RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी।
वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।
मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।
इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।
रितेश तो पहले पहल नंगा छत पर घूमने से कतराने लगा लेकिन मेरे फोर्स करने पर वो तैयार हो गया। मैं और रितेश एक-दूसरे के कमर में हाथ डाले अपने कमरे से निकल पड़े। रितेश का सारा ध्यान मैंने अपने ऊपर लगा दिया और टहलते हुए नमिता के कमरे के पास पहुँचे तो दोनों की बातों की आवाज आ रही थी। रितेश मुझसे वापस चलने के लिये इशारा कर रहा था जबकि मैंने रितेश को चुपचाप उन दोनों की बातों को सुनने का इशारा किया और नमिता के कमरे की खिड़की के और पास जाकर खड़ी हो गई, उन दोनों की बातें सुनने लगी।
एक बात तो थी रितेश में वो मेरी कोई बात नहीं टालता था, इसलिये वो मेरे पीछे आकर चिपक गया। मैंने जो जगह बनाई थी नमिता के कमरे के अन्दर देखने की, वहां खड़ी हो गई और अन्दर का नजारा करने लगी। अन्दर अमित की गोद में नमिता बैठी हुई थी और अमित की उंगलियाँ उसकी चूचियों पर चल रही थी और साथ में अमित मेरी ही तारीफ कर रहा था।
दोस्तो, यहां से अमित और नमिता की बातचीत सुनिये।
अमित- यार, रितेश सही ही कह रहा था कि भाभी की चूत है बहुत मस्त... चूत ही क्या उनके जिस्म का एक एक अंग बहुत मस्त है।
नमिता थोड़ा चिढ़ते हुए- हाँ हाँ, अब तुम्हें भाभी की चूत अच्छी लगने लगी।
अमित- लो, मैं क्या गलत कह रहा हूँ। उनके होंठ देखो, ऐसा लगता है कि गुलाब की दो पखुंडियाँ। उनके जब मैंने होंठ क्या रसीले आम की तरह है, मन करता है कि चूसता रहूँ।
नमिता- तो जाओ ना, फिर भाभी के होंठ को चूसो, मुझे छोड़ो। आज मैंने भाई का भी लंड देखा है। क्या लंबा मोटा है। इसलिये तो भाभी भाई से खुश है। काश भाई जैसा लंड मुझे भी मिलता!
अमित- मेरा भी लंड तो तेरे भाई जैसा है।
नमिता- तो मेरी चूत कौन सी बीमार है? जो एक बार मेरी चूत देख ले वो मेरी चूत में ही खो जाये।
रितेश पीछे से मेरी पीठ पर लगातार अपने चुम्बन की झड़ी लगाये हुए थे और मेरा हाथ रितेशके लंड को मसल रहा था। नमिता की इतनी बात सुनते ही अमित रास्ते पर आ गया
अमित- लेकिन नमिता तेरी चूची, क्या गोल गोल है बहुत मस्त है।
कहते हुए अमित नमिता की चूची को उसके कपड़े के ऊपर से ही मसल रहा था और उसकी गर्दन, गालों पर अपने चुम्बन की बौछार लगा रहा था।
इधर रितेश का हाथ भी मेरी चूचियों से खेल रहा था।
नमिता की चूचियाँ मसलते मसलते अमित नमिता के ऊपर के कपड़े को उतार दिया और उसकी चूची को मुंह में ले लिया था और अब उसके हाथ नमिता की चूत को सहलाने में व्यस्त थे। इस बार नमिता ने खुद ही अपने नीचे के कपड़े उतार लिये और अपनी चूत को सहलाने में अमित की मदद कर रही थी। फिर अमित ने नमिता को अपने ऊपर से उतारा और कुर्सी पर बैठा कर उसके दोनों पैरों को खोल दिया और अपनी जीभ को उसकी चूत पर लगा कर चाटने लगा।
नमिता उसके बालो को सहलाते हुए बोली- आज भाई ने भाभी को किस तरह उल्टा लटका कर अपना लंड चुसवाया। देख कर मजा आ गया।
नमिता की बात खत्म होती, इससे पहले मेरे पिछवाड़े एक चपत पड़ी, मैंने पल ट कर देखा तो इशारे में उसने नमिता की कही हुई बात का मतलब पूछा। मैंने उसे चुप रहने का एक बार फिर संकेत किया।
तभी अमित ने अपना सर ऊपर उठाया और बोला- यार तुम्हारे भाई और भाभी सेक्स में बिल्कुल परफेक्ट है। एक से एक नई स्टाईल लाते हैं।
कहकर एक बार फिर वो नमिता की चूत को चाटते हुए बोला- अगर तुम कहो तो तुम भी इस तरह मेरे लंड को चूस सकती हो।
'नहीं बाबा!' नमिता बोली- चलो बेड पर... मुझे भी तुम्हारे लंड को मजा देना है।
फिर दोनों उठ कर बिस्तर पर चले गये और 69 की पोजिशन में आकर एक दूसरे का रसास्वादन करने लगे।
थोड़ी देर तक ऐसा करते रहने के बाद नमिता उठी और घोड़ी बन गई और अमित घुटने के बल बैठ कर अपने लंड को नमिता की चूत में सेट कर एक धक्का मारा, गप्प से अमित का लंड नमिता की चूत के अन्दर समा गया और फिर धक्के की आवाज से साथ साथ दोनों की आहें भी सुनाई देने लगी।
तभी मैं बोल पड़ी- अकेले अकेले मजा ले रहे हो?
दोनों चौंक कर हम लोगों की तरफ देख रहे थे, जबकि नमिता इतना शर्मा गई कि वो आँखें फाड़े हमारी ही ओर देख रही थी, उसको अहसास नहीं था कि मेरे साथ रितेश भी खड़ा है। अचानक जैसे उसे याद आया तो चादर खींचकर नमिता ने अपने आपको ढका।
फिर मैं बोल पड़ी- अगर तुम दोनों को ऐतराज न हो तो क्या हम दोनों अन्दर आ सकते हैं?
नमिता और अमित दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।
तभी रितेश बोल पड़ा- आकांक्षा, तुम इन लोगों को परेशान मत करो।
रितेश की बात सुनकर दोनों ने एक दूसरे को इशारा किया और फिर
अमित ही बोला- नहीं साले साहब, आओ अन्दर आओ।
कहकर अमित ने दरवाजा खोला।
रितेश भी थोड़ा बहुत शर्मा रहा था। हालाँकि नमिता की जगह कोई और दूसरा होता तो शायद रितेश इतना न शर्माता। मैं रितेश को पीछे से धकेल कर अन्दर ले गई। दोनों भाई बहन की नजर एक दूसरे से नहीं मिल रही थी। हालाँकि नमिता की नजर बार बार अपने भाई के लंड पर ही थी, वो बार बार कोशिश कर रही थी कि उसकी नजर लंड से हट जाये, लेकिन चाह कर भी नमिता की नजर हट नहीं रह थी।
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