RE: Rishton mai Chudai - परिवार
साधु1 "हा अम्मा आपका सोचना बिल्कुल ठीक है गुरु जी को आपके आने का आभाष पहले ही हो गया था।आप इंतजार करें हम अभी उनकी आज्ञा लेकर आते है ।"
नानी "जैसी आप बोले हम यही पर उनके आदेश का इंतजार कर लेंगे।"
इतना सुनकर वो सभी लोग वहां से चले जाते है ।उनके जाने के बाद मा नानी से पूछती है कि
माँ "मा मुझे एक बात समझ मे नही आई कि उन्हें आपके आने का आभास कैसे हो गया ।क्या वह जोतिष विधा के जानकर है ।
नानी "हा उनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी किसी को भी नही है।अगर उन्हें हमारे आने का आभाष था तो जरूर कोई आवयश्क कार्य होगा गुरु जी का और भगवान ने चाहा तो इन दोनों का इलाज यंहा पर जरूर हो जाएगा ।"
इधर वह साधु गुरु जी के पास जाता है ।गरु जी अपने कुटीर में ध्यान में लीन थे ।साधु के कई बार आवाज देने के कारण गुरु जी समाधि से बाहर आते है ।गुरु जी के पूछने पर वह साधु सब बता देता है।
गुरु जी " तो चंद्रावती आखिर आ ही गयी ।उंसके साथ मे और भी कोई है या वह अकेले ही यंहा पर आई हुई है ।"
साधु " नही गुरु जी वह अकेले यंहा पर नही आई हुई है ।बल्कि उनके साथ मे 4 और भी है है ।जिनमे 2औरते 1 लड़का और 1 लड़की है ।"
गुरु जी "तो इसका मतलब यह हुआ कि वह समय आखिर आ ही गया जिसका हमे इतने दिनों से इंतजार था ।"
साधु "गुरुदेव आप कहना क्या चाहते है ।यह बात तो बिल्कुल भी मेरी समझ मे नही आ रहा है ।"
गुरुजी "तुम समझ भी नही पाओगे क्यूंकि जो घटना घटने वाली है ।उसकी भूमिका तो बहुत पहले ही तय कर दी गयी थी हम तो बस निमित मात्र है।"
साधु "हमे आपकी बात समझ मे नही आ रहा है ।आप कहना क्या चाहते है ।खुल कर बताए।"
गुरुदेव "तुम्हे याद तो होगा ही कुछ वर्षों पहले मैंने तुम्हें एक काम दिया था । वह घटना तुम्हे याद है कि नही।"
साधु "गुरुदेव मैं उस घटना को कैसे भूल सकता हु ।मैं आज तक अपने उस गलती को नही भूल पाया जिसके कारण से उन मासूम बच्चों की जिंदगी बरबाद हो गयी ।'"
गुरुदेव "तो बस यही समझ लो अब तुम्हे प्रयाश्चित करने का मौका जल्द ही मिलने वाला है ।पहले तुम यह बताओ कि मैंने तुम्हें जंगल से जो जड़ी बूटी लाने को कहा था ।तुमने उसका इंतजाम कर दिया है कि नही।
साधु "गुरुदेव मैंने आपके कहने के अनुसार सारी जड़ी बूटियों का इंतजाम कर दिया है ।लेकिन मेरी समझ में एक बात नही आ रही है कि आप उन दुर्लभ जड़ी बूटियों का क्या करेंगे ।आप यह अच्छी तरह से जानते है कि अगर उसकी जानकारी किसी भी गलत हाथो में पड़ गयी तो उसका कितना गलत इस्तमाल किया जा सकता है ।"
गुरुदेव मैंने जिस जकह पर तुम्हे भेजा था ।वहां पर तुम पहले भी जा चुके हो कई बार क्या आज से पहले तुम्हे उन जड़ी बूटियों के दर्शन हुए थे।"
साधु "नही गुरुदेव आज से पहले ना जाने कितने लोग उसे पाने के लिए यंहा पर आए लेकिन उसे पाना तो दूर उसे देखने का नशीब भी उन लोगो को नही मिला लेकिन आज जब मैं गया तो मुझे बिना किसी परिश्रम के मिल गया।"
गुरुदेव " तो तुम्हे क्या लगता है यह सब बिना कारण के ही हो रहा है ।यह सब पहले से नियति ने पहले से निश्चित कर रखा था और अब तुम जाओ जाकर चन्द्रावती के साथ जीतने भी लोग आए है ।उन सभी लोगो को आदर सहित यंहा ले कर आओ।
साधु " जी गुरुदेव जैसी आपकी आज्ञा।"
इसके बाद साधु बाहर जाकर चन्द्रावती के पास जाता है और जाकर बोलता है कि
साधु "अम्मा आप सभी लोगो को गुरुदेव ने अपने कुटीर में बुलाया है।"
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