RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
उसके बाद मैं वहा नैनाआंटी के पास गया और मैंने घर जाने की इजाज़त ली तो शीला भी आंटी से कहने लगी,
शीला- मैं भी घर जाना चाहती हूँ, मेरे लिए कोई इंतज़ाम करवा दीजिये.
मैं बिना देरी किए बोल दिया- अगर आपको वापस जाना है तो मैं छोड़ दूँगा, मैं भी तो उसी तरफ जाऊँगा.
नैना आंटी - शिला बेटी, कोई बात नहीं, तुम सतीश के साथ चली जाओ. सतीश मेरा ही लड़का है.
हमने वहा से विदा ली और मैंने शीला को गाड़ी में अपने साथ वाली सीट पर बिठाया, मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, थोड़ा आगे चल कर मैंने गाड़ी थोड़ी साइड में ली और हल्का सा शीला की तरफ झुक गया, मेरे होंठ उसके होंठों के पास और मेरा सीना उसके कंधे के पास था.
वो सहम सी गई,
शिला- सतीश, क्या कर रहे हो?
सतीश- कुछ नहीं, सीट बेल्ट लगा रहा हूँ तुम्हारे लिए!
शिला- मैं तो डर ही गई कि पता नहीं तुम क्या कर रहे हो?
मुझे मौका मिल गया,
सतीश- जब कोई अपना साथ होता है तो डरना नहीं चाहिए.
शिला- हम एक दूसरे को जानते ही कहाँ हैं?
सतीश- अब तक इतना जान लिया, अभी तो रास्ता काफ़ी लंबा है, इस रास्ते में तो जान-पहचान पता नहीं कितनी गहरी हो जाएगी कि शायद तुम मुझे कभी भूल ही ना पाओ?
उसे शायद कुछ अज़ीब सा लगा लेकिन इस बात से वो ज़रा सी मुस्कुरा गई.
मैंने गाड़ी थोड़ी तेज़ चलाई,
शिला- रात का वक्त है, थोड़ा धीरे चलो!
बस फिर क्या था, मैं गाड़ी धीरे चलाने लगा, मैंने छेड़-छाड़ करनी शुरू कर दी. मैंने दरवाजे का लॉक चेक करने के लिए हाथ शीला की तरफ आगे किया तो मेरा हाथ उसके वक्ष को छू गया, वो शरमा सी गई.
मुझे अपने हाथ पर उसके वक्ष की गोलाई महसूस हो रही थी, उसने कुछ नहीं कहा, यह उसकी तरफ से मेरा पहला स्वागत था.
मैंने समय ज़यादा लगाना सही नहीं समझा क्योंकि मौसम भी थोड़ा बादलों वाला हो चला था, मैंने गियर लीवर के बहाने से उसके हाथ पर हाथ रख दिया, उसने हाथ हटाना चाहा लेकिन मैंने हाथ से दबा के रखा तो उसने खुद को हल्का सा नॉर्मल कर लिया.
उसको सामान्य देख कर मेरी शरारतें बढ़ने लगी, अब मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया तो उसने कुछ नहीं कहा.
बस अगले ही पल मैंने अपना हाथ हटा कर सीधे उसकी जाँघ पर रख दिया, तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपना सर सीट के ऊपर झुका कर लंबी साँस ली.
इतने में मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा,
सतीश- क्या हो गया?
उसने कुछ नहीं कहा, मैंने बहाने से उसके गालों को छू लिया, तो उसके गाल बहुत गर्म हो रहे थे.
अगले ही पल,
शिला- सतीश, प्लीज़! ऐसा मत करो! मैं शादी शुदा हु,जब भी तुम मुझे छूते हो, मुझे कुछ होने लगता है.
सतीश- तुम्हें क्या होता है?
शिला- करेंट सा लग जाता है मुझे!
तभी बरसात शुरू हो गई, मैं गाडी धीरे धीरे चलाने लगा,
शिला- सतीश, बारिश तेज़ हो रही है ज़ल्दी चलो.
सतीश- तेज़ बारिश में कार तेज चलाना खतरनाक है.
शिला- घर पर मेरे ससुराल वाले मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे.एक तो कितनी मुश्किल से मुझे मुम्बई अकेली आने को मान गये थे,
सतीश- तुम घर पर फोन कर दो कि, यहाँ बरसात शुरू हो गई है, मैं देर से वापस आ पाऊँगी.
मैंने गाड़ी में संगीत चला दिया तो उसकी सास को लगा कि शायद डी जे की आवाज़ है, उसने बात की तो
शिला की सास- अगर मौसम साफ ना हुआ तो सुबह आराम से आ जाना. फोन रखते ही मैंने शीला को अपनी बाहों में ले लिया, वो थोड़ा शरमा कर मुस्कुरा दी.
तेज बारिश के कारण, बाहर अंधेरा हो गया था..
वह अपना सिर मेरे कंधे पर रख कर बैठी हुई थी और बाहर हो रही बरसात, उसे सेक्सी बना रही थी, गरम कर रही थी…
मैं बहुत सावधानी से, कार चला रहा था..
रास्ते पर, उस वक़्त बहुत कम गाड़ियाँ थी..
शिला के पति को दुबई गए दो महीने हो गये थे,सेक्स के बिना शिला तड़फ रही थी आज मेरी छेड़छाड़ और और बरसाती मौसम ने उसे कामुक बना दिया था,वह अपने पति से खुश थी उसने अपने पति को कभी धोखा नही दिया था पर यह जवानी और बेइमान बारिश से उसके सोये अरमान जाग गये थे,
मैंने उसके गाल पर किस लिया तो वह अपना आपा खोने लगी..
उसने भी, मेरे गाल को चूमा..
गाड़ी चलाते हुए, मैंने उसकी उन्नत चूचियों को दबाया…
मैंने उसका चेहरा पकड़ लिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा. शिला भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैं तो पागलों की तरह उसके होंठों को चूस रहा था.
शिला ने तभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे मानो आग सी लग गई. मैंने शिला को अपनी बांहों में जोर से जकड़ा और उसकी जीभ का रसपान करने लगा. कभी मेरी जीभ शिला के मुँह में जाती, तो शिला अपने होंठों से मेरी जीभ को दाब कर चूसने का मजा लेने लगतीं और जब शिला की जीभ मेरे मुँह में आती, तो मैं उसकी जीभ को चूसने लगता.
हम दोनों को इस खेल में इतना मजा आ रहा था कि कुछ ही देर में हम दोनों की लार हमारे मुँह से निकल कर बाहर बहने लगी … लेकिन हम दोनों की ही आंखें बंद थीं और जन्नत के इस सुख का मजा लेने में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता था.
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