RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
पीछे से नताली की आवाज़ आई..... "अरे मिस ड्रस्टी पहले उसे पकड़ने तो दो फिर ना बाद मे तुम्हे छोड़ने का डर सताना चाहिए.... प्यार होने से पहले ही सारी शर्तें लाद दी बेचारे पर.... व्हेन यू लव सम वन... इट ईज़ युवर लव... तुम अपनी भावनाएँ अपने प्यार पर थोपो उस से अच्छा
है की उसे अपने भावनाओ के साथ जुड़ने दो.
कुछ पल खामोसी रही.... नताली ने फिर कहना शुरू किया..... "ओह्ह्ह कम-ऑन ड्रस्टी... ना तो तुम कह पा रही थी और ना ही ये मानस. और ये दिन भर ऑफीस मे तुम्हारी ही बातें कर के मेरा भेजा ख़ाता था. इसलिए दोनो के एमोशन्स एक दूसरे के प्रति दिखाने के लिए मुझे ये
सब करना पड़ा... अब इस से ज़्यादा क्लरिफिकेशन देना मुझ से ना होगा... प्यार करना है तो करो वरना भाड़ मे जाओ"..,,
नताली अपनी बात कह कर चली गयी. ड्रस्टी, मानस को देखती हल्की मुस्कुराने लगी, और मानस अपने हाथ झटकता उसे अपनी बाहों मे ले लिया...... ड्रस्टी, मानस की बाहों मे झूलती, अपने आँखें मूंद ली. मानस उसके चेहरे पर आए बाल को प्यार से हटा कर उसके चेहरे पर हाथ
फिराने लगा.....
"बिल्कुल किसी ख्वाब जैसी हो तुम, मेरी पड़ी".... आगे मानस इज़हार-ए-मोहब्बत करना चाहता था. वो ड्रस्टी से कह देना चाहता था कि वो उस से कितना प्यार करता है.... पर उफ़फ्फ़ ये बेबसी..... धड़कनें ऐसी तेज हुई कि मानस धड़कते दिल के साथ हिम्मत ही नही जुटा पाया कुछ कहने की....
वहीं, चेहरे पर अपने प्यारी सी मुस्कान बिखेरे, ड्रस्टी प्यार की हसीन दुनिया मे खो चुकी थी. थोड़ी देर ऐसा ही महॉल चलता रहा... ड्रस्टी मुस्कुराती हुई मानस की बाहों का अहसास कर रही थी, और मानस धड़कते हुए अरमानो के साथ ड्रस्टी को देखते हिम्मत नही जुटा पा रहा
था की उस से अपने दिल का हाल बोल दे.
तभी सामने से हर्षवर्धन और अमृता ऑफीस मे पहुँचे..... मानस उन्हे देख थोड़ा हड़बड़ा गया, और ड्रस्टी बाहों से छूट कर गिर गयी.....
"आऊओ, गिरा ही दिया मुझे"...
ड्रस्टी, मानस की ओर देख रही थी, तभी पिछे से अमृता बोल पड़ी..... "ये लड़की कौन है मानस"...
मानस.... मोम ये ड्रस्टी है....
ड्रस्टी, जैसे ही देखी "मानस की मोम" .... जल्दी से दुपट्टा अपने सिर पर डाली और वापस मानस के कॅबिन मे भाग गयी. उसका शरमाना देख कर अमृता हँसती हुई कहने लगी... "काफ़ी प्यारी बच्ची है मानस, कौन है... कहीं हमारी होने वाली बहू तो नही"
मानस, मुस्कुराते हुए..... "चलिए अंदर चल कर बात करते हैं"
हर्ष.... अच्छा ऑफीस है मानस. वैसे बताओगे मनु और तुम्हारे बीच हुआ क्या था....
मानस.... जाने दो डॅड हम इस पर बात ना करे तो अच्छा है...
अमृता.... सुनो मानस, यूँ अपने ही परिवार से टूट कर रहना अच्छी बात नही है. मैं मनु से भी बात करूँगी, तुम दोनो के बीच जो भी परेशानी
है शॉर्टाउट कर लो...
मानस...... मुझे इस बारे मे कोई बात नही करनी, आप लोग टी या कॉफी लेंगे....
हर्ष..... खैर जाने दो, और बहुत-बहुत बधाई हो तुम्हारे नये बिज़्नेस के लिए... कोई भी ज़रूरत हो बेहिचक कहना.....
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