RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
तभी नमिता फिर बोली- अरे हम दोनों ऊपर थे, इसका ख्याल तो करना चाहिये था ना? अच्छा हुआ हम लोगों की नींद नहीं खुली।
एक बार फिर मैंने उसके गालों को सहलाते हुए उसे बताया- मैंने अन्दर से अच्छी तरह से सब खिड़की दरवाजा बन्द कर लिए थे। कहते कहते मैंने शॉवर चला दिया, इससे हम दोनों भीगने लग गये।
नमिता - 'भाभी, यह क्या कर रही हो?'
मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- चिल्लाओगी तो पापा या मम्मी यहाँ आ सकते हैं। चलो कोई बात नहीं, अब भीग गई हो तो अपने कपड़े उतार लो।
मैं उससे अलग होकर शॉवर के नीचे नहाते हुए बोली। मैं जानबूझ कर नमिता के सामने अपने अंगों से खेल रही थी लेकिन नमिता अपनी जगह खड़े होकर केवल मुझे निहार रही थी। उसको इस तरह देखकर मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था कि तभी नमिता को न जाने क्या सूझा कि उसने अपनी सलवार और कुर्ते को उतार दिया। नीचे वो हरे रंग की पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी।
पास आते हुए बोली- भाभी, तुम घूमो, मैं तुम्हारी कमर पर साबुन लगा देती हूँ।
मैं घूम गई और नमिता साबुन लगाने लगी।
मेरे बिना कहे उसने मेरी पीठ के साथ-साथ वो मेरी टांगों, मेरे पीछे के उभारों में, आगे मेरी छातियों में और नीचे चूत और जांघ के आस पास नमिता ने सब जगह साबुन लगाया, खासतौर से वो मेरी चिकनी चूत को तो बड़े प्यार से साबुन लगा रही थी।
फिर धीरे से बोली- भाभी, तुम्हारे यहाँ बाल नहीं हैं, क्यों?
मैंने झटपट उत्तर दिया- तुम्हारे भईया को पसंन्द नहीं है।
नमिता - 'उनको इससे क्या लेना देना?'
मैं - 'क्यों नहीं? मेरी ये जगह (मैंने अंगों के नाम न लेने में भलाई समझी, मैं चाहती थी कि पहले वो अच्छी तरह से मेरी बातों को समझने लगे) उन्ही के लिये तो है। वो रात में बड़े प्यार से इस जगह को चूमते हैं, इसमें अपनी जीभ फिराते हैं और फिर इसमें अपने लिंग को डालकर मुझे मजा देते हैं।'
नमिता - 'हम लोग इस जगह से पेशाब करते हैं, तो भी वो अपनी जीभ यहाँ चलाते हैं?'
मैं - 'हाँ, मैं भी तो उनके लिंग को चूसती हूँ।'
नमिता - 'छीःईईई ईईईई!'
मैं - 'क्या हुआ?' मैं उसे अपने से चिपकाते हुए बोली
और फिर मैंने उससे साबुन लेकर उसकी ब्रा के हुक को खोला और साबुन लगाने लगी। साबुन लगाते हुए मैं जब उसकी जांघ और चूत पर साबुन लगाने के लिए उसकी पैन्टी उतारने लगी तो उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और मुझसे साबुन मांगने लगी। मुझे एक बार फिर उसे समझाना पड़ा तो फिर वो तैयार हो गई। जब मैंने उसकी पैन्टी उतारी तो उसकी चूत के बाल काफी घने थे, ऐसा लग रहा था कि जब से वो जवान हुई है तब से उसने अपनी चूत के बालों की सफाई नहीं की है।
मैंने पूछा- ये क्यों?
तो नमिता ने जवाब दिया- मुझे अच्छा नहीं लगता है।
मैं - 'क्यों, अमित ने नहीं बोला इसे साफ करने को?'
नमिता - 'बोलते तो हैं लेकिन मैं नहीं करती।'
मैंने साबुन लगाते हुए नमिता से कहा- पति पत्नी के सफल जीवन में सेक्स बहुत बड़ा रोल निभाता है, सेक्स से प्यार करो और पति को भी प्यार करो। नहीं तो कब दूसरी सौत आ जायेगी पता ही नहीं चलेगा... और फिर तुम्हारे रोने से कुछ भी नहीं होगा। बात करते हुए मैं नमिता के पीछे गई और उसके गर्दन को चूमने लगी, साथ ही उसकी चूचियों से खेलने लगी।
नमिता - 'भाभी, ये क्या कर रही हो?'
मैं - 'कुछ नहीं... चुपचाप केवल जो मैं कर रही हूँ उसको महसूस करो।'
मेरे हाथ धीरे से बढ़ते हुए उसकी चूत से खेलने लगे और नमिता केवल सिकुड़ती जा रही थी और साथ ही सिसकारियाँ भी निकलती जा रही थी। जब मैंने देखा कि नमिता अब मेरी किसी हरकत का विरोध नहीं करेगी तो मैं नीचे उसके चूत पर अपने होंठों को रख दिया। उसकी चूत वास्तव में काफी गर्म थी। मैं नमिता की चूत में अपने जीभ चला रही थी,
नमिता बोले जा रही थी- भाभी, मत करो प्लीज, मुझे कुछ हो रहा है!
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। उसकी चूत चूसने के कारण नमिता के पैर कांपने लगे थे और फिर वो भी वक्त आया था कि उसके अन्दर की गर्मी मेरे मुँह के अन्दर थी। उसके रस के स्वाद को लेने के बाद मैं उठी और नहाने लगी। नमिता मेरे पीछे आई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- भाभी, मैं भी वही करना चाहती हूँ जो आप ने मेरे साथ किया है।
मेरे मुंह से तुरन्त निकला- नीचे बैठो और करो, मैंने कब मना किया है।
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