RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
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तभी मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बी.डी. बोलता है- "अब यार इन्हें कौन बताए की जिसके बारे में ये हाट और सेक्सी बोल हैं, उसी माल को तो हमने चोद-चाद के चूत सूजा दी है.."
मैं मन में. "अबे तू चुप रहेगा कुछ देर? साला मेरा ही पोपट बना रहे हैं। देख लु...
बी. डी.- अबे देखेंगे ही नहीं बल्की जम के मारेंगे भी इनकी मस्त चूत, तभी तो मजा आएगा।
में- अबे तू फिर बोला?
रिया दीदी- "क्या हआ बो मतलब ट्रॅट रहे हो क्या?" फिर सब हँसने लगते हैं हाहाहाहा।
डाली दीदी- चलो अब कुछ काम भी कर लेते हैं।
फिर सभी चले जाते हैं अपने-अपने काम से और में सिर्फ पीछे खड़ा सभी को देख रहा था। पर एक बात तो है की सब एकदम मस्त है और एक नम्बर की यार। ये सब बी.डी. सोचता है जिससे अबी भी सहमत होता है।
फिर ऐसे ही डिनर का टाइम हो जाता है और डैड भी आ गये थे। पर उनक चहरे पर मिक्स भाव थे, कुछ खुशी, टेन्शन, जीत के। पर कोई भी बिना उन ध्यान दिए सब डिनर करते हैं और मोम का डिनर उनके रूम में ही भेज दिया जाता हैं। डिनर के बाद सब अपने-अपने रूम चले जाते हैं, और झमरी किचन का काम करने।
में भी रूम में जाकर सो जाता है। क्योंकी आज बहुत कुछ हुआ है। जिसमें मैं आज बहुत थका हवा था, पर फिर भी नौद नहीं आ रही थी। और आए भी कैसै? किसी की लाइफ में एक साथ इतना कछ हो जाए वो भी सिर्फ कुछ घंटों में, फिर चाहे वो कितना भी थका हुआ हो, उसमें नींद कैसे आएगी? लेकिन अब तो उसका पूरा वजूद, लाइफ सब कुछ बिल्कुल पूरी तरह से बदलने वाला था, जिसका उसको पता नहीं, ना वो होश में रहने वाला था।
पर एक चीज से तो अवी अभी भी अंजान था। चाहे वो उसका मजा ले लिया हो, पर फिर भी उसका शुगर उसमें कब का चढ़ चुका था। अब तो बस उसका इंका बजना बाकी था और वो था- "नशा... जिम का नशा, औरत के जिशम का नशा, उन मोटी-मोटी चूचियां को दबाने का नशा, उन्हें चूसने का नशा, पहली चुदाई का नशा, चूत का नशा, मस्ती का नशा, चूत की खुश्बू का नशा, चूत के रस का नशा, खून के रिश्तों में चुदाई का नशा, अपनी ही मोम की चूत चोदने का नशा, पहली बार अपने लण्ड को चूत का रस चखाने का नशा, मोते हए जिश्म में खेलने का नशा, उन गद्देदार चूतड़ों का नशा, उन चतड़ों में लण्ड फिराने का नशा, वो मस्त और सेक्सी गाण्ड का नशा जो उसकी मोम की थी, उस गर्म गाण्ड के छेद से आती हए नशीली महक का नशा, उस चुदाई के नशे में चादने का नशा, इतना चोदने के बाद भी मस्ती के कम न होने का नशा, मेरे लण्ड की बजह से मोम की चूत में निकले उस खून का नशा, पहली बार चूत में अपने लण्ड का रस छोड़ने या डालने का नशा, दोनों का रस चूत में होने के बाद भी चुदाई का नशा। ये नशा तो अब उसके सिर चढ़कर बोलेगा। क्योंकी एक तो ये चढ़ती जवानी, दूसरा उसकी कामवासना और चुदाई क्षमता का इतना बढ़ जाना, जो अब उसके रोकने से नहीं रुकनं वाला था..."
मैं सो तो रहा था, पर जो मोम के साथ चुदाईहई, उसे नहीं भूल पा रहा था। वो भी सपने में मुझे दिख रहा था। क्या मस्त और रसीली चूत थी मोम की। ये सब नींद में चलने के कारण मेरा लण्ड 90° डिग्री पर खड़ा था। मैं तो सो रहा था पर मेरा लण्ड तो प मजे में था। इसी तरह मैं सो गया फिर शुबह 5:00 बजे उठकर फिर जिम कर के, तैयार होने चल देता है. रोज की तरह अपने कालेज, 12वीं साइन्स के लिए।
इधर राज2 भी अपने बैंडरगम यानी रति बाले रूम में जाता है। पति अभी भी वैसी ही हालत में लेटी हुई थी और टबलेट, जो डाक्टर ने दी थी, ले ली थी। कुछ देर बाद उनका असर शुरू हो जाएगा, तो राज? अभी कुछ देर बात करने की सोचता है।
. डैड - डालिंग अब कैसी हो तुम?
मोम- अब ठीक है राज।
डॅड. "यार तम ऐसी हालत में भी सेक्सी लग रही हो." और मन में- " साली अब भी जवान है, क्या जिम है? कितना भी रगड़ो पर मजा कम नहीं होता, ऊपर से इसकी बेटियां... वो भी एक नम्बर माल हैं..."
मोम- "सच में? ओहह थैक्स." पति को भी पता था की वो कितनी हाट और सेक्सी लग रही है, जिसका सबूत अबी का उभार दे रहा था।
डैड - बिल्कुल सच में, मेरा तो मूड बन रहा है पर क्या करंग? अभी तुम ठीक नहीं हो।
मोम हँसकर- "ओह.. सो सँड."
डैड- तुम मुझे चिढ़ा रही हो। कल देखना कैसे बजाता हैं तुम्हारी चूत?
मोम- देखेंगे।
डैड. "चला छोड़ा, कुछ इपाट बात करनी है सुनाऊँ.."
मोम- "हैं। बात तो तुम्हारी ठीक है, चलो सो जाते हैं। कल नास्ते पर बोल देना, बाकी में देख लेंगी। ओके गुड नाइट.."
डैड. "गुड नाइट डार्लिंग.." बोलकर मोम और डैड सो जाते हैं।
फिर वैसे ही हर दिन की तरह मोम झमरी के साथ उठकर नाश्ता तैयार करना बाकी सब जिम और एक्सर्साइज करके तैयार होकर नीचे नाश्ता के लिए आकर बैठना फिर सभी का नाश्ता करना। ऐसे ही होता है हर दिन, सिर्फ सनई को छोड़कर क्योंकी उस दिन सब लेट ही उठते हैं। मोम भी आ जाती हैं। अब वो ठीक थी। सब नाश्ता कर ही रहें थे की ईंड सबसे कुछ बात सुनाने को बोलते हैं, और झुमरी आंटी को भी। चंदा तो हमारे साथ ही थी। सबके आने के बाद डैड बोलते हैं।
डैड- "में सिटी का एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन हूँ वो भी मुंबई जैसी हाई सोसाइटी का। आजकल लोग हर चीज में आगे बढ़ रहे हैं, और वो सिर्फ अपनी सोच को इंपूव करके ऐसे लोगों के बीच उनके जैसे रहने के लिए, नहीं तो बो हमें गवार समझते हैं। इससे हमारा स्टेटस उन सबके सामने कम हो जाता है। इतना आगे बढ़ने पर भी हम बेवकूफों की तरह शर्म का बेहूदा चोला पहनें घूम रहे हैं..."
राज2 अपने कमीने दिमाग से प्लान के हिसाब से इतना लम्बे-चौड़े भाषण के बाद कुछ देर रुक कर सबकी और एक नजर देखता है।
मैं- डैड आप कहना क्या चाहते हैं?
डैड- माई इन्ड, में ये कह रहा है की आज अमेरिका कितना आगे है, और हम अपनी शम को पकड़े हए यहां मुंबई की हाई सोसाइटी के बीच भी अपने आपको बहुत पीछे देख रहे हैं।
नैना दीदी- हम कुछ समझे नहीं डैड?
राज? अपने मन में- "हाहाहा... यदि हर कोई मेरे दिमाग को समझा पाता तो आज मैं यहां नहीं होता और ना ही इतनी शक्ति होती मेरे पास मेरी छम्मक छल्ला हाहाहा.." पर एक परेशानी भी है इतने सोचने के कारण राज? का नींद नहीं आती। इसलिए रोज रात को स्लीपिंग टैबलेट लेकर सोता है।
डैड- "पार्टी में हमारे सभी के अलावा किसी और को तुमने सिंपल ड्रेस में देखा था क्या?" बल्की राज2 में सभी को ये बताया था की पार्टी की भीम हाट और सेक्सी ड्रेस है, इसलिए अधिकतर सब औरतें हाट और सेक्सी ड्रेस में थी।
नैना दीदी- नहीं।
और बाकी सभी मेंबर भी इस बात से अगी करते हैं।
डैड- "वही तो... कल सभी हमें देखकर बातें बना रहे थे, इससे मुझे इन्सट फिल हो रहा था। तुम (नैना) और रिया तो फिर भी ठीक थे, पर तुम्हारी मोम, डाली, मिशा, चंदा और झमरी। चलो चंदा और झुमरी के पास तो है ही नहीं और वो खरीद भी नहीं सकते पर तुम लोग तो खरीद हो सकते हो..."
डाली दीदी और मिशा दीदी एक साथ- पर डैड हम उन ड्रेसेस में कंफर्टबल महसूस नहीं करते।
डॅड. लेकिन क्यों?
दोनों ही दीदी- "बो... वो..." अब दोनों ही कैसे बोलती की हमारी चूचियां और गाण्ड उनमें खुलकर दिखती और उभरती है, जिसमें हर कोई उन्हें ही घूरता है और भीड़ वाली जगह पर तो छूत भी हैं।
डॅड. "प्रति आज सब आराम से डिसकस कर लो। फिर सभी शापिंग चले जाना और आज कोई कालेज नहीं जाएगा ओंके समझ में आया?"
सब- ओके डैड, राज, मालिक।
डैड- "गुड... और रति झुमरी को भी ककिंग के और बाकी और भी कपड़े लेने वो भी लेटेस्ट सभी के लिए ओके..."
मोम- ओके राज में समझ गई।
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