RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मानस.... सुनो तो, ड्रस्टी... यूँ गुस्से मे तो ना जाओ.... सुनी भी नही चली गयी....
ड्रस्टी के जाते ही मानस ने नताली को कॉल लगाया.....
नताली.... जी एमडी सर कहिए, कैसे याद किया...
मानस.... नताली, ड्रस्टी गुस्से मे भाग गयी...
नताली.... ज़रूर तुम कुछ उल्टे-सीधे हरकत किए होगे, इसलिए भाग गयी होगी...
मानस.... हद है, बिना जाने ही मुझ पर इल्ज़ाम लगा दो. ये सभी लोग लड़कियों को ही क्यों सपोर्ट करते हैं. आररीए नही बाबा मैने कुछ नही किया, सुनो बात क्या हुई....
फिर मानस ने पूरी बात बताई... नताली उन दोनो की हालत सुन कर ही हंस-हंस कर पागल हो गयी... फिर मानस को दिलासा देती हुई कहने लगी.... "कोई ना मानस अभी कच्चे हो पक्के हो जाओगे. अब आज रहने दो, कल आराम से मिलना और हां, बी अ मॅन, अपनी दिल की बात दम से कह देना. वैसे भी कौन सा वो मना करेगी, हिम्मत दिखाओ और दिल की बात कह दो. वरना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारे कुछ ना कहने के कारण वो तुम्हे छोड़ कर भाग जाए."
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