RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
उधर नमिता की हालत बहुत ही खराब थी क्योंकि मेरा प्यारा रितेश उसको बड़े प्यार से मजे दे रहा था। अचानक नमिता अपनी चूचियों को बहुत तेजी से मसलने लगी और अपनी कमर को उठाने लगी, फिर वो ढीली पड़ गई। रितेश ने उसकी चूत का पानी निकाल दिया। नमिता की चूत का पानी रितेश के अंगूठे पर था, रितेश ने उस अंगूठे को अपने मुंह के अन्दर लिया और चूसने लगा, फिर नमिता की दोनों टांगों को फैलाते हुए अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे सूंघने लगा। चूत को सूंघने के बाद रितेश ने एक लम्बी सी सांस छोड़ी,
और बोला- मुझे पता नहीं था कि नमिता की चूत की सुंगध इतनी सेक्सी होगी। मन कर रहा है कि इसकी चूत को मैं चबा जाऊँ, कहते हुए रितेश ने नमिता की चूत को चाटना शुरू कर दिया।
इधर अमित को अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो उठा और अपने लंड को मेरी चूत पर सेट कर दिया और धक्के लगाने लगा। इतनी देर के बाद नमिता की आंखें खुली और वो अमित को मेरी चुदाई करते हुए देखने लगी, उसने रितेश को भी अपनी चूत खुजला कर उसका लंड उसकी चूत के अन्दर डालने के लिये इशारा किया। रितेश इशारा समझ कर बिस्तर पर आ गया और अपने लंड को नमिता की चूत में डालकर धक्के लगाने लगा। अब उस कमरे का नजारा बदल गया था, दोनों औरतें कुतिया की पोजिशन में थी और दोनों मर्द कुत्ते की तरह चोद रहे थे। कभी चूत के अन्दर तो कभी गांड के अन्दर उनका लंड होता। मैंने भी अमित को मेरी गांड चोदने से नहीं रोका। अब हम सब बदल बदल कर चुदने और चुदवाने का मजा ले रहे थे। अन्त में मेरे कहने पर अमित ने मेरे मुंह को अपने रस से भर दिया और रितेश ने नमिता के मुंह को अपने रस से भर दिया। हम दोनों ही उस रस की एक एक बूंद को गटक गई और उसके बाद दोनों मर्दों ने हमारी चूत से बहते हुए पानी को अपनी जुबान से साफ किया। रात दो बजे तक चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा और उसके बाद हम सभी नमिता के रूम में सो गये।
सुबह नींद खुलने पर देखा कि अमित और रितेश के लंड बिल्कुल खूंटे की तरह सीधे तने हुए थे, नमिता की एक टांग अमित पर और एक टांग रितेश पर चढ़ी हुई थी, रितेश और अमित दोनों के हाथ नमिता की चूत को सहला रहे थे। मैं उठ कर बैठ गई और सब को जगा दिया। अमित ने मेरी तरफ देखकर आँख मारी। उसके बाद सभी लोग चादर ओढ़ कर बैठ गये।
अमित ही बोला- रात को मजा आ गया! चलो कहीं ऐसा प्रोग्राम बनाते है जहाँ पर हम चारों आसानी से एक दो दिन खुलकर मजा लें। नमिता बोली- लो भाभी, अब इससे ज्यादा क्या खुला चाहिये कि एक बहन अपने भाई से चुद गई और भाई बहनचोद बन गया।
तभी मोबाईल की घण्टी बजी, पता चला कि पापा का बुलावा आया है। सब जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और सब नीचे पहुँच गये।
पापा जी ने बताया कि मेहमान एक-दो घण्टे में कभी भी आ सकते हैं और मेरी तरफ देखते हुए बोले- बहू तुम्हें अगर छुट्टी मिल जाये तो ले लो।
पापा जी की बात को रखते हुए मैंने अपने बॉस से बात की, अब बॉस को मुझे छुट्टी देने में कोई ऐतराज नहीं था, बस एक ही शर्त थी कि जब छुट्टी से वापस ऑफिस जाऊँ तो मैं उनकी सेवा कर दूं। मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। फिर सभी अपने काम में व्यस्त हो गये। रितेश, अमित, सूरज और रोहन अपने अपने गन्तव्य पर चल दिये, घर में मैं, नमिता, सासू मां और ससुर ही रह गये। मेहमानों के स्वागत की तैयारी चल रही थी।
थोड़ी ही देर में काफी लोग आ गये, नाश्ता पानी का दौर चला, उसके बाद सभी मुझसे मिले और कुछ न कुछ गिफ्ट दिया। सभी कुछ तो सामान्य था पर एक लड़की जिसका नाम स्नेहा था वो काफी सेक्सी लग रही थी, मतलब उसके पहनावे से लग रहा था कि वो कपड़े पहनने के लिये नहीं पहनती है, बल्कि दिखाने के लिये ज्यादा पहनती है। पापा जी स्नेहा के ठीक सामने बैठे थे और वो काफी बेचैन लग रहे थे। बार बार उनकी नजर स्नेहा के पैरों की ही तरफ जा रही थी और उनके माथे पर पसीना भी बहने लगा तो थोड़ी देर के बाद वो खुद ही उठ कर चल दिये जबकि स्नेहा बेफिक्री से वहीं बैठी रही। पापाजी के वहाँ से हटने के बाद मैं उस जगह बैठ गई, देखा तो स्नेहा वैसे भी स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी और बैठने के कारण उसकी स्कर्ट ऊपर की ओर चढ़ गई थी और उसकी पैन्टी साफ-साफ दिखाई पड़ रही थी। वह 18 या 19 साल की होगी, फिगर कोई 32-30-34 का रहा होगा। स्टाईल तो बहुत ही मार रही थी और वो जानबूझ कर इस तरह से बैठी थी कि उसकी पैन्टी सामने वाले को दिखे।
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