RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मैंने भी प्रत्युत्तर दिया- सर, परेशान न हों, मेरी चूत के अलावा भी और चूतें हैं आपके लंड के लिये!
मैं बस इतना ही कह पाई थी कि सुहाना, नमिता और मीना भी मेरे बगल में बैठ गई और बॉस के उंगली करने लगी। दीपाली के नंगे बदन पर उसके चोदूओं ने स्थान बदल लिए थे, अब टोनी दीपाली की चूत चोद रहा था, अश्वनी दीपाली के मुंह में लंड डाले हुए था।
इधर रितेश ने नमिता को लिया और उसको झुकाकर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया।
अमित ने सुहाना को उठाया, उसको झुकाकर उसकी गांड में लंड डाल कर चोदने लगा। मैं और मीना बॉस के पास थी, मैं बॉस के ऊपर से उतरी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ताकि मीना को यह पता ना चल जाये कि बॉस झड़ चुका है। हालांकि बाद में सभी को पता चलने वाला था, फिर भी उस समय के लिये मैंने यही किया। कुछ देर बाद मीना ने मुझे हटाया और उसने बॉस के लंड को अपने मुंह में ले लिया। बाकी की अपेक्षा बॉस का लंड थोड़ा कमजोर था, फिर भी मीना बिना कुछ बोले उसके लंड को चूसने लगी। मैं अपनी गीली चूत बॉस के मुंह के पास ले गई और बाकी का काम बॉस ने करना शुरू कर दिया। मीना और मेरे कामुक अंग एक बार फिर बॉस को जोश दिलाने लगे, वो मेरी चूत में अपने दांत गड़ाने लगा। मेरे लिये यह अनोखा दर्द था। आज से पहले बॉस केवल दो मिनट मेरी चूत चाटता और फिर अगले एक मिनट में मेरी चूत में अपना लंड डाल कर हिलाता था और फिर मेरे अन्दर ही झड़ जाता था। उस समय मुझे गुस्सा बहुत आता पर उनकी कमजोरी को कभी जाहिर नहीं किया, भले ही मुझे बाद में खीरे या फिर दूसरे लंड का इंतजाम करना पड़ता रहा हो अपनी चूत की आग को शांत करने का। लेकिन आज उनमें भी एक अलग सा जोश दिख रहा था, उनका लंड तन चुका था। हम दोनों को हटाते हुए वो एक बार फिर दीपाली के पास पहुंच गये। इस समय टोनी और अश्वनी दोनों ही बारी बारी से दीपाली की चूत चुदाई कर रहे थे।
दीपाली के पास पहुँचने के बाद बॉस ने अश्वनी को हटाया जो कि उस समय दीपाली को चोदने में मस्त था, उसके बाद दीपाली को उल्टा लेटाया, फिर उसकी जांघों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। इस तरह से दीपाली की कमर थोड़ी सी हवा में हो गई, उसका सीना और मुंह पलंग से सटे हुए थे। बॉस एक बार फिर घुटने के बल बैठ गये और उसके कूल्हे को थोड़ा फैलाते हुए उसकी गांड में अपनी जीभ चलाने लगे, अपने थूक से दीपाली की गांड को थोड़ा सा गीला करने के बाद अपनी एक उंगली दीपाली की गांड के अन्दर डालने का प्रयास करने लगे। इधर सभी लोग काफी देर तक चुदाई करने के कारण झड़ने के करीब आ चुके थे। दीपाली की चूत देख कर लग रहा था कि वो दो-तीन बार झड़ चुकी होगी। रितेश नमिता को चोद रहा था, नमिता को चोदना छोड़ रितेश दीपाली के पास गया और अपना लंड उसके मुंह में डाल कर पेलने लगा और फिर अपने लावा को दीपाली के मुंह के अन्दर छोड़ने लगा। टोनी ने मुझे पकड़ लिया, सोफे पर बैठ कर उसने मुझे अपने ऊपर बैठा लिया और मेरी चूत चोदना चालू कर दिया। कुछ इसी तरह का नजारा मीना और अश्वनी में था, अश्वनी भी सोफे पर बैठा हुआ था और मीना उसके लंड की सवारी कर रही थी।
इधर जब रितेश ने अपना पूरा माल जब दीपाली के मुंह में डाल कर फ्री हुआ तो अमित सुहाना को छोड़कर दीपाली के पास गया और उसने रितेश की जगह ले ली और उसके मुंह में लंड डाल कर चोदने लगा। दीपाली भी उसका साथ दे रही थी, ऐसा लग रहा था कि आज दीपाली को एक अलग तरह का अनुभव हो रहा था। बॉस भी अपने काम में लगे थे और दीपाली भी बॉस के काम को आसान करने में मदद कर रही थी। उसने एक हाथ से अपने कूल्हे को फैला लिया था ताकि बॉस उसकी गांड में आराम से उंगली अन्दर बाहर कर सके। इधर मैं और मीना, टोनी और अश्वनी के लंड पर उछल रही थी। बॉस दीपाली की गांड में अपनी दो उंगली डाल चुके थे। फिर वो खड़े हुए और रसोई के अन्दर चले गये। दीपाली अभी भी अमित के लंड को चाट-चाट कर साफ कर रही थी। तब तक बॉस रसोई से मूली ले लाये और एक बार फिर वो दीपाली की गांड को चाटने लगे।
इधर मैं भी झड़ चुकी थी और इस बात का पता टोनी को भी लग चुका था, मैं समझ चुकी थी कि टोनी भी दीपाली के मुंह में ही झड़ना चाहता था, मैं उसके ऊपर से हट गई, टोनी दीपाली के पास गया और उसके मुंह के पास ही अपना लंड हिलाने लगा। दीपाली अपने मुंह को खोल कर उसके वीर्य का अपने जीभ में गिरने का इंतजार कर रही थी, बॉस उसकी गांड चाटने के बाद उसकी गांड में मूली डालने लगा। इधर अश्वनी ने भी मीना को छोड़ दिया और दीपाली के मुंह में जाकर झड़ने लगा। बॉस ने आधे से ज्यादा मूली दीपाली की गांड में अब तक घुसेड़ दी थी। इधर जब सभी लोगों से दीपाली फ्री हो गई तो अब वो अपने खाली पड़ी चूत को सहलाने लगी और 'ऐसे ही करो... आज बहुत मजा आ रहा है मेरी जान... ऐसे ही... हाँ-हाँ ऐसे ही!' वो बॉस का हौसला बढ़ाने में लगी हुई थी। मूली को अन्दर बाहर करने से दीपाली की गांड काफी खुल गई। फिर बॉस ने पूरी तरह से खुली गांड के अन्दर थूका और फिर अपने लंड को उसके अन्दर डाल दिया।
इस समय सभी मर्दों के लंड दो राउन्ड पूरा करने के कारण मुरझाकर सुस्त पड़े हुए थे इसलिये सभी सोफे पर बैठे हुए बॉस और दीपाली के खेल को देखकर केवल अपने लंड सहला रहे थे। बॉस का लंड दीपाली की गांड में पूरी तरह चला गया था और बॉस उसकी गांड चोद रहे थे। बीच-बीच में वो मूली भी दीपाली की गांड में डालकर पेलते। इस बार बॉस करीब पंद्रह मिनट तक अपने खेल को खेल सके और और दीपाली की ही गांड में झड़ गये। उसके बाद बॉस अपने मुरझाये हुए लंड लेकर दीपाली के पास गये। दीपाली ने भी उसी प्यार के साथ बॉस के लंड को चाट कर साफ किया उसके बाद बॉस और दीपाली उस मूली को मिलकर खाने लगे जो थोड़ी देर पहले तक दीपाली की गांड की सैर करके आई थी। इस समय दोनों ही बड़े खुश नजर आ रहे थे।
सबसे पहला प्रश्न करने का मेरा अधिकार था तो मैंने सीधे ही अपने बॉस से पूछा- उन्हे कहाँ एक चूत कायदे से नसीब नहीं होती थी और अब एक साथ पांच पांच की चूत मिली, इनमें से आप कौन सी चूत को दुबारा सबसे पहले चोदना चाहोगे?
मेरा प्रश्न सुनकर मेरे बॉस की गांड फटी रह गई, क्या बोलें, वो समझ नहीं पा रहे थे।
उनकी बीवी यानि दिपाली ने उनको पीछे से कस कर पकड़ लिया और बोली- बताओ ना जान... तुम्हारे सामने पांच चूत हैं, तुम्हें सबसे ज्यादा चूत किसकी पसंद है।
बॉस- 'सच बोलूँ तो मुझे तुम्हारी ही चूत सबसे ज्यादा पसंद है!' मेरी तरफ इशारा करते हुए बॉस बोले।
'क्यों?' यह सवाल था दीपाली का- मेरी चूत तुम्हें क्यों नहीं पसंद है?
बॉस बड़े ही प्यार से दीपाली के हाथ को सहलाते हुए बोले- जान, आकांक्षा की चूत को मालूम है कि मेरे लंड को कैसे सही रखना है।
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