RE: Rishton mai Chudai - परिवार
चाचा " तो उन्ही को लेकर जाने दे ना तू तो रुक जा।
चाची "नही हम दोनों कोमल और राहुल कल मेरे मायके जा रहे बोल दिया ना बस और कोई बहस नही करनी मुझे इस बारे में ।वैसे भी आपको क्या कमी है घर पर नही तो बाहर कही चले जाइयेगा।
चाचा "ठीक है जैसी तेरी मर्जी तू जाना चाहती।मुझे भी कुछ दिनों के लिए छुटी मिलेगी।
चाची "जैसी तुम्हारी मर्जी लेकिन एक बात का ध्यान रखना जो तुम आज कल कर रहे हो इस बारे मे मैं ही नही बल्कि बड़ी दीदी भी जानती है । उन्होंने कहा है कि तुम चिंता मत करो जल्द ही तुम्हारा सपना जरूर पूरा होगा।इसलिए तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना ।"
चाचा " तुम कहना क्या चाहती हो क्या बात है समझ में नहीं आ रहा है। तुम जो कुछ भी कहना चाहती हो खुल कर कहो।"
चाची "सुनो अगर साफ सब्दो में कहु तो तुम जो आज कल सुवर्णा और चंचल को चोदने के चक्कर मे वह बात हम दोनों को पता है । इसलिए दीदी नही चाहती कि तुम्हारी गलती की सजा हमको गांव में अपनी इज्जत से चुकानी पड़ी समझे।
चाची की बाते सुनकर चाचा इधर उधर देखने लगते है। उन्हें कुछ जवाब नही सूझता है।इसके बाद वो दोनों आराम से सो जाते है ।
सुबह जब मेरी नीद खुलती है तो रोज की तरह मैं पहले कोमल दीदी खोजने लगता हूँ। उधर कोमल दीदी को जब इस बात का एहसास होता है कि मैं सो कर उठ गया हूं। वो भी मुझे खोजते हुए वहां पर चली आती जंहा पर मैं उन्हें खोजते हुए बैठा था। कोमल दीदी जब मेरे पास आती और बोलती है कि
कोमल" मैने तुझे कितनी बार समझाया कि अपनी आदत छोड़ दे ।अगर किसी दिन मैं नही रही तो तू क्या करेगा।"
मैं "दीदी आप भी जानती हो कि जब तक मैं आपका चहेरा नही देख लेता तब तक मैं किसी और को नही देखता हूं और आप ये बार बार क्यों बोलती है कि अगर आप नही रहोगी तो मैं क्या करूँगा।"
कोमल "तू समझता क्यों नही मेरी बात कल को तेरी शादी होगी तो तेरी बीवी बुरा नही मानेगी।"
मैं "दीदी यह बात आप भी जानती हो कि मेरी क्या हालत है ।इस हालत में कोई भी लड़की मुझसे क्यों शादी करेगी ।
अभी इन दोनों की बाते चल ही रही थी कि पीछे से माँ बोलती है कि
माँ "बेटा अब तुझे ज्यादा चिंता करने की कोई जरूरत नही है ।तेरी चाची की माँ ने हमे एक वैध के बारे बताया है । जंहा पर हम तुम दोनों के इलाज के लिए आज लेकर जाने वाले है ।भगवान ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।"
मैं "माँ आप दीदी को लेकर जाओ मुझे कोई दवा नही करानी है ।मैं नही चाहता कि फिर से कोई मेरा मजाक उड़ाए।"
कोमल "तू क्या समझता है कि अगर तू नही गया तो मैं तेरे बिना चली जाउंगी ।अगर तू यह सोच रहा है तो गलत सोच रहा है ।जाएंगे तो दोनों साथ वरना मुझे भी नही जाना है ।
माँ "तुम दोनो आपस मे तय कर के 1 घण्टे में तैयार रहना ।हमे आज ही निकलना है ।
इतना बोल कर माँ चली जाती है ।फिर कुछ देर मैं दीदी को जाने के लिए मनाता रहता हूं लेकिन जब वह किसी भी तरह से मानने को तैयार नही होती है तो लास्ट मे मैं भी चलने के लिए तैयार हो जाता हूं ।इसके बाद 1 घण्टे बाद मा और चाची दोनो तैयार हो कर मेरे पास आती है ।मैं भी उनके साथ दीदी के रूम की तरफ चल देता हूं ।जंहा रूपा दीदी कोमल दीदी को तैयार कर चुकी थी ।रूपा दीदी ने बचपन से कोमल दीदी को बहन कि तरह नही बल्कि एक माँ की तरह देख भाल की थी ।जैसे कोमल दीदी की जान मेरे बस्ती थी वैसे ही रूपा दीदी की जान कोमल में बसती थी । रूपा दीदी मुझे देखती है तो बोलती है कि
रूपा "देख कोमल को सिर्फ तेरे भरोशे भेज रही हूँ ।जैसे तू लेकर जा रहा वैसे ही लेकर आना अगर इसे कुछ भी हुआ तो तू जानता है ना कि मैं तेरे साथ क्या करूँगी।"
कोमल "दीदी आप इतना चिंता क्यों कर रही है मैं कोई हमेशा के लिए तो नही जा रही हु ना बस हम दोनों दवा लेंगे और 2 या 3 दिनों में वापस घर आ जाएंगे ।आप बिलकुल भी चिंता ना करे ।फिर मेरे साथ माँ और बड़ी माँ भी तो होगी ना ।'"
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