RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
फिर उसके बाद रितेश जो बोला, सुन कर मैं भी अचम्भित हो गई और पापा जी माथा पकड़ कर बैठ गये।
रितेश बोला- मैं अगर तुमसे बोल रहा हूँ कि तुम मेरे बाप से चुदवा लो तो इसका मतलब मैं भी तुम्हारी किसी प्यारी चीज की चूत पर हाथ साफ कर रहा हूँ।
मैं समझी कि सुनिधि होगी। पर जब वो बोला कि तुम मेरे बाप से चुदवा और मैं तेरी मां को चोद रहा हूँ तो मेरा माथा ठनका और मेरे ससुर जी माथा पकड़ कर बैठ गये।
मैं कुछ न तो कह सकती थी और न ही कर सकती थी।
अगर वो मेरी माँ को चोद रहा है तो इसका मतलब मेरी माँ की रजामंद होगी।
और मैं खुद उसके बाप से चुदने को तैयार थी।
मैं पापा जी की बांहो में थी और पापाजी मेरी चूची को सहलाते जा रहे थे, फिर
एकाएक पापाजी बोले- मेरे ही घर में कामदेव और कामदेवी है और मैं मजे के लिये तरसता रहा।
फिर बोले- कोई बात नहीं, वहाँ तुम्हारी मां चुद रही है तो तुम यहाँ मुझसे चुद कर मजा लो। अब तो मैं खुल कर तुमको चोदूंगा और तुम्हारे साथ मजा करूंगा।
मेरा दिमाग उड़ चुका था, मैं अहसास नहीं कर पा रही थी कि मैं क्या करूँ, वैसे भी मेरी मां 40 से थोड़ी ही ज्यादा की थी और उसका भी जिस्म भरा हुआ था।
तभी झकझोरते हुए पापा जी बोले- क्या सोचने लगी?
मैं- 'कुछ नहीं!
पापाजी- 'अरे आकांक्षा, तुम दोनों एक दूसरे के साथ कितनी सच्चाई से रहते हो। कम से कम किसी बात का पछतावा तो नहीं है।' कहते हुए मेरी गर्दन चूमने लगे।
लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था, मैं पापा से बोली,
तो वो बोले- कोई बात नहीं, जब तुम्हारी इच्छा तब हम मजे करेंगे।
फिर वो मुझे मेरा कपड़ा पहनाकर अपने कपड़े को पहन लिये।
कपड़े पहनने के बाद पापा बोले- तुम शायद इस समय अकेले रहना चाहती हो, तो मैं तब तक बाहर घूम आता हूँ।
मैंने भी हां में सर को हिला दिया।
पापाजी के बाहर जाते ही मैं लेट गई और दिमाग थका होने के कारण मुझे नींद भी आ गई। करीब दो घंटे के बाद पापाजी वापस आये, उनके हाथ में एक बहुत ही बड़ा से केरी बैग था, कमरे में आकर मुझे जगाया। जब मैं जागी तो मैं अपने आप को काफी फ्रेश महसूस कर रही थी। पापाजी ने वही मेरे सामने अपने सब कपड़े उतारे और केवल लुंगी को पहन लिया। इस समय भी पापा जी का मुरझाया हुआ लंड काफी बड़ा लग रहा था।
मैं पेशाब करने के लिये बाथरूम की तरफ चल दी, मैं अपनी सलवार का नाड़ा खोल ही रही थी कि पापा जी भी अन्दर आ गये और अपनी लुंगी हटा के लंड को हाथ में लिये और मूतने लगे। जैसे ही मैं अपनी सलवार को उतार कर खड़ी हुई, पापा जी ने अपने लंड को मेरे हाथ में पकड़ा दिया। अचानक लंड हाथ में आने से मेरा हाथ गीला हो गया।
जब पापाजी मूत चुके तो उन्होंने मेरी पैन्टी उतारी और मुझे पीछे से पकड़ कर इस तरह से उठा लिया जैसे किसी छोटे बच्चे को मूतने या पॉटी कराने के लिये माँ उठाती हो और जब तक मैं पूरी तरह से मूत न ली मुझे पापाजी इसी तरह से पकड़े रहे। फिर मुझे गोदी में ही उठा कर बेड तक लाये और बैठा दिया और केरी बैग से खाने का कुछ सामान और दो बियर की केन निकाल कर मेरे सामने रख दी। धीरे धीरे मैं एक बार फिर अपने पूरे रंगत में आ चुकी थी और भूल चुकी थी कि रितेश और मेरी मां साथ साथ हैं। मैंने पापा द्वारा लाई हुई स्नेक्स खाना शुरू किया। पापा ने बियर की केन खोलते हुए एक खुद ली और एक मुझे दी। जानबूझ कर मैंने थोड़ी न नुकुर की लेकिन पापा जी के कहने पर ले ली।
पापा जी वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गये और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया, मैं अर्द्धनग्न ही पापा की गोदी में बैठ गई। अब हम दोनों ससुर बहू साथ साथ स्नेक्स खाने और बीयर पीने का मजा ले रहे थे। पापा बीच बीच में मेरी चूची को दबा देते। अब मुझे मेरे जिस्म पर पड़ा हुआ कपड़ा भारी लगने लगा। मैं चाह रही थी कि मैं पूरी नंगी ही पापा जी के गोदी में बैठ जाऊँ और वो मुझे रौंदने लगे लेकिन पापाजी का हौले हौले मेरे जिस्म को सहलाना भी मुझे बहुत मस्त कर रहा था और मैं मस्ती में कामलोक पहुंच चुकी थी। पापाजी कभी मेरी पीठ सहलाते तो कभी मेरी कांख को सहलाते तो कभी मेरी जांघ में हाथ फेरते, कभी मेरी नाभि के अन्दर भी उंगली कर देते थे। उंगली क्या करते थे जैसे किसी परत को खरोंच कर निकाला जाता है उसी तरह पापाजी भी मेरी नाभि के अन्दर खरोंच रहे थे। बियर पीने और पापा जी का हाथ जो मेरे जिस्म पर चल रहा था, उससे मुझे और खुमारी बढ़ती जा रही थी। सच कहूँ मेरी चूत की आग बढ़ती जा रही थी उम्म्ह... अहह... हय... याह... और मैं चाह रही थी कि पापा जी मुझे पटक दें और मुझे चोदना शुरू कर दें।
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