RE: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_21
इधर चंदा रोज की तरह स्कूल में आज भी लंच में जब विजय के पास जाती हैं, तो विजय उसे देखकर खूश हो जाता है फिर उसके कमीने दिमाग में एक चाल आती है और वो अपनी एक फाइल गिरा देता है और उसे चंदा को उठने के लिए बोलता है, क्योंकी उसकी स्कर्ट बहुत छोटी थी।
अब विजय ये भी जानता था की अब इसके साथ कुछ भी करें ये कुछ नहीं करेंगी। क्योंकी आज वो बिना बुलाये आई थी। उसे पता था की चंदा को भी अब मस्ती चढ़ने लगी है, और चंदा भी ये जानती थी की बिजय में फाइल गिराकर उसे उठाने को क्यों कहा है? पर उसे भी तो ये सब अच्छा लगता था, मस्ती चढ़ती थी।
जब चंद्रा फाइल उठाने के लिए झुकती है तो वो चार नजरों से विजय की तरफ भी देखती है की जब वो फाइल उठा रही होती है तभी बिजय भी झक के उसकी सफेद पटी में छिपी फूली हुई चूत को ही देख रहा होता है, और चंदा भी उसे बड़े चाव से दिखा रही होती है। फिर जब वो खड़ी होकर फाइल विजय को देती है तो विजय फाइल लेकर उसे अपने पास बैठा लेता है।
पर अब विजय से कंट्रोल नहीं हो रहा था, क्याकी अब उतनी ही उसकी सेक्स शक्ति थी। वो चंदा के बैठते ही पहले की तरह ही उसके जिस्म पर हाथ फेरने और रगड़ने लगता है और कुछ देर बाद उसकी गर्दन पर किस करते हुए उसकी चूचियां दबाने लगता है। जिसमें चंदा को दर्द होता है और मस्ती चढ़ने लगती है। विजय ये देखकर समझ जाता है की ये बहुत चुदासी है।
विजय उसकी स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी पैंटी के ऊपर से ही चंदा की चूत रगड़ने लगता है। ये सब चंदा के लिए बहुत उत्तेजक था, जिससे वो तेज-तेज आहे भरने लगती है। फिर विजय का चंदा की मस्त गाण्ड याद आती है, तो उसे खड़ा करके उसे टेबल पर झका देता है। इससे चंदा की चूत तो पानी छोड़ना शुरू करने ही वाली थी, और वो इन सबसे पागल हुए जा रही थी। अब तो उसे भी चुदाई के सिवा कुछ दिख ही नहीं रहा था, जिससे उसकी ये गर्मी खतम हो।
विजय उसे उल्टी करने के बाद उसकी स्कर्ट ऊपर करके उसकी मस्त गाण्ड को मसलते हए थप्पड़ मारने लगता है। जिससे चंदा को दर्द होता है पर उसके मसलने से मजा भी आ रहा था। तभी अचानक बिजय का काल आ जाता है।
विजय इससे बहुत गुस्सा होता है की वो चूत मारने ही जा रहा था की ये काल आ गया। फिर वो काल देखता है की किसका है? जब उसे पता चलता है की किसका काल है, तो सब छोड़कर और कुछ साइड जाकर काल उठाता है
फोन पर सामने से कोई कुछ बोलता है, और विजय केबल- "जी सर अभी आता है..." और काल कट करता है।
विजय मन में. "ये सर भी क्या कुछ देर बाद काल नहीं कर सकते थे? अभी तो मैंने इसकी चूत टेस्ट भी नहीं की। चलो कोई बात नहीं, ये कहा जाएगी, सर का काम करके अगले दिन इसकी अच्छे से बजाता हैं.." और विजय चंदा को क्लास जाने का बोलकर खुद भी निकल जाता है अपने बास के पास। और बो कुछ ही देर में एक बड़े से घर के सामने आकर रुकता है जो टाइट सेक्योरिटी से घिरा था।
में इधर रबि को खोज रहा था परे पब में की मेरा फोन वाइब्रेट करने लगा, तो मैंने उसे अपने पाकेट से निकालकर देख की ये उस गान्डू का ही है, तो मैंने फट से उठ लिया।
मैं- "कहां है बे चूतिए, मैं यहां तुझे ट्रॅट रहा हैं पागलों की तरह और तेरा कुछ पता ही नहीं, अब बोल तो बहनचोद.."
रवि. "अबे त कुछ बोलने दे तभी ना... हर बार बोलता ही जाता है और यहां मेरी हालत खराब है, त फटाफट बाहर आ जा, मैं गली के मोड़ पर हैं.'
मैं- "आता हैं रुक... मैं बड़बड़ाते हुए बाहर आकर उसकी तरफ निकल जाता हैं और कुछ ही देर में उसके पास पहुँचते ही- "अ... मैं तेरे को अंदर छोड़ा था, बाहर तू यहां क्या अपनी गाण्ड मराने आया है? और तू बोल नहीं सकता था, मैं कब से टूट रहा है?"
रवि चिड़चिड़ाते हुए- "अब चुप कर और तू हमेशा मेरी गाण्ड मारते हुए क्यों सोचता है? आज तरी वजह से उस मोटी में मेरी इज्जत लूट ली... फिर मोबाइल टार्च जलाकर चेहरे पर करते हए. "और देख क्या हालत की है?"
मैं गौर से देखने के बाद- "अबे ये किसने किया? किसने मारा तुझे? और तेरी हालत देखकर लग रहा है की जैसे कोई चसा हुआ आम हो..' उसके चेरे पर थप्पड़ों के निशान थे और पूरे चेहरे पर उंगलियों के निशान थे, कपड़े फर्ट हए थे, उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था और पूरा पीने से भीगा हुआ था।
फिर रवि ने मुझे पूरी बात बताई की कैसे क्या हुआ? और जब वो रुका तो कुछ देर में उसे देखता रहा। पर कुछ सेकेंड बाद ही मैं हँसी से लोट-पोट हो गया हाहाहाहा।
रवि- अबै कमीने यहां मेरी हालत पर तरस खाने के बजाए तू मुझपे हँस रहा है?
मैं तो और क्या करूं? मुझे तो बहुत हँसी आ रही है। कुछ भी बोल पर तेरा अकाउंट तो खुला।
रवि- "क्या घंटा अकाउंट खुला? बल की मेरी गाण्ड मार दी उसनें। साली कृतिया, मोटी कहीं की, वैश्या थी वेष या."
में- चल छोड़, अब घर चलते हैं। बहुत टाइम हो गया है।
फिर जैसे आए थे वैसे ही घर चले गये और रवि भी। मैं रूम में आकर सीधा बेड पर लेट गया और कुछ देर में गहरी नींद में पहुँच गया।
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