RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मैं - 'हाँ चलती हूँ, बस एक छोटा सा काम है, निपटा लूँ, फिर डॉक्टर के यहाँ चलते हैं। उसके बाद सीधे घर चलकर मैं आराम करूंगी।'
फिर बिना कुछ बोले सूरज ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और उसके बाद बॉस के फ्लैट पर पहुँचने से पहले मेरे और सूरज के बीच कोई बात नहीं हुई। फ्लैट पर पहुंचने के बाद मैंने सूरज को गाड़ी पार्क करने के लिये बोला तो उसने वहीं रहकर इंतजार करने के लिये बोला।
मैं सूरज के हाथ को अपने हाथ में लेते हुये बोली- भाभी की बात मानने में बहुत मजा आता है और जो नहीं मानता है तो फिर पछताने के सिवा कुछ नहीं मिलता है।
फिर बिना कुछ बोले सूरज ने गाड़ी को पार्क किया और मेरे साथ फ्लैट के अन्दर आ गया।
कमरे के अन्दर पहुँचने पर सूरज आश्चर्य से इधर उधर देखने लगा।
उसको देख कर मैंने पूछा - क्या देख रहे हो तो सूरज बोला - भाभी आपने तो कहा था कि आप यहां काम से आई हो लेकिन इस फ्लैट में कोई नहीं रहता है और फिर आप बाहर से लॉक खोल कर आई हो। मैं समझा नहीं?
मैं - 'मैं यहां अपना इलाज करवाने आई हूँ।'
सूरज - 'यहाँ कौन है जो आपका इलाज करेगा?'
मैं - 'तुम...' छूटते ही मैं बोली।
सूरज की आंख आश्चर्य से और चौड़ी हो गई, हकलाते हुए बोला- मैं आपका इलाज कैसे कर सकता हूँ?
मैं - 'अरे वाह, सुबह तो तुम कह रहे थे कि भाभी आप बहुत अच्छी लग रही हो और अब नादान बन रहे हो।' कहते हुए मैं उसके और समीप आ गई थी और उसके शर्ट के ऊपर ही उंगली चलाते हुए,
बोली- क्यों सूरज, तुम्हें अपनी भाभी को नंगी देखना कैसा लगता है?
सूरज - 'मैं समझा नहीं भाभी?'
मैं - 'देखो बनो मत... तुम्हारे दिल की ही तमन्ना है न कि भाभी को तुम नंगी देखो। तो आज इलाज के बहाने तुम मुझे नंगी देख सकते हो। घर मे यह मौका तो तुम्हे कभी भी नहीं मिलता इसलिये मैं तुम्हे यहां लाई हूँ।' उसके हाथ को पकड़कर मैंने अपनी चूचियों पर रख दिया, तुम अपनी इच्छा पूरी कर लो!
सूरज - 'भाभी...' वो कुछ बोल नहीं पा रहा था।
मैं अब पूरी बेशर्मी पर उतर आई थी, मेरा हाथ उसके तने हुए नागराज पर फिसल रहा था जो बाहर आने को बहुत बैचेन था।
सूरज - 'भाभी...' बस इतना ही बोल पाया था, उसका संकोच उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहा था।
मैं - 'देखो, मेरे नाम की मुठ मारने से भाभी की चूत नहीं मिलेगी। या फिर ये हो सकता है कि तुम्हारा लंड केवल मुठ मारने के लिये है न कि चूत चोदने के लिये।'
मेरी इस बात को सुनते ही उसने मुझे तुरन्त अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और थोड़ी देर मेरे होंठ को चूसने के बाद,
सूरज बोला- भाभी, अपने देवर का आज कमाल देखना। कैसे वो आपको खुश करता है।
कहते हुए उसने मुझे पलट दिया और मेरी चूचियों को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा। कभी वो मेरी चूची दबाता तो कभी मेरी चूत से छेड़खानी करता और मैं आंखें बन्द किये हुये ये सब करवाती रही। थोड़ी देर बाद उसने मेरे टॉप को मेरे जिस्म से अलग कर दिया और मेरी नंगी चूची को बिना ब्रा के देख कर,
सूरज बोला- वाआओ... भाभी आप तो पूरी तैयारी से आई हो? अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी हो।
मैं - 'मैं ब्रा और पैन्टी नहीं पहनती हूँ।'
सूरज - 'क्या कह रही हो?'
मैं - 'हाँ, तेरे भाई को मेरा ब्रा और पैन्टी पहनना अच्छा नहीं लगता है।'
फिर उसने मेरी जींस भी उतार दी, मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मेरी गर्दन को चूमते हुए,
सूरज बोला- भाभी, आज मेरा सपना सच हो रहा है। मैं अपनी सेक्सी भाभी को अपनी आँखों के सामने नंगी देख रहा हूँ।
कहकर वो मेरी पीठ को चूमते-चूमते मेरे गांड के पास पहुँच गया और मेरे पुट्ठे को चूची समझ कर तेज-तेज दबाने लगा।फिर उसने मेरे पुट्ठे को कस कर फैला दिया और दरार में उंगली चलाने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड के छेद में उंगली डाल देता। मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत मजा आ रहा था।
सहसा वो उठा और बोला- भाभी, आज मैं आपको जी भर कर देखना चाहता हूँ।
कहकर वो मेरे एक एक अंग को छूकर देख रहा था और साथ ही साथ मेरे फिगर की तारीफ एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह किये जा रहा था।
सूरज बोला- भाभी, आज तक मैंने इतना परफेक्ट और सेक्सी फिगर नहीं देखा।
मैंने पूछा- कितनी लड़कियां अब तक?
सूरज - 'बहुत को चोदा है भाभी, लेकिन तुम्हारी जैसी बिन्दास और सेक्सी नहीं देखा। तुम तो पूरी की पूरी काम देवी लग रही हो।'
कहकर उसने मुझे गोदी में उठाया और पास पड़े बेड पर बड़ी सावधानी से लिटा दिया और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूचियों की गोलाइयों में चलाने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को दबा देता। उसके बाद वो मुझे चूमने लगा और फिर मेरी नाभि में अपनी जीभ को घुमाने लगा। सूरज जितने प्यार से मेरे जिस्म से खेल रहा था कि उसे किसी बात की कोई जल्दी नहीं है।
उसके इस तरह से मेरे जिस्म से खेलने के कारण मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी उसकी उंगली ने मेरे चूत प्रदेश की यात्रा शुरू कर दी। और जैसे ही उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर गई तो उसकी उंगली गीली हो गई। उसने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुंह में ले जाकर अपनी उंगली इस तरह से चूस रहा था कि जैसे वो कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो।
उसके बाद वो बोला- भाभी, तेरी गीली चूत को प्यार करने में बड़ा मजा आयेगा।
कहकर उसने मेरी दोनों टांगों को जो अब तक एक दूसरी से चिपकी हुई थी, अलग कर दिया और अपनी जीभ से हौले-हौले चाटने लगा।
अभी तक उसने अपने एक भी कपड़ा नहीं उतारा था और न ही अपने लंड को मसल रहा था। सूरज अपनी जीभ के साथ-साथ अपने दोनों हाथों का प्रयोग भी कर रहा था, कभी वो मेरी क्लिट से छेड़खानी करता तो कभी कण्ट से... तो कभी अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर अन्दर खरोंच करता जैसे कोई छोटी शीशी के तले से चाशनी निकाल रहा हो।
मेरे मुंह से 'उफ ओह उफ ओह...' के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।
उसकी इस प्यारी हरकत के कारण मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल पा रहा था।
बड़ी मुश्किल से मैं बस इतना ही बोल पाई- सूरज, भाभी को पूरी नंगी देख लिया और खुद इतना शर्मा रहे हो कि भाभी के सामने नंगे भी नहीं हो पा रहे हो।
सूरज - 'सॉरी भाभी, मैं आपके नंगे जिस्म में इतना खो गया था कि मुझे याद नहीं कि मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे।'
फिर वो तुरन्त ही खड़ा हुआ और अपने पूरे कपड़े उतार दिये। क्या लंबा लंड था उसका... बिल्कुल टाईट। वो लंड नहीं ऐसा लग रहा था कि कोई ड्रिलिंग मशीन हो। मैं तुरन्त खड़ी हो गई और
उसके लंड को हाथ में लेकर बोली- जब तुम्हारे पास इतना बढ़िया औजार था तो अभी तक मुझसे इसको छिपाया क्यों?
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