RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
रागिनी दाँत पीसते हुये वो अपना बैग लेकर गई और थोड़ी देर बाद वापस आई और बैग से अपनी पैन्टी निकाल कर मुझे देती हुई रागिनी बोली- लो।
मैंने उसकी पैन्टी ली और जहां पर उसका रस लगा था उसको अपने नाक के पास ले गया, सूंघने लगा।
वो मेरा हाथ दबाते हुए धीरे से बोली- सूरज, यह क्या कर रहे हो।
मैंने कहा- मैं अपनी दोस्त के रस की महक ले रहा हूँ।
कहकर उस हिस्से को मैंने अपने मुंह के अन्दर भर लिया।
मैं बोली- यार सूरज तुम तो शुरू से ही बहुत ही चोदू किस्म के इंसान थे।
सूरज - 'हाँ भाभी, लेकिन तुम्हारे जैसी चुददक्ड़ नहीं देखी। क्योंकि तुम जान जाती हो कि कब और कैसे मजा दिया जाये।'
मैं - 'अच्छा फिर क्या हुआ?
सूरज - बस मैंने उसकी चड्डी को खूब अच्छे से चाट कर साफ किया और फिर उसके बाद मैं अपना लंड बाहर निकालने लगा तो,
रागिनी बोली- सूरज तुम बहुत बेशर्म होते जा रहे हो।
मैं बिना कुछ बोले लंड को मुठ मारने लगा और कुछ ही देर में मैंने अपना पूरा माल उसकी पैन्टी में गिरा दिया, जबकि इतनी देर में रागिनी इस बात को लेकर डर रही थी कि कहीं कोई आकर मेरी यह हरकत न देख ले। मेरा जितना वीर्य उसकी पैन्टी में गिर सकता था उतना गिरा बाकी का मैंने उसकी ही पैन्टी से साफ किया और उसकी ओर पैन्टी बढ़ाते हुए
कहा- अब तुम्हारी बारी!
वो बोली- छीः मैं ये नहीं करूँगी।
मैं समझ गया कि यह सीधे से मानने वाली नहीं है तो एक बार उसको फिर ब्लैक मेल किया कि अगर नहीं करोगी तो मैं खड़े होकर तुम्हारी पैन्टी सबको दिखा दूंगा। विवश होकर उसने अपनी पैन्टी ली और इस तरह झुक गई कि वो क्या कर रही है किसी को पता नहीं चले और फिर वो पैन्टी को मुंह के पास ले गई और हल्के से अपनी जीभ को टच किया और फिर मुंह बनाते हुए,
रागिनी बोली- मुझे नहीं करना है।
मैंने उसे समझाया कि जब मैं तुमसे तुम्हारी पैन्टी मांग कर मैं चाट सकता हूँ तो तुम क्यों नहीं।
रागिनी बोली- तुमने अपनी मर्ज़ी से किया।
मैं बोला- हाँ ठीक है, लेकिन सोचो कि जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा आदमी अपना लंड जबरदस्ती तुम्हारे मुंह में डालेगा तो तो तुमको वही करना पड़ेगा, चाहे तुम्हारी मर्जी हो या न हो। फिर अभी कर के मजा लो।
मैं इसी तरह की बाते करके उसे फुसलाता रहा और अन्त में हारकर रागिनी ने अपनी पैन्टी को चाट कर साफ किया। उसके बाद रागिनी ने मेरे वीर्य को अपने थूक के साथ एकत्र करके मेरे मुंह को खोलते हुए उसने वो थूक मेरे अन्दर थूक दिया जिसको मैं गटक गया था।
मैंने रागिनी से बोला- अब हमारी दोस्ती पक्की हो गई है, कहते हुए उसके होंठों को चूम लिया।
रागिनी अपनी पैन्टी को अपने बैग में रखते हुए बोली- अब तुम केवल मेरे ही गांडू हो।
उसके बाद जब कॉलेज ओवर होने तक हम लोग एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पढ़ाई कर रहे थे।
सूरज और मुझे काफी जोश चढ़ चुका था और मैं उसके ऊपर तेज तेज उछलने लगी और सूरज मेरी हिलती-डुलती हुई चूचियों को पकड़ पकड़ कर मसल रहा था। अब मैं खलास हो चुकी थी और दो तीन धक्के मारने के बाद मैं सूरज के ऊपर ही लेट गई, सूरज का टाईट लंड अभी भी मेरी चूत के अन्दर हरकत कर रहा था। सूरज ने मुझे उठाया और घोड़ी के पोजिशन में खड़ा होने के लिये बोला। मैं घोड़ी बन गई। सूरज की जीभ मेरे गांड को चाट रही थी। थोड़ी ही देर मैं मेरी गांड सूरज के थूक से काफी गीली हो चुकी थी कि सहसा सूरज अपने लंड को मेरी गांड से रगड़ने लगा, तो मुझे समझते देर नहीं लगी कि सूरज मेरे गांड भी चोदना चाहता है। मैंने तुरन्त ही सूरज को ऐसा करने से मना किया तो सूरज भी बिना कोई सवाल किये हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक तेज झटका मारा और उसका समूचा लंड मेरी चूत के अन्दर था। अब सूरज धक्के पे धक्का दिये जा रहा था। काफी धक्के लगाने के बाद सूरज ने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी, उसका वीर्य मेरी चूचियों पर गिरा। सूरज अपनी उंगली में वीर्य लेता और फिर वही उंगली मेरे मुंह के अन्दर करता। इस तरह करके उसने मुझे अपना पूरा वीर्य चटा दिया और उसके बाद अपने लंड को साफ करने के लिये कहा जो मेरा सबसे पसन्दीदा काम था, मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर साफ किया। इतना करने के बाद सूरज ने भी मेरी चूत को साफ किया। एक बार फिर बेड पर मैं सूरज की बांहो में लेटी हुई थी।
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