RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
दिन के वक़्त.... देल्ही
जिया खाली बैठी सोच रही थी, तभी उसे ख्याल आया वो तो श्रमण को भूल ही गयी. जल्दी ही कॉल लगा कर उसे मिलने बुलाई. श्रमण तो पगलाए-पगलाए, उछल्ते, कूद'ते निकला जिया से मिलने.... जब पहुँचा तो जिया, श्रमण को देखते ही उस के गले लग गयी. उफफफ्फ़ श्रमण के लिए ये अनमोल पल थे.
जिया... श्रमण जी, भला कोई किसी को इतना तड़पाता है क्या...
श्रमण.... जिया जी, मैने क्या कर दिया. मैने कैसे तडपाया आप को.
जिया.... बुद्धू हो श्रमण, नही समझोगे. बाबा एक कॉल कर के बात ही कर लिया करो ना अच्छा लगेगा.
श्रमण.... सच कहूँ तो मेरी हिम्मत नही होती आप को कॉल लगाने की. सोचता हूँ कहीं आप काम मे बिज़ी हो और मैने
डिस्ट्रब कर दिया तो कहीं आप नाराज़ ना हो जाए.
जिया... खबरदार जो ऐसी बातें सोचे तो. और हां मुझे अच्छा लगेगा यदि तुम मुझे परेशान करोगे तो, वो भी रात मे खास कर.
श्रमण.... ठीक है जिया जी, अब से रोज कॉल करूँगा, आप प्लीज़ नाराज़ ना हो...
जिया... अब ये जिया जी कहना बंद करो श्रमण. तुम मेरे लिए सब से स्पेशल हो... कॉल मी ओन्ली जिया
श्रमण.... आप भी मेरे लिए जिया जी... ओह्ह्ह सॉरी जिया....
जिया.... श्रमण, आज कल तुम्हारे बॉस कहाँ हैं, दिखते नही...
श्रमण... पहले भी वो नही दिखते होंगे जिया. वो तो घर और घर से ऑफीस. बस काया बहन आती हैं तो ही मनु भाई बाहर का प्लान बनाते हैं, वरना तो उनकी मर्ज़ी है... किसी का ऑफर अच्छा लगा तो बाहर निकले नही तो नही निकले.
जिया.... हां वो तो जानती हूँ. अजीब ही है वो तो बिल्कुल. जब से आंटी मरी हैं, तब से मैने उसे फिर दिल से कभी हँसते नही देखा.
श्रमण.... हां सच कही आप जिया. कई बार रात को तो पी कर उन्हे रोते सुना है.. अभी आज की ही बात ले लो, मानस भाई से बात करते-करते रोने लगे...
जिया... ऐसा क्या हो गया था, मनु ठीक तो है ना....
श्रमण.... हां मनु भाई ठीक हैं, आप चिंता ना कीजिए... वो तो इतना ठीक है कि अब सब को सबक सिखाने वाले हैं... क्या
आक्षन मे कहे काउंट डाउन बिगेन...
जिया... हा हा हा... मनु की यदि अदा तो निराली है.... वैसे डियर आप भी तो अपनी कुछ अदा दिखाओ...
श्रमण... मैं क्या दिखाऊ
जिया..... डॅन्स के दो स्टेप श्रमण....
श्रमण.... जिय्ाआ... यहाँ भीड़ है, मुझे शर्म आएगी...
जिया.... हुहह !!! मुझ से कहते तो मैं अभी कर देती .... हां तुम क्यों मेरी बात मनोगे, मैं तुम्हारे पिछे आई थी ना इसलिए.
अब नही आउन्गि गुड बाइ....
"आउच".... कुछ बुरा सा और कुछ दर्द जैसा महसूस हुआ श्रमण के दिल मे, जिया नाराज़ हो कर जा रही थी और श्रमण को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था..... इधर जिया भी गहरी सोच मे डूबी चल रही थी... "सब को सबक सिखाने का क्या मतलब हो सकता है, मनु कॉर्पोरेट रिवल्स के बारे मे सोच रहा था या कोई फॅमिली मॅटर है दोनो का".
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