RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मैं गन नहीं रखता ।” - मैग्नारो सहज भाव से बोला - “बॉडीगार्ड रखता है । साला निकम्मा, नालायक, इमरजेंसी में टोटल फेल्योर बॉडीगार्ड रखता है । मोकाशी, तुम साला बेहथियार, डिफेंसलैस भीङु पर गोली चलायेगा ?”
“मालूम नहीं ।”
“मालूम नहीं बोला !”
“हां । तुम्हारा खास जोड़ीदार मेरे को सठियाया हुआ बुड्ढा बोला । क्या पता मैं क्या करुंगा !”
“मैं तो कुछ न बोला ! मैं तो इधर साइलैंटली खडे़ला था ! तुम्हेरा जो डायलॉग हुआ, महाबोले के साथ हुआ । ऐज ए रिजल्ट महाबोले के साथ क्या हुआ, वो सामने है ।”
मोकाशी ने नीलेश की तरफ देखा ।
“बिग बॉस बिग बॉस है ।” - नीलेश बोला - “ये ब्लफ खेलता हो सकता है । मेरे को चैक करने का कि ये क्लीन है ।”
मोकाशी ने सहमति में सिर हिलाया ।
नीलेश ने आगे बढ़ कर पहले डिसूजा की गन अपने काबू में की और उसे हाथ नीचे गिरा लेने की इजाजत दी । फिर उसने मैग्नारो की तलाशी ली ।
उसके पास कोई हथियार नहीं था ।
“क्लीन है ।” - नीलेश बोला ।
“मेरे को कोई खुशी नहीं हुई ।” - मोकाशी बोला - “मेरे को एक्सक्युज मांगता था बिग बॉस को शूट करने का सुख पाने का । खैर ! हर सुख तो नहीं मिलता न ! डिसूजा !”
डिसूजा ने सकपका कर मोकाशी की तरफ देखा ।
“बिग बॉस का बॉडीगार्ड है । गन गया तो क्या है ! खाली हाथ बॉडी को गार्ड कर । झपट पड़ मेरे पर । छीन ले गन मेरे से । मैं बूढा़ है, तू जवान है, तू तो बिजली की माफिक रियेक्ट करेगा । कर कोशिश । कामयाब हो गया तो साहब शाबाशी देगा । बड़ा ईनाम देगा । कम आन ! बिग बॉस का नमकख्वार बन कर दिखा । मर या मार ।”
“मैं इतना मूर्ख नहीं ।” - वो होंठो में बुदबुदाया - “मैं विक्टर का वफादार । लूजर से वफादारी दिखाना मतलब डूबते के साथ डूबना ।”
“क्या कहने !”
“रोनी !” - मैग्नारो गुर्राया - “यू ब्लडी बैकबाइटिंग, अनफेथफुल सन आफ ए होर !”
“बॉस, मैंने आपकी गाली का बुरा नहीं माना । इस वक्त आप मजबूर हैं, गाली देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते । आई एम सारी फार यू ।”
“यू बस्टर्ड ! यू कैन शोव युअर सारी अप युअर फैट ऐस !”
“ऐनीथिंग टु प्लीज…”
तभी विशाल द्वार से पीएसी के बेशुमार हथियारबंद जवानों का रेला भीतर दाखिल हुआ ।
उनमें सबसे आगे खुद डीसीपी नितिन पाटिल था ।
“एट लास्ट !” - चैन की लम्बी सांस के साथ स्वयंमेव नीलेश के मुंह से निकला ।
उपसंहार
आइलैंड पर तूफान का जोर और चौबीस घंटे अपने जलाल पर रहा ।
और दो दिन वहां मुकम्मल शांति स्थापित होने में और वहां की जिंदगी के अपने नार्मल ढ़र्रे पर लौट आने में लगे । फिर धीरे धीरे टूरिस्ट भी लौटने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं था ।
अलबत्ता कुछ टूरिस्ट साफ कहते सुने गये कि वो कैसीनो को मिस करते थे ।
मैग्नारो की गिरफ्तारी के साथ कैसीनो ही बंद न हुआ, उसका होटल भी बंद हो गया । ये बात भी दिलचस्पी से खाली नहीं थी कि उसके काले धंधों की सबसे ज्यादा, सबसे मुस्तैद पोल उसके बॉडीगार्ड ने खोली । उसी ने कोंसिका क्लब और मनोरंजन पार्क में मौजुद उन खुफिया ठिकानों की खबर दी जहां कि नॉरकॉटिक्स का स्टॉक रखा जाता था और यूं बडा जखीर पकड़वाया ।
बाजरिया पुलिस, जिस ट्रंक को वहां से निकालने की कोशिश की जा रही थी, उसको खोला गया तो उसमें से लोकल और फारेन करंसी में करोड़ों रुपया बरामद हुआ और उन लोंगो की मुकम्मल जानकारी बरामद हुई जो मैग्नारो को नॉरकॉटिक्स मुहैया कराते थे । नतीजतन मुम्बई और गोवा में बड़ी धड़पकड़ हुई ।
आर्म्स समगलिंग का अड्डा कोनाकोना आइलैंड न निकला । मुम्बई पुलिस की ये जानकारी गलत साबित हुई कि मैग्नारो आर्म्स समगलर भी था । निर्विवाद रुप से स्थापित हुआ कि उसका फील्ड नॉरकॉटिक्स और गेम्बलिंग - मटका, सट्टा, कैसीनो, कुछ भी - ही था ।
हेमराज पाण्डेय को बाइज्जत रिहा कर दिया गया ।
ये बड़ी शर्मनाक बात थी कि तूफान के पहले दिन, जबकी भाटे की मौजूदगी के अलावा पूरा थाना खाली था, जब बाद में वो भी मोकाशी पिता पुत्री के साथ वहां से कूच कर गया था, किसी को - खुद भाटे को भी नहीं, नीलेश को भी नहीं - लॉकअप में बंद पाण्डेय का खयाल नहीं आया था । नयी तैनाती के बाद जब उसकी तरफ आखिर किसी की तवज्जो गयी थी तो उसे लॉकअप में घुटनों घुटनों पानी में खड़े थर थर कांपते पाया गया था ।
जब पानी लॉकअप में घुस आया तो शोर क्यों न मचाया ?
थानेदार साहब के खौफ ने मुंह न खुलने दिया । शोर मचाकर वो उनका कहर नहीं जगाना चाहता था ।
ऐन टॉप से आर्डर हुई बहुत खुफिया तफ्तीश के बाद ये भी स्थापित हुआ था कि डीसीपी जठार का या उसके मातहत किसी सीनियर आफिसर का एसएचओ महाबोले से कोई तालमेल, कोई गंठजोड़ नहीं था, कोई उसके काले कारनामों में न शरीक था, न उनसे वाकिफ था । लिहाजा आइलैंड पर अपने पद का जो बेजा इस्तेमाल महाबोले करता था, वो उसका वन मैन शो था । अपने मातहतों को काबू में रखना के लिये ये उसी की स्थापित की हुई अफवाह थी कि उसके सिर पर डीसीपी जठार का हाथ था ।
मुरुड लौट कर डीसीपी जठार ने अपने वादे के मुताबिक मकतूला रोमिला सावंत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का पुनरावलोकन किया था तो पाया था कि मकतूला के नाखूनों के संदर्भ में अटॉप्सी सर्जन की कोई ऑब्जर्वेशन उसमें दर्ज नहीं थी । फिर डीसीपी जठार ने खुद मोर्ग में तब भी उपलब्ध मकतूला की लाश का मुआयाना किया था तो उसने उसके दायें हाथ की तीन उंगलियों के लम्बे नाखूनों के नीचे चमड़ी के अवशेष मौजूद पाये थे जिनकी डीएनए स्क्रीनिंग से निर्विवाद रुप से स्थापित हुआ था कि वो महाबोले की चमड़ी के अवशेष थे । महाबोले की लाश के फिजीकल एग्जामीनेशन से उसकी गर्दन पर बायीं ओर कान के पीछे से लेकर हंसली की हड्डी तक अपनी कहानी खुद कहती तीन खरोंचें पायी गयी थीं जो कि वर्दी के बटन टॉप तक बंद रखे जाने की वजह से वर्दी के नीचे छुप जाती थीं ।
अपने पद के दुरुपयोग से सम्बंधित कई चार्ज तो महाबोले अगर जिंदा रहता तो उस पर लगते ही लगते लेकिन वो उसकी नौकरी छुड़ाने और उसे कोई छोटी मोटी सजा दिलाने के ही काबिल होते । मरणोपरांत अब वो कत्ल का मुजरिम भी साबित हुआ था इसलिये मर कर उम्र कैद या फांसी जैसी किसी गम्भीर सजा से वो बच गया था ।
तूफान का प्रकोप खत्म होते ही कोनाकोना आइलैंड का सारा थाना मुअत्तल कर दिया गया था, अलबत्ता सबका ये आश्वासन था कि इंडिविजुअल स्क्रीनिंग पर जिस किसी को भी निर्दोष पाया जायेगा, उसको उसकी ओरीजिनल ड्यूटी पर बहाल कर दिया जायेगा ।
सिपाही दयाराम भाटे के लिये खुद नीलेश ने बाजरिया डीसीपी पाटिल रियायत और नर्मी की सिफारिश लगवाई थी । उसने थाने के ईमानदार पुलिसियों को एकजुट करने में जो मेहनत कर दिखाई थी, वो उसके कई पाप धोने में कामयाब हुई थी । ये दीगर बात थी कि उन पुलिसियों के कुछ कर दिखा पाने से पहले ही पीएसी की टुकड़ी ने ‘इंम्पीरियल रिट्रीट’ को अपने घेरे और कब्जे में ले लिया था ।
भाटे के बयान से मकतूला रोमिला सावंत के हैण्डबैग की स्टोरी भी सामने आयी, आखिर वो बैग बरामद भी हुआ जिसमें मौजुद चौदह सौ रुपये महाबोले के हुक्म पर भाटे ने खुद निकाले थे-वारदात के बहुत बाद निकाले थे । उस एक बात ने महाबोले के पाण्डेय के खिलाफ गढ़े पूरे-फर्जी-केस को ही धराशायी कर दिया ।
उस रहस्योद्घाटन के बाद नीलेश को मिसेज वालसन फिर याद आयी जिसने महाबोले की धमकी में आकर क्रॉस को छू कर झूठ बोलने का महापाप किया था ।
मिसेज वालसन की जान भी महाबोले के खिलाफ गवाह बनने से ही छूटी ।
कानून से तो उसको कोई सजा न मिली लेकिन पश्चाताप की मारी जब वो चर्च में, कनफेशन में गयी और जा कर ‘फादर, आई हैव सिंड’ बोला तो पादरी ने उसे छ: महीने की कम्युनिटी सर्विस की सजा सुनाई ।
हवालदार खत्री ने दिवंगत महाबोले के खिलाफ गवाह बनना कुबूल किया था और उसके हिमायती करप्ट पुलिसियों की शिनाख्त का जरिया बन कर उनके खिलाफ भी गवाह बनना कबुल किया था इसलिये उसका दर्जा वादामाफ गवाह का बन गया था लेकिन नौकरी से बर्खास्तगी से वो दर्जा उसे नहीं बचा सकता था ।
नीलेश को अपनी इंस्पेक्टर की नौकरी पर बहाली का परवाना आइलैंड पर ही मिल गया । तूफान के गुजर जाने के तुरंत बाद कोस्ट गार्ड्स आइलैंड पर अपनी बैरकों में वापिस लौट आये थे और उनके कम्युनीकेशन नैटवर्क पर नीलेश की बहाली की चिट्ठी रिसीव की गयी थी और उसकी हार्ड कापी आगे नीलेश को सौंपी गयी थी ।
बाइज्जत बहाली !
अब नीलेश गोखले - इंस्पेक्टर, मुम्बई पुलिस - के दामन पर उसकी गुजश्ता बद्कारियों का कोई दाग नहीं था ।
अपनी किराये की आल्टो की सुध लेने नीलेश थाने पहुंचा तो कम्पाउंड में श्यामला उसे अपनी वैगन-आर में सवार होती दिखाई दी ।
ऑल्टो को भूल कर वो लपक कर वैगन-आर के करिब पहुंचा जिसे कि श्यामला तब तक स्टार्ट कर चुकी थी और गियर में डालने के उपक्रम में थी ।
“रुको, रुको ।” - वो हांफता सा बोला ।
श्यामला ने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा ।
“मैं तुम से बात करना चाहता हूं ।” - नीलेश बोला ।
“करो ।”
“ऐसे नहीं ।”
श्यामला ने इग्नीशन आफ किया ।
“अब करो ।”
“मेरा मतलब है यहां नहीं ।”
“तो और कहां ?”
“यहां के अलावा कहीं भी ।”
“कहीं कहां ?”
“तुम बोलो ।”
भवें सिकोड़े उसने उस बात पर विचार किया ।
“करीब ही एक कैफे है ।” - फिर अनिश्चित भाव से बोली ।
“ठीक है ।”
“चलो ।”
“कैसे ? तुम्हारी कार के पीछे दौड़ लगाता ?”
जवाब में श्यामला ने खामोशी से पैसेंजर साइड का दरवाजा खोला ।
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