RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम के वक़्त मनु के घर.....
"भला कीजे भला होगा, बुरा कीजे बुरा होगा
बही लिख-लिख के क्या होगा, यहीं सब कुछ चुकाना है
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है"....
मनु पूल साइड मे अपने रिलॅक्सिंग चेयर पर लेट कर गाने सुन रहा था.... "ये सुन'ने की अभी तुम्हारी उम्र नही मनु"
आँखें खोल कर देखा तो पास मे श्रेया खड़ी थी... "अर्रे श्रेया तुम कब आई"
श्रेया, मनु के चेहरे को हैरानी से देखती हुई पूछने लगी.... "मनु तुम इतना नॉर्मल कैसे रह सकते हो".
मनु.... मैं समझा नही तुम कहना क्या चाहती हो...
श्रेया.... इतना कुछ कहा था तुम्हे, ना तो तब तुम ने कुछ कहा... और ना अभी तुम्हारे चेहरे पर किसी भी तरह का चिढ़ है उन बातों के लिए.
मनु.... ओह्ह्ह कम ऑन श्रेया... छोड़ो भी उसे... अर्रे श्रमण किधर गया रे... घर मे मेहमान आए हैं साला तू गायब किधर है....
श्रेया.... मनु उसे छोड़ो भी, मुझे कुछ कहना है तुम से..
मनु.... कोई परेशानी है क्या श्रेया...
श्रेया.... हां मनु. दिल पर एक बोझ जैसा है, वही उतारने आई हूँ... आइ आम रियली वेरी सॉरी. पता नही उस दिन मैं क्या-क्या बोल गयी...
मनु.... इट'स ओके ना... बताओ क्या सेवा किया जाए.. सॉफ्ट ड्रिंक, हार्ड ड्रिंक, टी, कॉफी... कुछ भी..
श्रेया.... कुछ भी नही... और इट्स ओके से मुझे स्टिस्फॅक्षन नही होगा. गिल्टी जैसा फील हो रहा है मनु...
मनु.... हां बाबा समझ गया... सुन भी लिया ना... अब भूल जाओ उस बात को....
श्रेया... नही, जब तक मुझे लगेगा नही कि तुम ने मुझे माफ़ किया, तब तक मुझे चैन नही आएगा....
मनु... ठीक है माफ़ कर दिया, अब बताओ क्या लोगि...
श्रेया.... ऐसे नही, पहले मेरी दोस्ती आक्सेप्ट करो और कल के राक ऑन शो मेरे साथ देखने चलोगे तभी मैं तुम्हारी बात
मानूँगी.
मनु...... ओके बाबा ठीक है ... मैं कल चलूँगा तुम्हारे साथ और कुछ....
श्रेया, मनु के गालों को चूमती.... "बस थॅंक्स, और कल मैं तुम्हे पिक करने आ जाउन्गी.. अभी बाइ"...
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