RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मेरी बात सुनकर दीपा सहम गयी और कुछ देर तक सोचने लग गयी। फिर बोली, "आप की बात तो सही है, पर अगर मैंने उसे अपने गले लगाकर शांत करने की कोशिश की और जो आपने कहा वह सब मैंने उसे कहा तो तरुण को तो आप जानते ही हो। वह तो अपने आप को रोकने से रहा। फिर तो मेरा सारा काम तमाम ही हो जाएगा ना?"
मैंने कहा, "तो क्या होगा? याद करो, जब मैंने तुम्हें तरुण को उकसाने के लिए कहा था तब तुमने मुझसे यही सवाल किया था की कुछ ऊपर निचे हो गया तो? तब मैंने क्या कहा था? मेरा आज भी वही जवाब है। अगर कुछ भी हो जाये तो मैं तुम्हें दोष नहीं दूंगा। तरुण तुम्हें क्या कर लेगा जो आज तक उसने नहीं किया। सुबह और अभी कुछ देर पहले ही उसने तुम्हारे बॉल दबाये तो क्या हुआ? कौन सा आसमान टूट पड़ा? वह उन्हें दुबारा दबाएगा और मलेगा? शायद वह तुम्हें मुंह पर चुम्बन कर सकता है। पहले भी तो तुम्हें मुंह में चूमा तो है ही ना? तुम तो कह रही थी की उसने तुम्हारे मुंह में अपना पतलून में ढका हुआ लण्ड भी डाल दिया है? तुम्हारे कूल्हे उसने दबाये है, उसने सब कुछ तो किया है। और क्या करेगा? हाँ उसने तुम्हें चोदा नहीं है। ज्यादा से ज्यादा वह क्या करेगा? उसका लण्ड तुमने पकड़ा या चूसा नहीं है। तो शायद वह तुम्हारे हाथ में उसका लण्ड पकड़ा देगा? तुम्हें चोदने की कोशिश करेगा ना? मानलो की अगर आवेश में उसने तुम्हें चोदने की जिद की और तुम अगर उसे मना नहीं कर पायी तो मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहराऊंगा। और तुम्हारा दिया हुआ वचन भी पूरा हो जाएगा।"
मेरी बात सुनकर दीपा चौंक कर मेरी और देख कर बोली, "राज, आप क्या कह रहे हो? आपको कुछ ख्याल भी है की आप क्या कह रहे हो?"
मैंने बिना रुके कहा, "हाँ मैं जानता हूँ की मैं क्या कह रहा हूँ। देखो, अब बनने की क्या जरुरत है। उसने तुम्हें चुदवाने के लिए राजी कर ही लिया है ना? तरुण ऐसा कुछ नहीं कर सकता जो तुम उसे करने नहीं दोगी। जो तुम्हें अच्छा ना लगे वह बिलकुल मत करना। मैं तो तुम्हारे साथ हूँ ना? तुम्हें जो मंजूर है वह तुम्हें करने से मैं नहीं रोकूंगा और जो तुम्हें नामंजूर है वह मैं तरुण को करने नहीं दूंगा। वह क्या करेगा, क्या नहीं करेगा, तुमसे अच्छा कौन जानता है? तुम तरुण को भली भाँती जानती हो। देखो डार्लिंग, अगर उसने तुम्हें चोद दिया तो क्या होगा? आखिर बात तो अपनों की है। अगर अपने हमें कुछ कष्ट भी देते हैं तो हम झेलते हैं की नहीं?"
मेरी प्यारी बीबी गहरे सोच में डूबी हुई मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी और बार बार अपना सर हिला अपनी सहमति जता रही थी। दीपा की सकारत्मक प्रक्रिया देख कर मैं रुकने वाला कहाँ था? मैंने कहा, "मैं तो यहां हूँ ना? फिर तुम्हें डर कैसा? तुम खुद ही तो कह रही थी की तरुण एक बड़ा ही सभ्य व्यक्ति है? वह तुम्हें इतना प्यार करता है, वह तुम्हारा इतना सम्मान जो करता है? तुम्हारे पीछे पागल है और एक देवी की तरह तुम्हें पूजता है। तो फिर अगर तुम नहीं चाहोगी तो वह तुम्हारे साथ असभ्य वर्तन क्यों करेगा? और अगर वह तुम्हें चोदेगा तो वह कभी भी तुम्हारी बदनामी नहीं करेगा। इसका तुम्हें पूरा भरोसा है या नहीं?"
दीपा ने कहा, "हाँ डार्लिंग, उसका तो मुझे पूरा भरोसा है, वरना मैं तरुण को क्या आगे बढ़ने देती? पर यह वक्त बहोत नाजुक है। तरुण बड़ी ही संवेदनशील अवस्था में है। मुझे उसे ढाढस देने के लिए उसके काफी करीब जाना पडेगा। उसको गले लगाना पडेगा। मैंने जो पहना है वह तो तुम देख ही रहे हो। ऐसे हालात में तरुण जैसे एक वीर्यवान मर्द को मैं कैसे रोक पाउंगी? वैसे ही वह मुझ पर पागल है और ऐसी हालत में और भी पगला जाएगा। खैर यह ठीक है की वह जबरदस्ती नहीं करेगा। मेरे साफ़ मना करने पर वह आगे नहीं बढ़ सकता। पर अगर उसने जिद की तो मैं इस हालात में उसको रोक भी कैसे सकती हूँ? मैं उसको और दुखी करना नहीं चाहती। और अगर बात कुछ आगे बढ़ी तो फिर उसके बाद हमारा कोई कण्ट्रोल नहीं रह जाएगा। यह तो बड़ी गड़बड़ बात हो गयी। काश टीना यहाँ होती।"
दीपा की बात सुनकर मैं तो मन ही मन दुखी हो गया। मेरे इतना कहने पर मेरी पत्नी इधर उधर की बात कर रही थी पर सीधी चुदवाने की बात पर आ नहीं रही थी। मुझे इतना तो यकीन हो गया था की मेरी बीबी अपने आप को तरुण से चुदवाने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही थी। वह रात को ही शायद हमारा ध्येय सिद्ध होने वाला था। मेरा दिल तेजी से धड़क धड़क कर रहा था। जल्द ही मेरी बीबी तरुण से चुदने वाली थी उसकी मुझे काफी उम्मीद लग रही थी। बस अब मुझे आखिरी चाल चलनी थी।
मैंने मेरी स्वीटी को मेरी बाँहों में ले लिया और उसे कहा, "डार्लिंग, देखो, टीना होती तो क्या होता यह कौन जानता है? पर आज तुम तो टीना की जगह हो ना? इस समय जरुरी क्या है? जरुरी है अपने दोस्त को ढाढस देना। वह जैसा भी है, हमारा हमदर्द है। देखो तरुण ने तुमसे इतनी बदतमीजी या छेड़छाड़ की पर आखिर में जा कर तुमने क्यों माफ़ कर दिया? क्या कोई और होता तो तुम माफ़ करती? नहीं करती। तुमने माफ़ किया क्यूंकि तुम सच्चे दिल से उसे चाहती हो। हम दोनों तरुण को चाहते हैं। उसे प्यार करते हैं। यह हकीकत है की तुम भी तरुण को चाहती हो, उसे अपना मानती हो। सच सच बोलो तुम तरुण को चाहती हो की नहीं?" मैंने दीपा को जवाब देने पर मजबूर किया। यह एक कांटे की बात थी और मुझे दीपा से कबुल करवाना ही था।
दीपा कुछ देर तक मुझे अजीब सी नज़रों से देखती रही। फीर धीरे से उसने अपनी मुंडी हिलाकर "हाँ, हम दोनों तरुण को चाहते हैं। तुम मुझसे कहलवाना चाहते हो तो मैं कहती हूँ की मैं भी तरुण को चाहती हूँ तभी तो ऐसे यहां तक तुम दोनों के साथ आयी हूँ।"
मेरे लिए यह आखरी तीर था जो अब दीपा के जिगर के पार हो चुका था। अब तो बस फ़तेह करनी थी।
मैंने कहा, "तो फिर सोचती क्या हो? जिसे हम चाहते हैं उसे बचाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं। मैं तुम्हारे साथ हूँ ना? और क्या तुम्हें तरुण पर भरोसा है या नहीं की वह तुम पर जबरदस्ती नहीं करेगा?"
दीपा ने बेझिझक कहा, "खैर तरुण जबरदस्ती तो नहीं करेगा। पर ऐसे हालात में तो मुझे अपने आप पर ही भरोसा नहीं है। अगर तरुण ने कुछ ऐसा वैसा किया और मैं उसे रोक नहीं पायी तो? फिर तो तुम्हें आकर मुझे उस झंझट में से निकालना पडेगा।"
मैंने आखिर वाला तीर मार कर कहा, "जब मैं हूँ तो फिर तुम्हें चिंता किस बात की? जाओ और आगे बढ़ो। सोचना क्या है? क्या होगा? जो होगा वह देखा जाएगा। ज्यादा से ज्यादा तुम यही सोच रही हो ना की कहीं वह तुम्हें चोदने के लिए जिद करेगा और तुम उसे मना नहीं कर पाओगी? जब मैं खुद तुम्हें आगे बढ़ने के लिए कह रहा हूँ की उसके लिए मैं जिम्मेवार होऊंगा, तुम नहीं। तरुण एक अच्छा इंसान है और तुम्हारी इज्जत करता है। ज्यादा सोचा मत करो। मैं तुम्हारा पति तुम्हे कह रहा हूँ। जो थ्रीसम एम.एम.एफ. मैं करना चाहता था वह अगर होगा हम तीनों की मर्जी से होगा। हम सब साथ हैं। अगर हम सब की मर्जी से कुछ भी होता है तो डार्लिंग तुम खुद ही कह रही थी ना की वह ठीक ही है? यह पीछे हटने का वक्त नहीं है। तुम मेरे साथ चलो और उसका सर अपने सीने से लगा कर वह तुम्हारे बूब्स को चूसता है तो चूसने दो पर उसे अपने आँचल में लेकर शांत करो। और साथ साथ अपना वचन भी पूरा करो।"
मैंने देखा की मेरी बात सुनने के बावजूद भी मेरी प्यारी बीबी वहीँ मंत्रमुग्ध सी बैठी रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे। उसके दिल और दिमाग के बिच का यह बड़ा जंग चल रहा था। मैं परेशान हो गया। अगर यह मौक़ा चूक गए तो फिर गड़बड़ हो जायेगी।
मैंने फिर मेरा ब्रह्मास्त्र छोड़ा। मैंने कहा, "देखो, तरुण बेचारा पागल हुआ जा रहा है। अगर इस वक्त उसे सम्हाला नहीं गया तो कहीं वह कुछ उलटा पुल्टा कर ना बैठे। एक तुम ही हो जिस के प्यार करने से और प्यार से कहने से वह फिर से अपने आप पर काबू पा सकता है। वह जब तुम्हारे करीब होता है तो अपना सारा गम भूल जाता है और तुम्हारा पागलपन उस पर सवार होजाता है। अगर तुम उसे अपनी बाँहों में ले कर प्यार करती हो तो वह तुम्हारे साथ पागलपन जरूर करेगा। वह उसका पागलपन नहीं, प्यार करने का एक तरिका है। अपना प्यार जताते हुए जरूर वह तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा। अगर इसमें तुम्हें और मुझे कोई आपत्ति नहीं है तो फिर उसमें क्या बुराई है? आज तक कभी कोई मर्द ने किसी और की बीबी को पहले कभी चोदा नहीं क्या? क्या तुम पहली बीबी हो जिसे किसी गैर मर्द ने चोदा होगा? अरे मैं समझता हूँ शायद ही कोई पत्नी ऐसी होगी जिसको किसी गैर मर्द ने चोदा ना हो। आज की तारीख में शायद तुम ही अकेली ऐसी औरत होगी जिसको उसके पति के अलावा किसी गैर मर्द ने चोदा ना हो।"
मैंने मेरी बीबी के होँठ पर हलकी सी चुम्मी करते हुए हँसते हुए मजाक में कहा, "मैं मेरी बीबी के माथे पर लगे हुए उस कलंक को मिटाना चाहता हूँ।"
मेरी बात सुन कर दीपा को भी हंसी आ गयी। मुझे नकली घूंसा मारते हुए वह बोली, "मेरा पति महान है जो अपनी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदवाने के लिए इतना उकसा रहा है।"
मैंने उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए कहा, "जैसा वक्त हो ऐसे चलना चाहिए। तुम उसे रोकोगी नहीं और उसे पूरा प्यार करने दोगी तो वह तुम्हारे प्यार करने से मुसीबतों के समंदर को पार कर सकता है। तुम उसे अपना प्यार देकर समझाओगी की जिंदगी की लड़ाई लड़ने के लिए है, भागने के लिए या हार मानने के लिए नहीं है; तो वह जरूर समझेगा।
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