RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
रागिनी का कुंवारापन खत्म हो चुका था, अब वो कमर उचका उचका कर मजे लेने लगी और थोड़ी देर बाद ढीली पड़ गई और हांफने लगी और अपने हाथ-पैरों को इस तरह ढीला छोड़ दिया कि वो चाह रही हो कि भाई मैं पड़ी हूं और तुम्हे जो कुछ भी मेरे साथ करना हो कर लेना। उसके कुछ देर बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं भी अब खलास होने वाला हूं तो मैंने अपना लंड निकाल लिया और रागिनी की चूत के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया, फिर उसके बगल में लेटा रहा।
रागिनी मुझसे बोली- सूरज, अन्दर बहुत जलन हो रही है।
मैं बोला- तुम्हारे अन्दर की झिल्ली फटी है, इस वजह से जल रहा है। उठो, उठ कर अपनी चूत को धो लो, मैं क्रीम लगा देता हूँ, कुछ देर बाद जलन दूर हो जायेगी।
जब हम दोनों ही बिस्तर से उठे तो देखा कि उसके खून से बिस्तर का एक खास हिस्सा सना हुआ था। खून देख कर वो मेरी ओर देखने लगी तो मेरे बताने के बाद उसकी आंखें फटी की फटी रह गई, उसने अपनी जलन को भूलती हुई चादर को उठाया और वाशरूम में ले जाकर साफ करने लगी। मैंने रागिनी को दिलासा देते हुए कहा कि कोई पूछे तो माहवारी बता देना और बोल देना कि मैं गहरी नींद में सोई थी पता नहीं कब हो गया। शायद रागिनी को मेरी बात समझ में आ गई थी, इसलिये उसने जितनी चादर धोई थी, उसके बाद उसे वहीं छोड़ दिया। और फिर मैंने उसकी चूत को साफ करने के बाद चूत के अन्दर क्रीम लगा दी। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने। रागिनी ने अपनी उस सेक्सी ड्रेस को अलमारी में छिपा दिया और फिर से सलवार सूट पर आ गई। उसके घर वालों के आने का समय हो चुका था इसलिये उसने मुझे जल्दी जाने के लिये बोला और बोली- बर्थडे गिफ्ट देने के लिये शुक्रिया।
कहानी सुनते सुनाते एक बार फिर हम दोनों देवर भाभी को जोश चढ़ गया और सूरज एक बार फिर मेरी सवारी करने लगा और इस समय उसका जोश केवल मैं ही महसूस कर सकती थी। तीन बार मैं सूरज से चुद चुकी थी और हम दोनों को भी घड़ी इशारा दे रही थी कि समय खत्म हो चुका है। हमने अपने कपड़े पहने और रास्ते में अपने बॉस को चाभी देकर धन्यवाद दिया। बॉस साला हरामी का हरामी ही रहा, विदा करने से पहले मेरी गांड में उंगली करने के साथ-साथ चिकोटी भी काट लिया। उसके बाद मैं जब घर पहुंची तो नमिता ने डॉक्टर की जानकारी ली तो मैंने सूरज की तरफ देखते हुए नमिता के कान में बताया कि डॉक्टर ने अच्छे से चेकअप किया और मेरी चूत के अन्दर उंगली करके बोली कि यह सूख रही है, पति से ही इसका इलाज संभव है। कहकर मैं अपने कमरे में चली गई कपड़े बदले और फिर लेटे ही लेटे रितेश का इंतजार करने लगी। नमिता ने मुझे खाना मेरे ही कमरे में दे दिया था। लगभग एक घंट बाद ही रितेश आ गया, पूरे घर वालों को हाल चाल देने के बाद हम दोनों ने एकांत पाया और फिर हम दोनों अपने कमरे में आ गये। जब तक रितेश घर पर नहीं था तो मैंने अपने कमरे के पर्दे को इस तरह से सेट किया था कि जो चाहे मेरे कमरे में झांक कर अन्दर हो रहे खेल का नजारा लेकर मस्त हो सकता था।
कमरे के अन्दर आते ही रितेश और मैं एक दूसरे की बाँहों में बहुत देर तक रहे। यही हम दोनों का प्यार था कि हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते हैं, खुल कर एक दूसरे से बातें करते हैं, किसने किसके साथ कब सेक्स किया है, ये हम दोनों को पूरा पूरा पता था। बहुत देर तक मैं उसकी बाँहों में और वो मेरी बाँहों में था। चूंकि अब हम दोनों को दो-तीन घंटे की पूरी छूट थी तो मैं और रितेश अपने बेड पर एक दूसरे से चिपक के बैठे हुए थे। मैं ज्यादा उत्सुक थी कि सुहाना ने अपने पति के साथ की हुई रतिक्रिया के बारे में क्या बताया। लेकिन रितेश के पास अभी तक सुहाना का फोन नहीं आया था, इसलिये उसको भी कोई जानकारी नहीं थी। फिर मेरे पूछने पर कि सुहाना के साथ कैसा बीता तो वो बोला कि मजा तो आ रहा था लेकिन जब उसके गांड का बाजा बज चुका था तो वो चली गई और बोली कि मेरा गिफ्ट उधार है और अगर कभी मिले तो मुझे वो गिफ्ट पूरा करेगी। मेरी उंगलियाँ रितेश की छाती के बालों से खेल रही थी जबकि रितेश मेरी बांहों को सहला रहा था। तभी रितेश ने पूछा- आज तुम्हारी तबीयत खराब थी?
तो मैं सूरज की पूरी कहानी सुनाने लगी ताकि रितेश को समझ में आ जाये कि मेरी तबीयत क्यों खराब हुई। अचानक रितेश को याद आया कि उसके जीजा के साथ मैंने क्या किया तो,
मुझे रोकते हुए बोला- तुमने जीजाजी को अपने पानी का भरपूर मजा दिया।
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