RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
काया को अपने कानो पर विस्वास नही हुआ कि वो क्या सुन रही है. वो मनु को देख कर रोती हुई पूछने लगी..... "भाई कह दो कि ये सच नही है. कह दो कि तुमने और अखिल ने मिल कर ये सब प्लान किया था. ये सच भी था तो मुझे क्यों बताया. मुझे इन सब से अलग ही रहने दिया होता"......
मनु, काया को शांत करते हुए कहने लगा..... "चलो यहाँ से काया अभी. मैं तुम्हे सब समझाता हूँ"
काया को ले कर घर की ओर मनु निकल गया... रास्ते मे..... "काया तुम ने जो कुछ भी सुना शायद ये काफ़ी चौकाने वाला था, जितना तुम्हारे लिए उतना मेरे लिए भी. हमारे अपने हमे मारना चाहते हैं. खैर इनकी नफ़रत तो ना जाने मैं कब से झेलता आ रहा हूँ, ये बात तो तुम से भी
नही छिपि".
"मैं तुम से बस इतना बताना चाहता हूँ कि आगे जो मैं करने वाला हूँ वो शायद ना तो मोम के हक़ मे हो ना डॅड के हक़ मे और ना ही रजत के हक़ मे हो. दुनिया मेरे बारे मे क्या सोचती है मुझे उस से कोई लेना देना नही लेकिन मेरे लिए मेरा सब कुछ तुम हो. तुम से बढ़ कर मेरा बदला नही, इसलिए अब सारा फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है"....
काया..... भाई, मुझे तो अब भी यकीन नही कि रजत मेरे लिए ऐसा सोच सकता है. बस एक बात बता दो क्या तुम उन्हे जान से मारने वाले हो क्या...
मनु, काया के सिर पर हाथ रखते हुए..... "तेरे सिर की कसम, मैं तो बस उन से वो सारी चीज़ें छीनुन्गा जिन चीज़ों ने उन्हे इतना गिरने पर
मजबूर कर दिया. इस से ज़्यादा कुछ नही".
काया..... "थॅंक्स भाई, प्लीज़ उन्हे उनके किए की सज़ा देना, पर कुछ ऐसा मत करना कि वो रिवर्स ना किया जा सके"
मनु.... तुम्हे विस्वास है ना अपने भाई पर... तेरे सिर की कसम खाया हूँ, तू डर मत ऐसा कुछ भी नही होगा.....
काया..... "ठीक है भैया, यूँ समझ लेना कि मैं ना तो उनके ओर हूँ ना तुम्हारी ओर. बस इस खेल मे ना तो आप को और ना उनको, दोनो मे से किसी को कुछ नही होना चाहिए"
मनु..... डॉन'ट वरी, चिंता मत करो.... दिल टूटा है पर एमोशन्स नही गये हैं. और हां मुस्कुराती जाओ घर और विस्वास रखो मुझ पर....
मनु, काया को घर ड्रॉप करने के बाद वहीं से सीधा अपनी एक लास्ट मीटिंग के लिए निकल गया था.... जहाँ पर पार्थ, नताली, मानस और अखिल मिलते.
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