RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था। काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया... और लगा मुझे चोदने। एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा। अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया। अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी। अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया। थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
अमित - 'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
मैं - 'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
अमित - 'नहीं... आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
अमित - 'सॉरी भाभी...' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला,
मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
अमित - 'हल्का सा...' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
मैं - 'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता। तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे। पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था। मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
अमित - 'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई। अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था। मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
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