RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मीटिंग पॉइंट.... रात के 8.30 बजे...
मनु.... आप सब के आने का सुक्रिया, मैने आप सब को सिर्फ़ इसलिए बुलाया है कि मैं अब अपना फाइनल गेम खेलने वाला हूँ, क्या आप सब मेरे साथ हैं....
नताली.... हां मैं और पार्थ तुम्हारे साथ हैं...
पार्थ... अच्छा, मैने तो कुछ नही कहा, फिर मेरे बिहाफ मे तुम कैसे कह सकती हो...
नताली.... मुझे पता है इसलिए. तुम भी तो यही कहने वाले हो ना....
पार्थ.... नही, मैं तो ये कहने वाला था कि जहाँ कहीं भी मेरी ज़रूरत हो मुझे याद कर ले. मैं तो बस कानपुर जाउन्गा, उनकी जड़े खोदने जिसने मानस को फसाने की कोसिस किया. उस रात मानस और उसकी माँ के साथ क्या हुआ इस बात का पता तो अब मैं लगा कर रहूँगा.
मानस.... सुक्रिया दोस्त, तुम्हारा ये एहसान रहेगा. उस एक रात ने हमारी पूरी कायनात बदल कर रख दी. जैसे सस्पेंस सा छाया हुआ हो आज तक.
मनु..... ह्म ! सुक्रिया आप सब का. अब मैं एक मेजर स्टेप ले रहा हूँ, एक धोके के तहत मैं मानस भाई को कंपनी से अलग करूँगा.
नताली..... अलग तो कर दोगे लेकिन इसका क्या फ़ायदा होगा...
मनु.... मैं श्रेया का विस्वास जीतूँगा, और श्रेया की माँ के ज़रिए मैं मूलचंदानी हाउस मे सेंध लगा दूँगा.
पार्थ..... इस मे एक बात और एड कर सकते हो, तुम मानस के साथ-साथ वंश अंकल का भी पत्ता सॉफ कर दो, इस से ये लगेगा मनु ने टेप लीक करने वाले से अपना बदला ले लिया.
नताली.... इसे कहते हैं आइडिया का उपज होना. तुम्हारे पास दिमाग़ भी है पार्थ, आज समझ मे आया. मनु ये अच्छा रहेगा, और इस एक मूव के बाद तो बहुत कुछ प्लॉट किया जा सकता है....
मनु.... ह्म ! ये सही है, मैं कुछ फ्यूचर फोर्कास्ट देख रहा हूँ, लेकिन उसके लिए पहले मैं कुछ लीगल फॉरमॅलिटी देख लूँ. तो ये तय रहा कि मैं
भाई को और वंश अंकल को एक साथ हटाउँगा और दोनो बड़े ड्रामे के साथ मुझे छोड़ कर जाएँगे.
नताली.... एसस्स... उन्हे हमेशा ये लगना चाहिए कि गेम वो चला रहे हैं.
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