RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मैं समझ गई कि रोहन एक साईको है और कल रात जो मुझसे गलती हुई है वो मुझे आगे भारी पड़ने वाली है। जितनी गाली स्नेहा के मुंह में निकली थी, उससे कही ज्यादा रोहन के मुंह से निकल रही थी। स्नेहा की आँखों में आँसू आ गए थे, स्नेहा के आंसू देखकर रोहन को अपने गलती का अहसास हुआ और
उसने स्नेहा के गालों को चूमते हुए कहा- मेरी जान... मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे मुंह में मूतो और मैं तुम्हारे मुंह में मूतूँ!
स्नेहा चुदासी ज्यादा थी, शायद मार खाने के बाद भी उसने रोहन का कोई विरोध नहीं किया। रोहन नीचे बैठकर अपने मुंह को खोलते हुए
बोला- चलो, तुम पहले मूत लो।
रोहन उसकी चूत को सहालते हुए
बोला- चलो मूतो ना।
दो तीन बार ऐसा कहने के बाद एक हल्की सी धार स्नेहा के चूत से निकली और रोहन के होंठ को गीला कर गई। रोहन अपनी जीभ होंठों पर फिराते हुए
बोला- तेरी गांड मारू जान, तेरी मूत का स्वाद तो बहुत ही प्यारा है, चल और धार गिरा! स्नेहा की गांड, चूतड़ों को पकड़कर अपनी ओर खींचता हुआ
बोला- शाबास! चल शुरू हो जा।
रोहन स्नेहा के पुट्ठे को भींचता हुआ और उसके हौसले बढ़ाता हुआ बोल चल शर्म नहीं कर!
वह उसकी बुर में अपनी जीभ चलाते हुए उसका हौसला बढ़ा रहा था। स्नेहा ने अपने थप्पड़ को भूलते हुए एक बार फिर धीरे धीरे धार छोड़ी, इस बार वो रुक रुक कर रोहन के मुंह में मूत रही थी, स्नेहा रोहन को मूत को गटकने का पूरा मौका दे रही थी। रोहन भी उसके मूत को गटक रहा था। जब स्नेहा पेशाब कर चुकी तो रोहन ने उसको पीछे की तरफ घुमा दिया। स्नेहा की गांड अब मेरी आँखों के सामने थी, दोनों पुट्ठों को पकड़ कर रोहन ने फैलाया और फिर एक धार अपने मुंह से स्नेहा की गांड के ऊपर छोड़ी। मतलब रोहन ने मूत को थोड़ा सा अपने मुंह में भर लिया था। फिर रोहन उसकी गांड को चाटने लगा। स्नेहा जो कुछ देर पहले गुस्से में थी अब उसके मुख से आओह... आह... ओह... की आवाज आ रही थी। गांड चाटने के बाद रोहन खड़ा हो गया, स्नेहा समझ चुकी थी कि अब उसे भी वही सब करना है। वो चुपचाप नीचे बैठ गई और अपने मुंह को खोल दिया। इस बार रोहन धीरे-धीरे और बड़े ही प्यार के साथ स्नेहा को अपनी मूत पिला रहा था। स्नेहा ने भी रोहन के साथ वही किया, उसने भी रोहन के गांड में कुल्ला किया और उसकी गांड चाटने लगी। रोहन का लंड देखने से मुझे ज्यादा खुशी हो रही थी कि ससुराल में सबके लंड काफी बड़े थे।
स्नेहा एक कुतिया के माफिक झुक गई और रोहन उसकी चुदाई कर रहा था। मेरा कमरा दोनों की उत्तेजनात्मक आवाज से गूंज रहा था।
दोनों की चुदाई की मधुर आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थी। काफी देर से स्नेहा कुतिया वाले पोजिशन में खड़ी थी, रोहन कभी उसकी चूत को चोदता तो कभी उसकी गांड मारता। स्नेहा पहले से खूब खेली खाई हुई थी। कुछ देर तक इसी तरह चलता रहा,
तब रोहन बोला- मेरी जान, मेरा माल निकलने वाला है।
स्नेहा बोली- अन्दर मत निकाल, पहले मेरे मुंह को भी चोद... और वहीं अपना माल निकालना!
कहते हुए स्नेहा वापस घुटने के बल बैठ गई और रोहन ने उसके मुंह में अपना लंड पेल दिया, उसका लंड स्नेहा के हलक के अन्दर तक जा रहा था, स्नेहा के मुंह से खों खों की आवाज आ रही थी। चार-पांच धक्के के बाद रोहन ने अपना पूरा माल स्नेहा के मुंह में छोड़ दिया, वीर्य पीने के बाद स्नेहा ने रोहन के लंड को भी चाट कर साफ किया और उसके बाद रोहन स्नेहा की चूत को चाटने लगा। दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत में आग लग गई थी और मैं बहुत ही देर से अपनी चूत में उंगली कर रही थी, जिसके परिणामस्वरूप मैं भी झड़ चुकी थी और मेरी उंगली गीली हो चुकी थी। मैंने अब छिपना उचित नहीं समझा और पर्दे के पीछे से निकल आई। दोनों मेरी तरफ आंखें फाड़ फाड़ देख रहे थे।
मैंने स्नेहा को अनदेखा करते हुए रोहन से कहा- तुम दोनों की चुदाई देख कर मैंने भी पानी छोड़ दिया! कहते हुए मैंने उसको अपनी उंगली दिखाई जिसमें मेरी चूत का रस लगा हुआ था। रोहन ने तुरन्त ही मेरी उंगली पकड़ी और उसे चाटने लगा।
तभी मैंने रोहन से कहा- तुम दोनों मिल कर मेरी चूत से निकलते हुए रस को चाटकर साफ करो!
कहते हुए मैंने अपनी नाईटी को ऊपर उठाया और अब स्नेहा और रोहन दोनों ही बारी-बारी से मेरी चूत चाट कर साफ कर रहे थे। चूत चटाई होने के बाद
रोहन बोला- भाभी अब तुम भी हो तो चलो दोनों की एक बार और चुदाई कर देता हूं।
मैं- 'ठीक है, चोद लो... लेकिन पहले मैं नीचे देख आऊँ कि किसी का ध्यान हम तीनों पर है या नहीं... फिर मैं आती हूँ और तुम्हारे लंड का पानी मैं और स्नेहा मिलकर निकालेंगी।
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