RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
सलीम: में आपका नया नोकर हूँ.. आपके लिए चाय लाया हूँ...
आरती: ह्म रख दो.. दीदी कहाँ है..
सलीम: जी वो तो देव बाबू के साथ बाहर गई हुई है..
आरती: अरे कामया दीदी कहाँ है..
सलीम: जी वो शायद कपड़े पहन रही है..
आरती एक दम से नींद से जाग जाती है..
आरती.: व्हाट...? तुम्हे कैसे पता.
सलीम: जी जब में उनके रूम में गया तो उन्होने कहा था कि तैयार हो कर नीचे आ रही हूँ..
सलीम.झूठ बोलते हुए मुस्कुराता है..
आरती अच्छा ठीक है तुम चलो में आती हूँ..
सलीम: जी मेम साब..
सलीम चाय की ट्रे उठा कर वापस घर के काम में लग जाता है..
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वही अंजलि काफ़ी खुश थी शॉपिंग से.. वो माल के बाहर आकर ऑटो का वेट करने लगती है कि तभी उसके सामने एक गाड़ी फुल स्पीड में आती हुई ब्रेक लगा देती है..
अंजलि मुस्कुरा देती है.. मुस्कुराए क्यूँ नहीं आख़िर उसका पति जो आगया था.. देव..
देव: हेलो .. देव सिंग.. क्या में आपको.घर ड्रॉप कर सकता हूँ..
अंजलि: ऑफ कोर्स यू कॅन.. बट ओन्ली इफ़ यू विल बिहेव लाइक माइ हब्बी नोट आ ड्राइवर..
अंजलि की इस बात पर दोनो एक बार तो खामोश हो जाते है फिर देव और अंजलि दोनो ज़ोर से हँसने लगते है..
देव: ओके मेड्म चले..
अंजलि: जी चलिए...
अंजलि और देव लगभग 45 मिनिट का सफ़र तय करके घर पहुँचते है..
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