RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु..... यदि मुझे इस से बात करने के लिए बुलाया गया है तो मैं जा रहा हूँ...
शम्शेर..... चुप-चाप बैठ जाओ मनु.... और हां याद रहे मुझे ज़रा भी बदतमीज़ी पसंद नही....
मनु, शम्शेर की बात सुन कर चुप-चाप हॉल मे बैठ गया..... कुछ कमी थी शायद उस महॉल मे इसलिए मूलचंदानी के दोनो वरिसों के बीच तीसरा वारिस यानी की रजत भी आ कर बैठ गया.....
"किस बात की यहाँ पंचायत हो रही है, लगता है कुछ गुल खिलाए जा रहे हैं"....
हर्ष.... जब बात कुछ समझ मे ना आए तो चुप चाप बैठ जाओ....
रजत.... हां दो नाजायज़ जो आज कल आप के वारिस बने हैं तो मुझे क्यों ना चुप करवाओगे....
"चटककककक".... जोरदार तमाचा पड़ा रजत के गाल पर और वो अपना गाल पकड़ कर अमृता को घूर्ने लगा.... गुस्से मे आग बाबूला हो कर चिल्लाते हुए ज़ोर से कहा...... "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि इन नाजायज़ के लिए मुझे मारी"....
इतना सुनते ही अब हर्ष का तमाचा पड़ा...... "नाजायज़ किसे बोल रहा है, जैसे तुम मेरे बेटे हो वैसे ही ये भी मेरे बेटे हैं.... अब या तो चुप हो जाओ या यहाँ से चले जाओ"....
बेचारा, बेगाने शादी मे अब्दुल्लाह दीवाना जैसे अपनी फटी हालत पर बड़े गुसे मे वहाँ से निकला. ऐसा लग रहा था जैसे मन मे कुछ थाने निकला हो वो.... अमृता और हर्ष दोनो अपने बेटे की बदतमीज़ी पर शर्मिंदा होते हुए मनु और मानस से माफी माँगने लगे.....
मानस.... इट'स ओके मोम... बच्चा है और हमसे नफ़रत भी करता है... मैं उसे समझा दूँगा....
शम्शेर..... समझाना क्या है... ये सब इन्ही दोनो के लड़ प्यार का नतीजा है. खैर मनु मैने तुम्हे यहाँ अपने नये बिज़्नेस प्रपोज़ल के लिए बुलाया है....
मनु... जी दादा जी कहिए....
शम्शेर.... शिप्पिंग कॉर्पोरेशन के चार शिप मैं मानस को देने वाला हूँ...
मनु.... आप ने सब पहले से तय कर रखा है तो इसमे मैं कुछ नही बोलूँगा.... जहाँ कहिए वहाँ सिग्नेचर कर दूँगा.... पर एक बात मैं अभी कह दूं, आप डूबते जहाज़ पर दाव खेल रहे हैं... ये एस.एस ग्रूप के शिप्पिंग कॉर्पोरेशन को भी डूबा देगा....
शम्शेर..... तुम्हारी राय नही पूछी है... मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूँ.... वकील साहब आप लीगल फॉरमॅलिटीस पूरी कीजिए....
लॉयर.... सर कौन सा पेपर तैयार करना है .... ओन रिस्क ग्रूप कांट्रॅक्ट या लोन कांट्रॅक्ट ....
शम्शेर.... पूरी कंपनी ही मेरी है ... तो ओन रिस्क का पैसा भी तो मेरी ही कंपनी को जाएगा ना... तुम ओन रिस्क पेपर तैयार करो....
आधे घंटे मे सारे पेपर्स रेडी थे... शम्शेर ने अपने सिग्नेचर किए... मनु ने अपने और पूरे लीगल डॉक्युमेंट के साथ चारो शिप अब मानस के अधिकार मे था.....
दोनो भाई बाहर से दुश्मनी दिखाते, अंदर ही अंदर मुस्कुराते हुए बाहर निकले.....
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