RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
आज सतीश की बहन मोना आने वाली थी उसे लेने उसे एअरपोर्ट जाना पड़ा वह बहोत खुश था वह पहले अपनी बेहद हसीन और सेक्सी बहन का दीवाना था वह उसका पहला प्यार थी पर उसे कभी पता ही नही चला था और सतीश ने भी कभी बताया नही अब दो सालों बाद व उससे मिलने वाला था.
एरपोर्ट पहुँच कर सतीश मोना की फ्लाइट के लैंड करने का वेट करता है.
कारीब १५ मिनट बाद.......? सतीश को सामने से स्टाइलिश स्काई ब्लू साड़ी में एक खूबसूरत लड़की आती हुई नज़र आती है वो उसे देखता ही रह जाता है,
तीखे नैन नक्श्, गोरा रंग, सुर्ख़ लाल रंग की लिपस्टिक लगे गुलाब की पंखुड़ी के जैसे होट, सुराहीदार गर्दन और उसमे लटकता हुआ मंगलसूत्र जो उसकी ब्लाउज में क़ैद दोनों स्तन के बीच की खाई में अटका हुआ है, कंधे तक घणी काली ज़ुल्फ़ और बेइन्तेहाँ खूबसूरत चेहरे पे एक क़ातिलाना मुस्कराहट जो की उसे एक राजकुमारी का रूप दे रहा है.
ओ लड़की सतीश के सामने आकर खड़ी हो जाती है और उसे कहती है.
“क्या हुआ सतीश कहा खोये हुये हो”?
सतीश पे इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती वो तो उसकी खुबसुरती में खोया हुआ है.
मोना उसे हिलाकर दोबारा कहती है “सतीश…..”
“मोना! तुम मोना हो ना”?
मोना- “नही उसका भूत हु गधे कबसे खड़ी हु और तु अपने मे खोया हुआ है”
सतीश- “मैं तुम्हे ही तो लेने आया हु,
ओर देखो तुम्हारी खुबसुरती में खो गया, है क्या बात है शादी के बाद तो तुम और खूबसूरत हो गई हों,
तीखे नैन नक्श, गोरा रंग, सुर्ख़ लाल रंग की लिपस्टिक लगे गुलाब की पंखुड़ी के जैसे होट, सुराहीदार गर्दन और उसमे लटकता हुआ मंगलसूत्र जो ब्लाउज में क़ैद दोनों बड़ी बड़ी और गोल गोल स्तनो के बीच की खाई में अटका हुआ है”
मोना सतीश के मुह से अपनी तारीफ़ सुनके खुश हो जाती है और लास्ट में स्तन की बात सुनके शर्मा जाती है और सतीश भी झेंप जाता है.
मोना : “अगर मेरी तारीफ़ ख़तम हो गई हो तो चलें”
सतीश : हाँ ज़रूर चलो मैं क्या करूँ तुम हो ही इतनी सूंदर के मुह से तुहारी तारीफ़ आपने आप निकलने लगी और अगर तुमने नही रोका होता, तो क़यामत तक मेरे मुह से तुम्हारे लिए तारीफ़ के शब्द निकलते रह्ते ये रुकने का नाम ही नहीं लेते”
मोना: “अच्छा तो इसका मतलब तुम्हारा ईरादा मुझे क़यामत तक यहाँ खड़ा रखने का है”.
सतीश: “नहीं नहीं मे तो बस आपकी तारीफ़ कर के ये कह रहा हु की आपकी तारीफ़ करते करते कब मेरी पूरी ज़िन्दगी गुज़र जायेगी शायद पता भी न चलेगा और फिर भी आपकी तारीफ़ में शब्द बाकि रह जाये”.
मोना: “मतलब सारी उम्र मुझे यहीं खड़े रखने का ईरादा है”?
सतीश: “नहीं नहीं मैं तो बस”.
मोना: “मैं तो बस क्या”?
सतीश: “मैं तो बस तुम्हारी तारीफ़ कर रहा था”
मोना: “तारीफ़ के नाम पर बड़े ही आराम से फ्लर्टिंग कर लेते हो बहुत स्मार्ट हो गए हो”.
सतीश: “क्या दिदी मैंने कब फ्लर्टिंग की तुम्हारे साथ?
मोना: “तुमने नहीं कहा की मेरी स्तन बडे बडे है,क्या कोई अपनी बहन को ऐसे बोलता है”?
सतीश: “वो तो दिदी मैं बस..........
मोना: “जो कहना है खुल के कह”.
सतीश: “अब तुम्हारे स्तन बडे बडे और प्यारे है तो मैं क्या करु”?.
मोना: “तुम्हे शर्म नही आती अपनी बहन को ऐसे बोलते हुये क्यों घुर रहे थे मेरे स्तन को” ?
सतीश: “मैं कहाँ घुर रहा था वो तो अपने आप ही नज़र पड़ गई. कोई अंगूर थोड़े ही हैं, जो की नज़र न आये ये तो रसीले आम हैं,कितना रस भरा है इनमे”.
मोना: “शर्म करो सतीश क्या कोई भाई अपनी बहन के स्तन को घुरता है,बहुत बिगड गये हो तुम”?
मोना को भी अब बातों में मजा आ रहा था भाई बहन पहले इतने खुलकर बातें नही करते थे पर अब उसे भी सतीश की बाते अच्छी लग रही थी.
सतीश: “अब सामने इतने रसीले आम हो तो किसी का दिल भी ललचा जायेगा और मुह में पानी आ जाये गा,
जीस तरह लड़कियो को केला पसंद आता है वैसे ही मुझे आम पसंद है”
मोना: “किसने कहा लड़कियो को केला पसंद आता है मुझे तो गन्ना पसंद है,
लम्बा और मोटा जिस मे से खूब रस निकले”.
ये कह के वो मुस्कुराने लगती है.
सतीश: “ठीक है तुम मुझे रसीले आम खिलाना और मैं तुम्हे लम्बा मोटा और मीठा गन्ना खिलाऊंगा”.
दोनो को इन बातों में बड़ा मज़ा आ रहा था.
तभी अचानक सतीश का मोबाइल बजने लगता है.
सानिया: “सतीश मोना की फ्लाइट आ गई क्या”?
सतीश: “हाँ मम्मी, और मोना भी आ गई है”.
सानिया: “ठीक है तुम उसे लेकर घर चले आओ”.
सतीश: “जी मम्मी हम आ रहे है”.
सतीश मोना से कहता है “घर चले”?
मोना: “जी ज़रुर,मैं भी कितनी पागल हु, यही खड़े खड़े तुमसे बात कर रही हु”
सतीश टैक्सी को आवाज़ लगाता है.
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