RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
नमिता बोली- भाई के सामने पहले शर्म आ रही थी, फिर जब भाई ने मेरी तारीफ करनी शुरू की तो जितनी शर्म हया थी, सब लौड़े लग गई।
मैंने हंसते हुए कहा- नमिता, लौड़ा मर्द के पास होता है, कहो कि सब शर्म बुर में घुस गई।
फिर हम दोनों हँसने लगी।
इसी तरह मेहमानों की आवभगत में शाम हो गई। विजय, अमित और रितेश भी घर आ चुके थे। सबसे पहले अमित ही था जो रसोई के अन्दर आया और नमिता को चूमने के बाद मुझे भी चूम कर
अमित बोला- आज तुम दोनों के हार्न बहुत ही बड़े-बड़े लग रहे हैं, क्या बात है?
नमिता बोल पड़ी- मेरा हार्न तुम्हारे बार-बार बजाने से बड़ा हुआ है और भाभी वाला हार्न रितेश भईया जम कर बजा चुके हैं।
नमिता का हाथ अमित के लंड को सहला रहा था कि रितेश भी रसोई में आ गया और मेरी गांड में चपत लगा दी। नमिता ने रितेश को देखा तो अमित के लंड से हाथ हटा लिया तो
रितेश बोला- मेरी प्यारी बहना, इसके लंड पर से हाथ मत हटाओ, नहीं तो बेचारे का खड़ा ही नहीं होगा तुम हाथ लगाती हो तो ही खड़ा होता है।
तभी अमित बोल पड़ा- भाभी के इस घर में आने के बाद ही पता चला कि चुदाई का खेल क्या होता है और जब खुल कर मजा लेने की बारी आई तो मेहमान बीच में आ गये।
मैं बोल पड़ी- बताओ रिस्क लेने का बूता किसकी गांड में है?
तीनों ही तैयार थे रिस्क लेने को...
मैं- 'ठीक है फिर... चलो तुम दोनों जल्दी से केवल लोअर पहन आओ और नमिता तुम भी अगर पैन्टी और ब्रा पहनी हो तो उतार आओ।'
नमिता तुरन्त बोली- मैं उतारने क्यों जाऊँ? यही उतार लेती हूँ, अमित मेरी पैन्टी और ब्रा रख कर आ भी जायेगा और साथ ही लोअर पहन कर चला आयेगा।
खैर नमिता ने वहीं पर अपनी कुर्ती उतार दी और अमित की तरफ देखते हुए बोली- लो, पीना है तो पी लो, नहीं तो रात में मौका नहीं मिलेगा।
इधर अमित नमिता की चूची चूसने लगा और उसकी देखादेखी रितेश ने झट से मेरे गाउन को खोल दिया और रसास्वादन करने लगा। फिर नमिता के कहने पर अमित हटा और नमिता ने उसे अपनी ब्रा देकर कुर्ती पहन ली और फिर अपने पजामा उतार कर पैन्टी उतार कर अमित को दे दी। जितना मैंने सोचा नहीं था उससे ज्यादा नमिता डेयरिंगबाज़ निकली। रितेश और अमित दोनों रसोई से चले गये और थोड़ी देर बाद दोनों बनियान और लोअर में वापस रसोई में आ गये। रसोई के अन्दर हमें दोनों को चोदने के ख्याल से ही दोनों के लंड तने हुए थे।
रितेश और अमित- 'अब क्या करना है?'
मैंने कहा- करना क्या है, बस रसोई में हो अपने लंड की मुठ मारो, हम दोनों तुम दोनों को मुठ मारते हुए देखेंगी।
अमित ने चिढ़ते हुए कहा- इसी को कहते हैं 'खड़े लंड पर धोखा...'
रितेश बोल पड़ा- देखो, तुमने जैसे कहा था, वैसे ही कर दिया है, अब तुम दोनों अपनी अपनी चूत में हमारे लंड ले लो और इसकी गर्मी को निकालो।
मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने रसोई के दरवाजे को हल्का सा खुला रख छोड़ा ताकि जब कोई आये तो दूर से ही पता चल जाये।
अमित और रितेश को समझाते हुए
मैं बोली- देखो, ओरल सेक्स नहीं करेंगे, बस अपने लंड की प्यास हम दोनों की गांड और चूत से शांत कर लो!
कहते हुए मैंने अपने गाउन को ऊँचा कर लिया और रसोई के प्लेटफार्म पर झुक कर खड़ी हो गई। नमिता ने अपने पजामे को नीचे कर दिया और वो भी झुक कर खड़ी हो गई।
तभी नमिता बोली- अमित, बाहर भी ध्यान रखना कि कोई आ रहा हो तो हट जाना... ऐसा न हो कि कोई आकर यहां खड़ा है और तुम दोनों हम दोनों को पेल रहे हो।
अमित बोला- चोदने के साथ साथ बाहर का भी ध्यान रखेंगे।
इस समय हम लोग फॉरेन लोगों की तरह थे, हम लोगों का कल्चर यह तो है ही नहीं, लेकिन मजा खूब आ रहा था। पारी पारी से रितेश और अमित दोनों ही हम दोनों के चूत और गांड को चोद रहे थे और अपने लंड की प्यास बुझा रहे थे। हम चारों की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक रसोई में कोई नहीं आया। अब सब झड़ने वाले थे,
अमित बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ माल को कहाँ गिराऊँ?
मैंने सुझाव दिया- इस समय तुम नमिता की गांड या चूत में अपना माल गिराओ और रितेश तुम मेरी चूत या गांड कहीं भी निकाल सकते हो।
दोनों ने ऐसा ही किया, रितेश मेरी चूत के अन्दर अपने रस को गिरा रहा था और अमित नमिता की चूत के अन्दर! फिर हम सबने अपने अपने कपड़े ठीक किए।
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