RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
रात के वक़्त... मूलचंदनी हाउस...
अमृता और हर्ष आज की हुई घटनाओ पर चर्चा कर रहे थे. हर्षवर्धन को बिल्कुल समझ मे नही आया की आख़िर सूकन्या का इतने स्ट्रॉंग अपोज़ करने का कारण क्या था....
अमृता.... छोड़ो उसे जाने दो, वो लड़की कितनी प्यारी थी ना....
हर्ष... अमृता मैं यहाँ सीरीयस इश्यू की बात कर रहा हूँ और तुम हो कि, किसी लड़की के बारे मे पूछ रही हो.
अमृता.... हां हर्ष, मानो उसने पहली मुलाकात मे ही दिल मे जगह बना ली हो. हम भी रजत के लिए ठीक वैसी ही बहू ढूंढ़ेंगे.
हर्ष.... किस लड़की की तुम बात कर रही हो...
अमृता.... वही जो मानस के ऑफीस मे मिली थी. मानस की गर्लफ्रेंड...
हर्ष.... अमृता, ये अचानक से तुम मानस के लिए इतना कब से सोचने लगी...
अमृता.... मैं तो सौतेली हूँ, तुम तो पिता हो उन दोनो के फिर तुम ही क्यों नही सोच लेते.... एक बात कहूँ हर्ष मुझे ना आज कल खुद मे बहुत गिल्टी फील हो रहा है... काव्या के किए का बदला हम ने उन मासूम बच्चो से लिया, जब कि बदले मे आज तक उन लोगों ने पलट कर जबाव तक नही दिया. जानते हो आज शर्मिंदगी कब महसूस हुई....
हर्ष... क्यों अमृता...
अमृता.... जब तुम ने विथ्ड्रोल की बात की, और मनु ने बिना कोई आश्चर्य और बिना किसी शिकन के सीधे कह दिया कहाँ साइन करना है. यू नो हर्ष, मैं अक्सर सोचती थी कि हम जो कर रहे हैं उसका असर मनु और मानस पर पड़ता होगा. शायद उन्हे ये फील भी होता हो पर आज तक कभी हमारे किसी बात पर रिक्ट नही किया. आइ आम शुवर, जितना हमने उनके साथ किया उसका 5% भी यदि हम रजत के साथ करे तो हमे उल्टा सुन'ने को मिलेगा...
हर्ष.... ह्म ! शायद हम अंधे हो चुके हैं, जो हमे अच्छे और बुरे का फ़र्क पता नही चल रहा. या फिर हम किसी का किया इतना भुगत चुके हैं कि उनके बच्चो से भी हमे आज तक नफ़रत है...
अमृता.... हां दोनो की ही बात है मनु. हम अंधे भी हैं, और काव्या का किया हम भुला नही पा रहे इसलिए उसका बदला हम आज तक उसके बच्चो से ले रहे है....
हर्ष.... ह्म ! तुमने मुझे भी अभी फील करवा दिया... चलो चल कर अपने घर के बच्चो को वापस लाया जाए. पूरा परिवार एक छत के नीचे रहेगा...
अमृता.... ठहर जाओ अभी. पहले मनु और मानस की मिसांडरस्टॅंडिंग दूर करते हैं, वरना दोनो भाई कभी एक साथ नही रहेंगे.....
हर्ष.... ह्म ! ये भी सही सोची हो अमृता..... क्यों ना काया को बोले, काया ज़रूर दोनो भाई की दूरियाँ ख़तम कर देगी....
अमृता.... हां कहीं ना कहीं तो हम भी ज़िम्मेदार है इनके इस हालात का... करते हैं एक कोसिस और भूल जाते हैं हम काव्या को.... भूल जाओ अब उन पुरानी बातों को, जिन के लिए हम ने उन बच्चो को सज़ा देते आए हैं....
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