RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
नमिता भी इस समय केवल पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी, नमिता की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्रा में समाने की भरपूर कोशिश कर रही थी, लेकिन समा नहीं पा रही थी। हल्की लाईट की रोशनी में उसका जिस्म काफी आकर्षित लग रहा था, अमित और रितेश की नजर बार बार नमिता के नंगे जिस्म पर ही जा रही थी। एक पैग के बाद सुरूर चढ़ने लगा था कि रितेश ने दूसरा लेकिन लाईट पैग बना दिया। रितेश ने अमित का गिलास अपने हाथ में लिया, नमिता को खड़ा होने के लिये बोला और अमित की तरफ देखते
हुए रितेश बोला- अमित, आज तुम अपनी बीवी के जिस्म से निकला हुआ नया रस पीयो।
इतना कहने के बाद रितेश ने अपनी बहन नमिता की पैन्टी के अन्दर अपने दांयें हाथ की दो उंगलियों को फंसा दिया और पैन्टी को खींचते हुए थोड़ी सी जगह बनाई और गिलास की शराब को पैन्टी के अन्दर गिरा दिया और तुरन्त ही खाली गिलास को नमिता की चूत के नीचे लगा दिया। अमित का गिलास फ़िर शराब से भर गया लेकिन इस बार का जाम नमिता की चूत और पैन्टी से मिलकर बना हुआ था। रितेश ने गिलास अमित को पकड़ाया और खुद नमिता की गीली पैन्टी पर अपनी जीभ फिराने लगा।
रितेश की देखा देखी अमित ने भी वही किया।
जैसे ही दोनों हटे, मैंने भी नमिता की गीली पैन्टी, जिसका स्वाद अमित और रितेश चख चुके थे, पर अपनी जीभ लगा दी। थोड़ा चाटने के बाद मैं मुस्कुरा दी और
मैं बोली- आज की ड्रिंक पार्टी तो बहुत ही मजेदार थी।
नमिता भी अब पूर्ण रूप से खुल चुकी थी, वो बोली- मुझे नहीं मालूम था कि मेरी चूत में इतना रस भरा होगा कि मेरी चूत के नीचे गिलास लगाना होगा और फिर उस रस को जाम समझ कर पी जाओगे।
कहकर हँसने लगी।
मैं उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे को रगड़ते हुए बोली- वास्तव में तुम्हारी चूत का जवाब नहीं है!
उसकी पैन्टी को उतार कर मैं नमिता के पीछे आई, उसकी चूत की फांकों दोनों हाथों से खोलते हुए अमित और रितेश से बोली- लो देखो नमिता की चूत की लालिमा और इसको पुचकारो!
मेरे कहने के साथ ही दोनों बारी बारी से नमिता के चूत की लालिमा का मजा लेने लगा। रितेश तो एक्सपर्ट था ही... वो नमिता की चूत की क्लिट और कण्ट को भी दांतों से मसलने लगा।
नमिता सिसकार उठी। फिर रितेश ने बिस्तर पर रखे हुए गिलास को हटाया और बोला कि तुम दोनों करवट करके लेटो और एक दूसरी की चूत चाटो और हम दोनों तुम्हारी गांड के छेद का मजा लेंगे। रितेश के इतना कहते ही सब के पूरी तरह कपड़े उतर गये।
मैं और नमिता दोनों करवट होकर 69 की पोजिशन में आ गई और एक दूसरी के मुंह के ऊपर अपने पैरों को टिका दिया ताकि चूत चूसने में आसानी हो सके। मेरी गांड की तरफ रितेश था और अमित अपनी प्यारी बीवी की तरफ था। रितेश का हाथ मेरे कूल्हों को अच्छे से सहला रहा था और बीच बीच में चूतड़ों को चूम लेता और मेरी गांड के अन्दर उसकी उंगली कब जानी है रितेश को अच्छे से पता था। कुछ देर तो ऐसा ही चलता रहा। नमिता के साथ क्या हो रहा था, मुझे नहीं मालूम लेकिन उसको खूब मजा आ रहा था क्योंकि उसके जिस्म की हरकत बता रही थी कि वो मेरे साथ साथ अमित को भी एन्जॉय कर रही थी। मेरी गांड काफी गीली हो चुकी थी। रितेश कोशिश कर रहा था कि जिस पोजिशन में मैं हूँ उसी पोजिशन में वो मेरी गांड के अन्दर अपना लंड डाल दे। लेकिन न कर पाने के कारण रितेश एक हाथ से मेरे कूल्हे को पकड़ा और फिर लंड को छेद में रगड़ने लगा। मैं नमिता की चूत को चाटने में मस्त थी और रितेश लंड से मेरी छेद की घिसाई कर रहा था और जब तक उसने मेरी गांड की घिसाई चालू रखी जब तक कि वो छेद में ही डिसचार्ज न हो गया। फिर अपने रस को उंगली से मेरे गांड के अन्दर भरने लगा। एक दूसरी की चूत चाटने से हम दोनों ही झड़ चुकी थी और एक दूसरी का रस को पीने का आनन्द ले रही थी।
इस दौर के बाद एक बार फिर हम लोगों के बीच अदला बदली हुई। मैं अपने जीजू अमित की बांहों में थी और नमिता अपने भाई के बांहों में थी। रितेश उठा और नमिता को गोदी में उठा कर कमरे से बाहर ले जाने लगा तो,
अमित ही पूछ बैठा- साले साहब, कहाँ ले जा रहे हो?
रितेश बोला- जीजू, आप मेरी वाली के साथ अब अकेले में मजा लो और मैं नमिता को अपने साथ अपने कमरे में ले जाकर मजा लूंगा।
अमित बोला- साले साहब, तुम मेरी बीवी की चूत या गांड को को मेरे सामने भी चोद सकते हो, मैंने कब मना किया है और तुम्हें अपनी बहन के साथ जो भी करना है, हमारे सामने करो। हमें भी देखना है कि तुम नमिता के साथ नया क्या करते हो?
रितेश बोला- 'ठीक है, अगर तुम लोग नहीं मानते तो मैं यहीं पर मजा करता हूँ।'
भाई ने अपनी नंगी बहन को गोद से उतारते हुए पलंग पर बैठा दिया और उसके दोनों हाथों का टेक पीछे की तरफ दे दिया और नमिता के गालों को दोनों हाथ रखते हुए,
रितेश बोला- मैं जो भी करूँ, तुम केवल उसमें साथ देना।
रितेश ने एक गिलास पानी से भरा हुआ लिया और नमिता के पीने के लिये दिया, नमिता ने बिना कुछ बोले उस गिलास को खाली कर दिया। रितेश ने फिर से उस गिलास को भर दिया, नमिता ने रितेश को देखा पर बोली कुछ नहीं और गिलास का पानी फिर पी गई। उसके बाद रितेश ने भी दो गिलास पानी पिया। पानी पीने के बाद रितेश नमिता के दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गया और उसकी तरफ देखते हुए,
रितेश बोला- शनिवार को चार नये पार्टनर और जुड़ेंगे, खूब खुला सेक्स होगा, खूब मस्ती होगी। हो सकता है कि दो दिन तक हमारे जिस्म में एक भी कपड़ा न हो। जिसकी जहाँ मर्जी होगी, खड़ा होकर मूतेगा, जहाँ मर्जी होगी और जिसके साथ किसी को सेक्स करना होगा, बिना कुछ पूछे वो अपने पार्टनर को पकड़ लेगा और सबके सामने चाहे लंड चूत के अन्दर जाये या फिर चूत लंड को अपने अंदर ले ले।
नमिता की जांघ को सहलाते हुए रितेश बोला- तुम दिल और दिमाग दोनों से तैयार हो न?
नमिता बोली- भाई, जब मैं तुम्हारे समाने नंगी हूँ और तुम्हारे लंड को अपने अन्दर ले चुकी हूँ तो अब किसी के लंड से कोई परेशानी नहीं।
रितेश का हाथ नमिता की जांघ पर ही था, रितेशने पूछा- नमिता तुमने किसी मर्द को मूतते हुए देखा है?
नमिता- 'कई बार देखा है मगर चोर नजरों से!'
रितेश बोला- 'कभी इच्छा हुई कि कोई तुमको मूतता हुआ देखे?'
नमिता- 'नहीं, कुछ दिन पहले तक तो नहीं लेकिन इधर जब से भाभी हम सब साथ सब कुछ कर रहे है तो मन में इच्छा होती है कि कोई अजनबी मर्द मुझे भी मूतते हुए देखे और ललचाये।'
रितेश ने नमिता की चूत की फांकों को फैलाया और उसको चाटते हुए बोला- पेशाब लगी है मेरी प्यारी बहना?
नमिता ने हाँ में सर हिलाया।
रितेश ने अपनी लम्बी सी जीभ निकाली और उसकी चूत के पास ले जाकर लगा दी और बोला- अपनी धार को अहिस्ते से छोड़ना, ध्यान रखना कि कोई बूंद मेरी जीभ से बाहर ना जाये।
नमिता ने रितेश के कहे अनुसार ही किया और नमिता की मूत की एक-एक बूंद रितेश की जीभ से होते हुए उसके हलक के नीचे उतर रही थी, रितेश बड़ा ही स्वाद ले लेकर उसे पी रहा था। नमिता का पूरा पेशाब गटकने के बाद रितेश एक बार फिर नमिता की चूत की फांकों के बीच अपनी जीभ चलाने लगा तकि बचा खुचा रस भी वो गटक सके। ऐसा करने के बाद जैसे ही रितेश ने उसकी फांकों से अपना मुंह हटाया तो,
नमिता बोली- कि इसका स्वाद कैसा है?
रितेश मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हारी भाभी की चूत का पानी और तुम्हारी चूत का पानी बहुत ही मस्त है।
मैं और अमित दोनों ही केवल उन दोनों की बातों को और क्रियाओं को देख रहे थे। फिर रितेश खड़ा हुआ और नमिता को जमीन पर बैठ कर अपना मुंह खोलने के लिये बोला। नमिता वहीं जमीन पर अपना मुंह खोल कर बैठ गई और आँखें बन्द कर ली और आने वाले उस पल का इन्तजार करने लगी। रितेश ने अपने लंड को बिल्कुल नमिता के मुंह के करीब ले गया और बहुत ही धीरे से अपनी पहली धार नमिता के मुंह में छोड़ी। नमिता ने उसे बड़ी ही मुश्किल से गटक पाई जैसे वो उसके स्वाद को समझने की कोशिश कर रही हो, फिर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरा और फिर मुंह को खोल दिया।
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