RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
पर टोनी कहाँ रूकने वाला था, उसने लंड को फिर झटके से खींच कर निकाला और फिर एक झटके से लंड को गांड में घुसेड दिया। एक बार फिर वही गाली, लेकिन इस बार आह्ह्ह्ह की एक लम्बी आवाज भी थी।
अभय सर बोले- अबे भोसड़ी वाले, कुछ तो रहम कर मेरी गांड पर!
पर टोनी था और टोनी का मतलब एक बार उसके लंड ने हमला किया तो फिर चाहे वो जिसकी भी चूत या गांड हो, उसकी अच्छे से बजा कर बाहर निकलता है और टोनी कर भी यही रहा था। वो अभय सर के किसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा था, हां, अपने लंड की ताकत का अहसास वो जरूर अभय सर को करा रहा था। बड़ी देर तक अभय सर की गांड मारने के बाद टोनी ने उनके गांड में ही झड़ गया। जैसे ही टोनी ने अपने लंड को उनकी गांड से निकाला, अमित तुरन्त ही पीछे पहुंच गया और अभय सर की गांड को चोदने लगा, टोनी के बाद अश्वनी, अश्वनी के बाद रितेश सभी ने उनके गांड का बाजा खूब बजाया। बेचारे अभय सर को चलना तो छोड़ो, सीधा खड़े होने में भी दिक्कत हो रही थी। किसी तरह से वो बेचारे अपनी चड्डी से अपनी गांड को साफ करते हुए पास पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गये।
उनकी नजर जैसे ही दीपाली पर पड़ी,
बुरा सा मुंह बनाते हुए बोले- मादरचोद, सब तेरे कारण ही हुआ है, देखो मेरी गांड कितनी बुरी तरह से मारी है मिलकर इन साले कमीनों ने!
दीपाली उन्हें और चिढ़ाती हुई बोली- तो क्या हुआ मेरे गांडू पति, लंड का मजा तो ले लिया!
अभय सर की गांड की जिस तरीके से चुदाई हुई, उससे सभी मर्दों में एक डर सा पैदा हो गया और कोई नहीं चाह रहा था कि उनकी गांड मारी जाये और हम लोगों की सुनने के लिये भी कोई तैयार नहीं था।
तभी नमिता ने फरमान जारी किया- हमें भी सभी मर्दों की गांड चुदाई देखनी है। और अगर तुम लोग मना करते हो तो हमारी चूत और गांड भी भूल जाओ और गेम यहीं बन्द कर दो। इसके अलावा मैं किसी बाहरी मर्द से चुदने को राजी हूँ, पर तुममें से किसी को भी अपनी चूत और गांड नहीं दूंगी।
हम सभी ने नमिता की बातों का समर्थन किया, सुहाना हां में हां मिलाती हुई बोली- जो मर्द आसानी से अपनी गांड मरवायेंगे उनको और मजा मिलेगा और जो मर्द गांड नहीं मरवायेंगे उनकी गांड जबरदस्ती मारी जायेगी।
बाकी तीन तो तैयार हो गये पर टोनी नहीं मान रहा था तो हम सभी का इशारा पाते ही सभी टोनी पर झपट पड़े, टोनी सभी की गिरफ्त में आ चुका था, वो कोशिश बहुत कर रहा था अपने को छुड़ाने की पर सभी प्रयास उसके असफल हो गये। डायनिंग टेबिल पर उसके सर को टिका दिया और अश्वनी को उसके ऊपर बैठने के लिये बोला गया, पहले अश्वनी ने मना किया फिर सभी के दबाव में आकर वो टोनी के पीठ पर बैठ गया। टोनी अपनी जगह से हिल नहीं पा रहा था,
टोनी अब चिल्लाने लगा- भोसड़ी वालो, मत मारो मेरी गांड, मैं गांडू नहीं हूँ।
सभी एक साथ बोल पड़े- अबे लौड़े के... हम भी गांडू नहीं है, पर मजा लेना है।
अभय सर बोले- अबे गांडू, जब मेरी गांड मार रहा था तो बड़े मजे ले रहा था।
अभय सर की बात सुनकर सब कुछ न कुछ बोलते जा रहे थे और टोनी की गांड में कोई चपत लगाता तो कोई उसकी गांड में उंगली करता तो कोई टोनी के अंडे को पकड़ कर दबा देता।
रितेश ने ट्यूब से क्रीम निकाली और उसकी गांड में लगाते हुए बोला- चल गुरू, हम भी लोग गांड मरवायेंगे।
कहकर उसकी गांड को क्रीम से भर दिया, फिर अपने लंड में अच्छे से क्रीम लगाई और टोनी की गांड को अपने सुपाड़े से सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते एक झटके से गांड के अन्दर लंड को पेल दिया।
टोनी की एक तेज चीख- उम्म्ह... अहह... हय... याह... मार डाला मादरचोदों ने! मेरी गांड के अन्दर लंड नहीं लोहे की राड डाल दिया है। इस राड को निकाल लो। रितेश मेरे भाई तुम मेरे पुराने दोस्त हो, यार अपना लंड निकाल लो, मेरी गांड बक्श दो।
लेकिन रितेश कहां मानने वाला था, उसने एक बार फिर लंड को झटके से निकाला और फिर दूसरे ही पल और तेजी के साथ पेल दिया। सभी मर्द और सभी औरते टोनी के इर्द गिर्द खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। इस बार रितेश का पूरा लंड टोनी के गांड के अन्दर था, और टोनी केवल चिल्ला ही पा रहा था। रितेश अब टोनी की गांड को चोदे जा रहा था और जब रितेश कन्फर्म हो गया तो उसने अश्वनी को आने का इशारा किया। अश्वनी टोनी के ऊपर चढ़ गया। अब टोनी भी मजे ले ले कर अपनी गांड मरवा रहा था। फिर बारी-बारी से सभी ने टोनी की गांड को जम कर चोदा। टोनी की भी हालत अभय सर की ही तरह हो गई थी, टोनी ही क्यूं, जिसकी भी गांड चुदी उन सभी की गांड अभय सर की गांड की तरह सूज चुकी थी। मर्दो की गांड चुदाई देखते देखते रात को ग्यारह बज गये थे। किसी मर्द में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो हम लोगों को चोद सकें।
हालांकि हम लोगों को भी किसी लंड की जरूरत नहीं थी क्योंकि उन सभी की चुदाई को देखकर उंगली करते करते हम सभी की चूत का पानी बाहर आ चुका था, तो सभी ने निर्णय लिया कि अब प्रोग्राम को रोक दिया जाये।
सभी खाना-खाकर अपनी-अपनी बीवी को लेकर सोने लगे। रात को कोई खास बात नहीं हुई, बस आधी रात को नीद में मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत के अन्दर कुछ हलचल हो रही थी। देखा तो रितेश के एक टांग मेरे ऊपर थी, उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर टहल रही थी और मेरे निप्पल उसके मुंह को आनन्द दे रहे थे। मेरी नींद उचट चुकी थी, मैंने अपने चारों ओर देखा तो सिवाय मेरे और रितेश के अलावा सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं रितेश के सर को सहलाने लगी, रितेश तुरन्त उठा और मेरी छाती पर हौले से बैठ गया और अपने लंड को मेरे मुंह में पेल दिया। फिर थोड़ी देर बाद खुद ही 69 की अवस्था में हो गया, उसका लंड मेरे मुंह में था और मेरी चूत पर उसकी जीभ चल रही थी। उसकी गांड हल्की सी लाल और सूजी हुई थी जो यह बता रही थी कि चार-चार लंड को उसकी गांड ने झेला है। मैं उसके लंड को चुसते हुए जैसे ही उसकी गांड को सहलाने की कोशिश करने लगी, उसके मुंह से हल्की सी चीत्कार निकली। मेरे लिये रितेश ने अपनी गांड चुदवा ली। मैंने बहुत ही प्यार से अपनी जीभ उसके गांड में ट्च की। जिस तरह रितेश ने अपनी गांड हिलाई, मुझे लगा कि मेरी जीभ का अहसास उसे अपनी गांड में अच्छा लग रहा है तो मैं उसके लंड को चूसना छोड़कर उसकी गांड को चाटने लगी और रितेश को भी बड़ा आराम मिल रहा था। थोड़ी देर तक वो मेरी चूत चाटता रहा और मैं उसकी गांड को चाटती रही। मैं पानी छोड़ चुकी थी, रितेश ने मेरे रस को भी चाटकर साफ कर दिया, फिर वो मेरे ऊपर से हटकर मेरी बगल में लेट गया और मुझे इशारे से उसके लंड की सवारी करने के लिये बोला। मैं उठी, उसके लंड पर बैठ गई और बिना कोई आवाज किये हुए उसके लंड पर उछलने लगी। मेरी चूची भी इधर उधर उछल रही थी और जिसको रितेश पकड़ रहा था और छोड़ रहा था। फिर कुछ देर में मुझे अहसास हुआ की रितेश का जिस्म अकड़ रहा है और उसका वीर्य मेरी चूत को नहला रहा है। फिर रितेश ढीला हो गया और कुछ देर बाद उसका लंड भी मुरझा कर मेरी चूत से बाहर आ चुका था। फिर हम दोनों चिपक कर सो गये।
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