस, मालूम है ।”
“वो खुद ऐसा बोला ?”
“हां ।”
“तुझे उससे...यू लव हिम ?”
“हां ।”
“तभी ।”
“पापा, आपने एक कदम भी ऊपर की तरफ बढ़ाया तो मैं...तो मैं...”
“क्‍या करेगी तू ?”
“गन छीन लूंगी ।”
“क्‍या ! अपने बाप की मौत का सामान करेगी ? ऐसा इसलिये करेगी कि वो बड़े आराम से मुझे गोली मार दे ?”
“आप क्‍यों ऐसी नौबत आने देते हैं ? ऊपर जाने का इरादा तर्क कर देंगे तो क्‍यों होगा ऐसा ?”

“क्‍या फर्क पड़ेगा ! परलोक जाने से बचूंगा तो जेल जाऊंगा ।”
“वही आपका मुकाम है...”
“ये मेरी बेटी बोल रही है !”
“…आपका, मोकाशी का, महाबोले का और आप लोगों के तमाम हिमायतियों का ।”
“देवा ! अरे, तू क्‍यों मेरे लिये मुसीबत बन रही है ?”
“कोई कुछ नहीं कर रहा । अपनी मुसीबत आप खुद बुला रहे हैं ।”
मोकाशी ने असहाय भाव से गर्दन हिलाई कई बार थूक निकली, कई बार पहलू बदला ।
“क्‍या करूं मैं ?” - आखिर बोला - “क्‍या करना चाहिये मुझे ?”
“आपको मालूम है । आपसे बेहतर किसको मालूम है !”

“अच्‍छा !”
फिर खामोशी छा गयी ।
जिसे फिर मोकाशी ने ही भंग किया ।
“मैं ऊपर जाता हूं ।” - वो बोला ।
श्‍यामला के चेहरे पर गहरी नाउम्‍मीदी के भाव आये, उसने गिला करती निगाह से अपने पिता की ओर देखा ।
“और” - मोकाशी आगे बढ़ा - “जा कर उस लड़के की कोई मदद करता हूं ।”
श्‍यामला ने चैन की लम्‍बी सांस ली ।
“पापा !” - वो भावविह्वल स्‍वर में बोली ।
“फिक्र न कर, बेटी वही होगा जो तू चाहती है । तेरी स्‍वर्गीय मां से मेरा वादा था कि मैं उसके पीछे तेरी हर ख्‍वाहिश पूरी करूंगा । तेरी मां सब देख रही है । मैं अपने वादे से नहीं फिर सकता ।”

“पापा !”
मोकाशी ने श्‍यामला के पीछे चार सीढ़ियां नीचे खड़े भाटे पर निगाह डाली ।
“भाटे !” - वो बोला - “तू किसके साथ है ?”
पिता पुत्री में हुए वार्तालाप ने भाटे को बहुत हिलाया था, बहुत जज्‍बाती कर दिया था, वो निसंकोच बोला - “आपके साथ ।”
“तो मेरी मदद कर ।”
“जो बोलोगे, करूंगा ।”
“मैं जानता हूं थाने का सारा ही स्‍टाफ महाबोले की तरफ नहीं है, उसकी धांधलियों, गैरकानूनी हरकतों में शरीक नहीं है, कई लोग मजबूरी में उसकी हां में हां मिलाते हैं लेकिन उससे डरते हैं इसलिये मुंह नहीं खोलते । तू जानता है ?”

“जानता हूं । एक तो मैं ही हूं ऐसा !”
“अपने जैसे औरों को भी जानता है जो महाबोले के कहरभरे किरदार से दुखी हैं, परेशान हैं, जो मौका लगने पर उसके खिलाफ खड़े हो सकते हैं ?”
“जानता हूं ।”
“मसलन कोई नाम ले ।”
“सब-इंस्‍पेक्‍टर जोशी है न !”
“गुड । तू किसी तरह से उसके पास पहुंच, उसको बता कि जो मौका थाने के ईमानदार पुलिसिये चाहते थे कि कभी लगे, जोशी वो अब लग गया समझे । उसे यहां के नाजुक हालात की खबर कर और फिर तुम दोनों ऐसे तमाम पुलिसियों को इकठ्ठा करो और इधर ले के आओ । मुझे य‍कीन है कि जब उनको पता चलेगा कि आइलैंड से रावणराज खत्‍म होने वाला है तो किसी को भी इस तूफान में घर से निकलने से गुरेज नहीं होगा । या होगा ?”

“नहीं होगा ।” - भाटे जोश से बोला ।
“तो जा, ये काम करके दिखा । भाटे मैं तुझे कोई ईनाम नहीं दे सकता लेकिन ऊपर वाला सब देखता है, वही तुझे इसका अज्र देगा ।”
“मोकाशी साब जी, रावण ढ़ेर हो, मेरा यही सब‍से बड़ा ईनाम है ।”
“शाबाश ! जा ।”
“मैं साथ जाउंगी ।” - श्‍यामला बोली ।
“क्‍या !” - भाटे के मुंह से निकला ।
मोकाशी ने भी हैरानी से बेटी की तरफ देखा ।
“जो बात तुम नहीं समझा सकोगे, वो मैं समझाऊंगी । लोग मेरी ज्‍यादा सुनेंगे क्‍योंकि...क्‍योंकि मैं महाबोले के जोड़ीदार की बेटी हूं ।”

“लेकिन तुम्‍हारे तूफान में...”
“फिर भी...”
“फिर भी ये कि मैं मोटरबोट को तुम्‍हारे से बेहतर हैंडल कर सकती हूं । क्‍या !”
भाटे ने हिचकिचाते हुए सहमति में‍ सिर हिलाया ।
“चलो ।”
श्‍यामला घूम कर आगे बढ़ी, ठिठकी, घूमी, उसने अत्‍यंत भावुक भाव से अपने पिता की तरफ देखा ।
“पापा” - वो भर्राये कण्‍ठ से बोली - “टेक केयर ।”
“यू टु, माई हनी चाइल्‍ड !”
वो जाने के लिये घूमी ।
“और सुन ।”
“यस, पापा ।”
“गोखले को कुछ नहीं होगा । ये मेरा तेरे से वादा है । कुछ होगा तो उससे पहले मुझे होगा ।”

आंसू बहाती श्‍यामला दौड़ कर करीब आयी और मोकाशी से लिपट कर सुबकने लगी ।
मोकाशी ने उसकी पीठ थपथपाई और बोला - “जा, अब । तूने बड़ी जिम्‍मेदारी का काम करना है ।”
मोकाशी वापिस घूमा और दृढ़ता से सीढ़ियां चढ़ने लगा ।
***
लम्‍बी खामोशी ने महाबोले को बहुत त्रस्‍त किया हुआ था, बहुत सस्‍पेंस में डाला हुआ था । आखिर उससे न रहा गया ।
“मोकाशी साहब !” - उसने उच्‍च स्‍वर में आवाज लगाई - “सुन रहे हैं आप ! अभी मैंने मोटर बोट स्‍टार्ट होने की आवाज सुनी । वो किधर...”
“जरा चुप करो, महाबोले” - दूसरी मंजिल की आखिरी सीढ़ी पर पहुंचा मोकाशी बोला - “मेरे को गोखले से बात करने दो । गोखले !”

“क्‍या है ?” - गोखले बोला ।
“सुन रहे हो ?”
“हां । क्‍या कहना चाहते हो ?”
“मैं भीतर आ रहा हूं । दोस्‍त की तरह ।”
“दोस्‍त गन ले कर नहीं आते ।”
“गन सामने तनी हुई न हो तो वांदा नहीं । मेरा गन वाला हाथ मेरी साइड में होगा, नाल का रुख फर्श की तरफ होगा । ओके ?”
“ओके ।”
“ठहरो ! ठहरो !” - महाबोले एकाएक भड़का - “क्‍या हो रहा है ये...”
तब तक मोकाशी चौखट से भीतर कदम डाल चुका था । उसने दायें बाजू निगाह दौड़ाई तो उसे गोखले दिखाई दिया, जो कि उसके भीतरकदम रखते ही दरवाजे से परे हट गया था ।

दोनों की निगाह मिली ।
“बाहर का क्‍या हाल है ?” - गोखले ने पूछा ।
“बुरा हाल है ।” - मोकाशी बोला - “पानी लगातार चढ़ रहा है । हमारे अलावा आसपास दूर दूर तक कोई नहीं है ।”
“ओह !”
“आप जरा इधर मेरे से बात करो ।” - महाबोले गुस्‍से से बोला ।
“बोलो ।”
“आपके साथ कौन था ?”
“मेरी बेटी थी ।”
“मैंने मोटर बोट के रवाना होने की आवाज सुनी । किधर गयी ?”
“पीएसी की एक टुकड़ी इधर पहुंची है...”
“क्‍या ! इस तूफान में ?”
“नेवी के स्‍टीमर पर ।”
“आपको क्‍या मालूम ?”

“मोकाशी केवल मुस्‍कराया ।”
“पहुंची है तो क्‍या !”
“श्‍यामला मोटर बोट लेकर मेन पायर पर गयी है ।”
“क्‍यों ?”
“उनको यहां का रास्‍ता दिखाने के लिये ।”
“क्‍या ! मोकाशी साहब, आप होश में तो हैं ?”
“अभी आया न !”
“तो मुखालफत की बातें क्‍यों कर रहे हैं ?”
“तुम्‍हें लगता है मैं मुखालफत की बातें कर रहा हूं ?”
“हां । तभी तो बोला । आपने श्‍यामला को पीएसी के जवानों को यहां का रास्‍ता दिखाने के लिये भेज दिया ! यकीन नहीं आता कि आपने ऐसा किया !”
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RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट - by desiaks - 10-27-2020, 03:06 PM

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