RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
रितेश बोला- यार, अगर मैं तुम्हारे साथ जा रहा होता तो इस पैन्टी का कुछ यूज भी होता। पापा साथ जा रहे हैं तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता।
मैंने उसकी नाक को कस कर पकड़ा और बोली- तुम जाते तो इसको पहनने का बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता। पापा के साथ जाने से कम से कम में इसको पहन सकती हूँ।
मेरी इच्छा थी कि रितेश आज ऑफिस से छुट्टी ले ले और मेरे साथ रहे क्योंकि मेरा जिस्म बहुत दर्द कर रहा था, मैं चाहती थी कि रितेश मेरी मालिश भी कर दे।
पर रितेश बोला- यार, तुम्हारा बॉस तुम्हें चूत के बदले छुट्टी दे सकता है, पर मेरा बॉस भी मर्द है और मेरे पास लंड ही है। इसलिये मुझे छुट्टी नहीं मिल सकती।
कहकर वो अपने ऑफिस को चल दिया।
अब मैं लेटी-लेटी करवट बदलने लगी कि तभी सूरज आ गया। मैं लेटी हुई थी,
मेरा देवर मेरे बगल में बैठते हुए बोला- क्या हुआ भाभी, लेटी हुई क्यों हो?
मैं- 'कुछ नहीं, थोड़ी थकान जग रही है।'
वह बोला- भाभी, कहो तो तुम्हारे बदन की मसाज कर दूँ?
मैं- 'यार, मैं चाहती भी यही थी।'
मेरा इतना कहना ही था,
सूरज बोला- भाभी, तुम कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ, मैं तेल लेकर आता हूँ!
कहकर वो ड्रेसिंग टेबिल से तेल की शीशी निकाल लाया, मैं भी जब तक कपड़े उतार कर नंगी होकर पेट के बल लेट गई। सूरज मेरी नंगी पीठ पर तेल की एक एक बूंद धीरे-धीरे से टपकाने लगा, फिर उसने अपने हाथ का कमाल मेरी पीठ पर दिखाने लगा, पीठ की मालिश करते हुए वो फिर मेरे चूतड़ों और जांघों की मालिश करने लगा, बीच-बीच में मेरे चूतड़ को चूची समझ कर बहुत तेज भींच देता था और चूतड़ों के बीच छेद में तेल की दो बूंद टपकाने के बाद अपनी एक उंगली उसके अंदर डाल कर मालिश करता। मेरे जिस्म को थोड़ा आराम मिल रहा था और सूरज जिस तरह से मेरी मालिश कर रहा था, वो भी आनन्द दे रहा था। जब सूरज ने मेरे जिस्म के पीछे की हिस्से की मालिश कर ली तो उसके कहने पर पलट गई।
एक बार फिर बड़ी मस्ती के साथ सूरज मेरी मालिश कर रहा था, वो मेरे चूची को अच्छे से दबाता, चूत और उसके आस पास की जगह भी वो बहुत ही बढ़िया मालिश कर रहा था। जब उसने अच्छे से मेरी मालिश कर दी तो,
सूरज बोला- भाभी, तुम्हारी झांटें बड़ी हो गई हैं, झांट तो बना लेती!
मैंने अलसाते हुए सूरज को बताया कि आज शाम को उसके पापा यानि मेरे ससुर के साथ कोलकाता जा रही हूँ और थोड़ा झूठ बोलते हुए कहा कि काम के वजह से झांट बनाने का मौका नहीं मिला।
सूरज मेरी बात को सुनने के बाद बोला- कोई बात नहीं भाभी, तुम नहा कर आ जाओ, मैं तुम्हारी चूत को अच्छे से चिकनी कर दूंगा।
सूरज के कहने पर मैं नहा ली और जब वापस कमरे में पहुंची तो सूरज वीट की क्रीम, कुछ कॉटन, एक मग में पानी और तौलिया लेकर मेरा इंतजार कर रहा था। सबसे मजे की बात तो यह थी कि सूरज ने जमीन पर एक चादर भी बिछा रखी थी, ताकि मैं आराम से लेट सकूं। मैं सीधी लेट गई, सूरज ने तुरन्त ही मेरी चूत पर और उसके आस पास जहां भी उसकी नजर में बाल के हल्के फुल्के रोंयें थे, वहां उसने क्रीम लगा दी और फिर मेरे पास आकर मेरे निप्पल से खेलने लगा। मैं आँखें बन्द करके उसकी हरकतों का मजा ले रही थी। सूरज कभी मेरे निप्पल को दबाता तो कभी चूचियों को मसलता। उसके ऐसा करते रहने के कारण मेरी बीच बीच में हल्की सी सीत्कार सी भी निकल जाती। करीब दस मिनट बीतने के बाद सूरज ने कॉटन लिया और मेरी चूत पर लगे क्रीम को साफ करने लगा। फिर थोड़ा और कॉटन को गीला करके और अच्छे से मेरी चूत साफ कर दी, आखिर में उसने तौलिये से मेरी चूत साफ की और,
फिर बोला- लो भाभी, तुम्हारी चूत फिर पहले जैसी चिकनी हो गई है।
|