RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
'ठीक है!' कहकर मैंने तुरन्त ही अपने गाऊन को उतार दिया।
चूंकि मैं अन्दर कुछ भी नहीं पहनती थी तो मैं पूर्ण रूप से नंगी थी।
अब नमिता की बारी थी, उसने भी गाउन उतारा और फिर एक-एक करके अपनी पैन्टी और ब्रा को भी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी। हम जब छत पर पहुँचे तो अमित केवल चड्ढी में था और सिगरेट पीते हुए हम लोगों का इंतजार कर रहा था। हम दोनों को ही नंगी देखकर अमित की आँखें फटी फटी रह गई। अमित केवल अपना मुंह फाड़े हमे देख रहा था और नमिता अमित को इस तरह देखकर अपने आपको रोमांचित महसूस कर रही थी।
अमित ने तुरन्त ही नमिता को अपने बांहों में भर लिया और बोला- डार्लिंग, अब तुम मुझे रोमांचित करने लगी हो।
अमित नमिता के जिस्म को सहला रहा था। थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही चिपके रहे, फिर जब दोनों अलग हुए तो अमित की नजर मुझ पर भी पड़ी और मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगा, फिर अपनी चड्डी उतारते हुए बोला- जब तुम दोनों पूरी नंगी हो तो मैं भी लो, पूरा नंगा हो जाता हूँ।
मेरे मन में थोड़ा सा थ्रिल करने का हो रहा था तो अमित से बोली- हम तीनों ही छत पर रहें तो?
नमिता और अमित दोनों मेरे इशारे को समझ गये थे, अमित ने तुरन्त ही तीन कुर्सी लगा दी। पहले अमित, फिर नमिता और मैं जानबूझ कर नमिता के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई। अमित काफी चहक रहा था और शायद हम तीनों को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था कि हमें छत पर कोई नंगा देख रहा है या नहीं। तीनों ही मस्ती के मूड में थे।
अमित बल्कि कुछ ज्यादा ही था, वो बोला- कभी मेरी किस्मत चूत के मामले में गधे के लंड से लिखी हुई थी, बाहर क्या घर वाली की चूत भी ठीक से नसीब नहीं होती थी, आज दो दो चूत सामने हैं।
मैं नमिता के बोलने से पहले ही बोल पड़ी- जीजू, गफलत में मत पड़ो, तुम दो चूत को देख सकते हो लेकिन चूत केवल नमिता की चोद सकते हो।
ऐसा लग रहा था कि अमित को जो मौका आज मिला है वो शायद आज के बाद फिर न मिले, वो सब कुछ कर लेना चाहता था, इसलिये वो बोला- आज बिना मांगे बहुत कुछ मिल गया तो एक इच्छा और पूरी कर दो?
नमिता बोली- जानू, तुम जो कहोगे वो करूँगी।
अमित - 'मैं चाहता हूं कि आज तुम दोनों मुझे गाली दो और मैं तुम दोनों को गाली दूँ, जल्दी से बोला- अगर तुम दोनों को बुरा न लगे तो?
'मुझे तो आती नहीं।' नमिता बोली।
मैंने नमिता को सुझाया कि अमित पहले हम दोनों को गाली बकेगा और फिर तुम समझ लेना उसके बाद हम दोनों अमित को गाली देंगी, लेकिन माँ बहन की गाली नहीं होगी।
बस मेरी बात खत्म हुई थी कि अमित बोला- मादरचोदो, दोनों बिना किसी लाज शर्म के नंगी नीचे से ऊपर चली आई।
अमित ने इतना ही बोला था कि मैं बोल उठी- भोसड़ी के, तुम ही तो चूत के बिना मरे जा रहे थे, रोज मेरी चूत मारने का सपना देख रहे थे और आज तेरे सामने मेरी चूत है तो हमें लाज शर्म सिखा रहा है।
तभी नमिता बोल पड़ी- हाँ भाभी, देखो इस साले को, अभी तक चाह रहा था कि मैं पूरी नंगी इसके सामने रहूँ और आज सामने हूँ तो हम लोगों को पाठ पढ़ा रहा है।
मैं और अमित नमिता की बात सुन कर हँसने लगी, अमित उसके दोनों गालों को प्यार से खींचते हुए बोला- जाने मन... बहुत खूब, बस थोड़ा और..
नमिता - 'मुझे शर्म आ रही है।'
'कोई बात नहीं!' अमित बोला- जानेमन, जब तुम नीचे से नंगी ऊपर चली आई तो फिर अपने आदमी को गाली बकने में शर्म मत करो।
हकलाते हुए नमिता बोली- चल मादरचोद मेरी चूत को चाट, नहीं तो तेरी गांड में इतने हन्टर मारूँगी कि जब तू सुबह हगने के लिये उठेगा तो तेरी गांड इतनी सूज़ी होगी कि तू टट्टी भी कायदे से नहीं कर पायेगा।
(कह कर नमिता ने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।)
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