RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा कर घोड़ी की पोजिशन बना ली और बॉस जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया और धक्के पे धक्के देने लगा। इस बार बॉस काफी देर तक अपने घोड़े को मेरी गुफा में दौड़ाता रहा। इस बार बॉस बॉस की तरह ही अपना लंड मेरी चूत में पेलता रहा और मैं उसी पोजिशन में खड़ी रही। इस बार बॉस ने घिसाई इतनी देर तक की कि मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी मेरे कान में 'आह ओह, आह-ओह...' की आवाज आई और लगा कि धक्के की गति पहले से काफी तेज हो चुकी थी या फिर अपने चरम पर थी।
'ओह्ह्ह्ह...' करते हुए बॉस मेरी पीठ पर लुढ़क गया और उसका गर्म गर्म माल मेरी चूत में भर गया और फचाक की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था।
मैं - 'बॉस आपने जो कहा, मैंने माना... अब तुम अपने लंड और मेरी चूत के मिलन का रस चख कर देखो।'
बॉस - 'मैं आज पूरा मजा लेना चाहता हूँ!' कहकर बॉस ने अपनी जीभ को मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और रस का स्वाद लेने लगे। फ्री होने पर बॉस ने मुझे एक बार फिर अपने सीने से जकड़ लिया और
बॉस कहने लगा- आकांक्षा, तुमने आज जो सुख दिया है, उसके बदले में मैं तुम्हारे कोलकाता ट्रिप को और मजेदार बना रहा हूँ। काम के साथ साथ वहाँ एन्जॉवय भी करो। ऑफिस की तरफ से तुम्हारे साथ एक और परसन का खर्चा मिलेगा। उसमें तुम जिसे चाहो उसे अपने साथ ले जा सकती हो।
अचानक फिर कुछ याद करते हुए बोले- अभी तो तुम्हारी नई नई शादी हुई है और अभी तुमने हनीमून भी नहीं मनाया होगा, तुम अपने हबी के साथ जाकर हनीमून बना लो।
मैं अपने बॉस से और चिपकते हुए बोली- मेरा तो रोज हनीमून हो रहा है।
फिर बॉस मुझे कपड़े पहनाते हुए बोले- आकांक्षा, तुम्हारी सैलरी में 20% का इन्क्रीमेन्ट भी लगा रहा हूँ। फिर वो भी तैयार होकर मुझे मेरे घर तक छोड़ने आये और मेरे घर आने तक रास्ते में जब भी मौका मिलता मेरी चूत से खेल लेते थे। घर पहुँची तो सभी लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। आज मैं काफी थकी हुई लग रही थी। अमित और नमिता मेरे पास आये, आते ही अमित ने कहा- भाभी बहुत थकी हुई लग रही हो, कहो तो मालिश कर दूँ?
मैंने नमिता की तरफ देखा और
बोली- अगर नमिता को ऐतराज न हो तो... और केवल मालिश, सेक्स नहीं करूँगी।
नमिता बोली- भाभी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि अमित कैसी मालिश करता है। मैं भी जब कभी थकी हूँगी तो अमित मेरी भी मालिश कर दिया करेगा।
तभी ससुर जी की आवाज आई- क्या बात है, आज तुम काफी थकी सी लग रही हो?
मैं - 'हाँ बाबू जी, आज ऑफिस में काम ज्यादा था इसीलिये!'
ससुर जी - 'कोई बात नहीं, जाओ एक-दो घण्टे तुम आराम कर लो। तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।'
कहकर वो चले गये और मैं ऊपर अपने कमरे में आ गई। मेरे पीछे-पीछे अमित और नमिता भी आ गये। कमरे में पहुँच कर मैंने रितेश को फोन लगाया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। एक दो बार ट्राई करने के बाद मैंने वही नमिता और अमित के सामने ही अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और
अमित से बोली- जीजू, आप तैयारी करो, मैं जरा फ्रेश होकर आ रही हूँ, तब आप मालिश करना।
इतना कहने के साथ मैं फ्रेश होने नीचे आई और फ्रेश होने के लिये लैट्रिन का दरवाजा खोलने ही जा रही थी कि अन्दर से 'आह उह... आह उह...' की आवाज आ रही थी।
मैं आवाज तो सुन पा रही थी लेकिन देखने के लिये मैं कोई सुराख खोज रही थी कि देखा छोटा देवर जिसका नाम सूरज था, वो मेरा नाम ले लेकर मुठ मार रहा था,
बोल रहा था- भाभी तुम कितनी अच्छी हो। तुम्हारी चूत क्या कहना... आ आ मेरी जान, मेरे लंड को अपनी चूत में ले लो। क्या गोल गोल है तुम्हारी चूची, इसका दूध मुझे पिला दो। इसी तरह वो मेरी चूत, चूची और गांड के कसीदे पढ़ रहा था। बड़बड़ाते हुए उसका हाथ भी बड़े तेजी से चल रहा था और फिर अचानक उसके लंड से पिचकारी छूटी और उसकी पूरी हथेली में उसका रस लगा था। फिर वो उसी अवस्था में अपने हाथ धोने के लिये खड़ा हुआ। मुरझाने के बाद भी उसका लंड लंड नहीं मूसल लग रहा था। हाथ धोने के बाद उसने अपनी चड्डी पहनी और मैं जल्दी से वहाँ से दूर हो गई। जब सूरज बाहर आया तो मैं उसको गौर से देखने लगी, जो अब मुझे काफी सेक्सी दिख रहा था। खैर मैं फिर फारिग होने के लिये चली गई और लेट्रिन में जितनी देर बैठी रही, सूरज के बारे में सोचती रही कि सूरज ने मुझे कब और कैसे नग्न देख लिया कि उसे मेरे अंग अंग के बारे में मालूम था या फिर वो कोरी कल्पना में मुझे पाना चाहता था। तभी अचानक वो सुराख मुझे याद आया, जैसे अभी अभी मैंने सूरज को वो सब करते देखा, हो सकता है कि सूरज ने मुझे देखने के लिये सूराख किया है।
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