Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:19 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

"नौटंकी कहीं की, तेरी तो"......

. "हीएीएीए... अखिल.... छोड़ो भी.... अखिल... नही ना बाबा"....

दो बार रिक्वेस्ट करने के बाद अखिल तीसरी बार ज़बरदस्ती पर उतर आया.... उसने अपने दोनो पाँव काया की कमर के इर्द-गिर्द फसाते
उसके बालों को हल्का पिछे खींच दिया और अपना चेहरा आगे बढ़ाते हुए उसे चूमने की कोसिस करने लगा....

जिसके विरोध मे काया किल्कारी भरी हँसी हस्ती हुई उसे मना करने लगी. तभी अखिल ने काया के पीठ पर हाथ डाला और ज़ोर से उसे
अपने सीने से चिपका लिया.... हल्का झटके के साथ दोनो के बदन चिपक गये आगे से और काया के मुँह से .... "आअहह" निकल गया.

दोनो की नज़रों से नज़र मिलने लगी. एक दूसरे की आँखों मे देखते दोनो डूबते चले गये. धरकने जैसे खुद-व-खुद तेज होने लगी हो. काया ने
अपने दोनो हाथ से अखिल का ललाट पकड़ी और अपना चेहरा धीरे-धीरे पास लाने लगी.....

अखिल के मज़ाक से खेल शुरू हुआ जो तमन्नाओं के अहसासो तक पहुँच गया. लेकिन अखिल को याद आया वो तो बस एक मज़ाक के तौर
पर उसे चूम रहा था. उसने काया के ललाट को चूमा और ना मे सिर हिलाता उस से दूर होने लगा.

जैसे ही अखिल उस से दूर होने की कोसिस करने लगा, काया ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसने अपने होंठों से धीमी आवाज़ निकाला... "नही जाओ ना".....

पल जैसे ठहरा हो, नज़रों ने जैसे कई अरमान ज़ाहिर किए हो और काया, अखिल के कंधे पर अपना सिर टिकाती उसके गले लग गयी. गर्म साँसे एक दूसरे के गर्दन पे पड़ रही थी. अखिल ने काया के कान के नीचे, धीमे से चूम लिया. हल्की झुनझुनाहट जैसे काया के अंदर गयी
हो..... "इष्ह" करती उसने अखिल को और ज़ोर से पकड़ ली.

अखिल, काया के गर्दन पर होंठ चलाते अपने हाथ उसके पीठ पर फिराने लगा. जब भी अखिल का हाथ उसकी खुली पीठ पर पड़ता एक
अलग ही जलन और तड़प का अहसास होता. दोनो की साँसे गरम और तेज हो चली थी.

अखिल ने काया को खुद से अलग करते उसे बिस्तर पर लिटा दिया. गरम चलती सांसो की आवाज़.... "हुहह"... तेज धड़कनों पर उपर नीचे
होती छाती और मदहोश सी आँखें..... अखिल घायल सा होता उसने अपने हाथ काया के सीने पर फिराते हुए उपर उसके चेहरे पर ले गया.

मदहोशी की वो तेज धड़कने और उखड़ी सी साँसे, काया ने अखिल का हाथ पकड़ा और उसे अपने होंठो से लगा लिया. नज़रों मे झाँकते हुए, अखिल ने काया का चेहरा अपने दोनो हाथों मे थाम लिया. दोनो के चेहरे पर फैली हुई मुस्कुराहट कई अफ़साने बयान कर रहे थे.... प्यार के
इस पल मे दोनो ने अपने होत एक दूसरे के होठों से लगा कर चूमना शुरू कर दिया....

चूमते हुए अखिल ने काया के बालों को आगे से समेट'ते हुए पिछे जाने दिया. नज़रें एक बार फिर दोनो की टकरा गयी... और होठ खुद
-व-खुद चूमने को मचल उठे.
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए ) - by desiaks - 11-17-2020, 12:19 PM

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