RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
मोना : “मुझे एक बात बता, के जब हम बाइक पे थे, और तेरी पैंट में मोबाइल था ही नहीं, तो वाइब्रेट क्या कर रहा था”?
यह कह के मोना मुस्कुराने लगती है.
सतीश ये बात सुनते ही शर्मा जाता और साथ में परेशान भी की वह अब इस बात का दीदी को क्या जवाब दु.
मोना : “क्या हुआ बता ना, बोलता क्यों नही”?.
सतीश : “कुछ नहीं दीदी वह तो बस, वो सब छोडो और आराम करो तुम्हे आराम की सख्त ज़रूरत है”.
मोना : “बताना, क्या हुआ अब तेरी बोलती क्यों बंद हो गयी”.
सतीश : “अरे कुछ नहीं वो तो बस मैं ऐसे ही वो कुछ नहीं था, समझा करो ना दीदी तूम भी ना अब परेशान मत करो”.
मोना : “चल ठीक है,जाने दे पर तुम्हे मेरा एक काम करना पडेगा”
सतीश : “हाँ बोलो ना क्या काम है दीदी,तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है. तुम बोलो तो सही”.
मोना : “नहीं रे मुझे तेरी जान नहीं चाहिए वो तो पहले से ही मेरी है”.
सतीश : “तो फिर क्या चाहिए तुम्हे”?
मोना : “पहले तूम वादा करो जो मैं तुम्हे करने कहुँगी वो तूम किसी को नहीं बताआगे”
सतीश : “लगता है आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है, तुम्हारे ईरादे तो नेक हैंना”?
मोना : “बकवास मत कर और मुझ से वादा करो”
सतीश : “वादा, पक्का वादा,मेरी एंजेल का हुकुम सर आँखों पे”.
मोना : “मुझे ना”.
सतीश : “हाँ बोलो”
मोना : “पहले तूम आँखे बंद करो”.
सतीश : “तुम्हारे ईरादे तो नके है ना, मेरी आँखे बंद करके क्या करने वाली हो” ?
मोना : “तुम आँखें बंद करते हो या नही”.
सतीश : “करता हूँ बाबा, तूम नाराज़ मत होना, चलो बंद करदी मैंने अपनी आंखें,आब बोलो क्या बात है”.?
मोना : “मुझे ना पेशाब करना है, तूम मुझे टॉयलेट में ले चलो”.
सतीश : “बस इतनी सी बात और तूम ने तो मुझे डरा ही दिया था…..क्या? पे..पे…पेशाब तुम्हे टॉयलेट जाना है पर मैं कैसे”?.
मोना : “हाँ मुझे पेशाब करना है, बहुत ज़ोर से लगी है, मैं खुद तो जा नहीं सकती क्यों की मुझे चोट लगी है और मेरा हाथ भी ज़ख़्मी है, अब तूम बताओ मेरी मदत करोगे के नही”?
सतीश : “मैं तुमम्हारी मदत करूँगा, ज़रूर करूँगा पर”?
मोना : “पर क्या” ?
सतीश : “पर मुझे शर्म आ रही है”.
मोना : “मैं लड़की हो कर नहीं शर्मा रही हूँ और एक तूम हो, अब जल्दी करो मुझे बहुत ज़ोर की लगी है”
सतीश फिर मोना को अपनी गोद में उठाता है और टॉयलेट में ले जा कर बैठा देता है.
ओर घूम के जाने लगता है.
मोना : “कहाँ जा रहे हो मुझे वापिस कौन लेके जायेगा तूम यहीं रुको”.
सतीश वही पे मोना की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है.
मोना : “पीछे मत देखना”.
सतीश : “नहीं देखुंगा, तुम बेफिक्र रहो”.
ओर फिर?
ओर फिर मोना की चुत से सिटी की आवाज़ के साथ पिशाब निकलना शुरू हो गया.
सिटी की आवाज़ सुन के सतीश चोंका.
सतीश : “मैंने पहली बार किसी लड़की को सिटी बजाके पेशाब करते हुये देखा है”.
मोना : “क्या? (चीख़ते हुए) तूम मुझे देख रहे हो?बेशरम मैंने तुम्हे मना किया था ना फिर क्यूं,तुम्हे शर्म नहीं आई ऐसा करने में,कोई अपनी बहन के साथ ऐसा करता है, बहुत बेशरम हो गये हो तूम तो”
सतीश : “अरे मैं तुम्हे नहीं देख रहा, मैं तो बस सुन रहा हु, काआअश ये खूबसूरत नज़ारा मैं देख सकूँ, पर तूम मुझे एक बात बताओ की तूम सिटी क्यों बजा रही हो, टॉयलेट में क्या कोई सिटी बजाता है”?
मोना : “मैं सिटी नहीं बजा रही, मैं भी सब की तरहा चुपचाप टॉयलेट करती हु”
सतीश : “तो क्या मेरे कान बज रहे है, मैंने अभी सिटी की आवाज़ सुनि है”.
मोना : “अरे भाई, मुह से थोड़ी सिटी बजा रही हूँ, वो तो लडकियो की जब पेशाब निकलती है, तब सिटी की आवाज आती है, ये कुदरति है,
तुम्हने कभी सुनि नहीं क्या” ?
सतीश : “मैं लेडीज के टॉयलेट में कान लगा के नहीं सुनता मुझे क्या पता, मैंने कभी किसी लड़की को पिशाब करते नहीं देखा,हो सकता है तूम मुझे बेवकुफ बना रही हो”.
मोना : “मैं तुम्हे बेवकुफ नहीं बना रही. मैं सच कह रही हु, चलो नेक्स्ट टाइम तूम देख लेना के कैसे बजती है सिटि, अब मुझे उठा के ले चल बेड पे मेरा हो गया”
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